गेहूं की नवीनतम किस्में, बीजोपचार और खाद

नई दिल्ली 10-Nov-2025 11:43 AM

गेहूं की नवीनतम किस्में, बीजोपचार और खाद

(सभी तस्वीरें- हलधर)

किसान गेहूं की वैज्ञानिक तरीके से खेती के लिए अधिक उपज देने वाली किस्मों का चयन करें और संतुलित नाईट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार दूसरे पोषक तत्व और बुवाई के समय कीट-रोग से बचाव के लिए बीजोपचार  कर बुवाई करना चाहिए।

गेहूं की नवीनतम किस्म: एचडी -2329, एचडी-3086, एचडी- 3226, राज-3765, राज-4037, पीबीडब्लू-502, डीबीडब्लू-17, राज मोल्यारोधक-1, एचडी-2967, डीबीडब्ल्यू-370, डब्लूएच-1105, राज-4037, राज-1482, राज-4083, राज-1482, राज 3077, डीबीडब्ल्यू-371, डीबीडब्ल्यू-187। 

खेत की तैयारी : खेत की अच्छी तैयारी करने के बाद क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टयर की दर से अन्तिम जुताई के समय खेत में मिलाना चाहिये। बुवाई के एक माह पहले अच्छी सड़ी हुई 8-10 टन गोबर की खाद अथवा 5 टन प्रेस मड प्रति हैक्टयर की दर से कम से कम हर तीन साल में एक बार अवश्य देना चाहिये।

बीजोपचार 

लवणीय-क्षारीय क्षेत्र: बीज को सोडियम सल्फेट के 3 प्रतिशत घोल (डेढ किलो सोडियम सल्फेट का 50 लीटर पानी में घोल) में 8 घण्टे भिगोना चाहिये। इसके बाद बीज से लवण की परत हटाने के लिये बीज को सादे पानी से धोकर सुखा लेवें। 

ईयरकोकल, टुण्डु रोग: बीज को 20 प्रतिशत नमक के घोल में डुबोकर नीचे बचे स्वस्थ बीज को अलग छांट कर साफ  पानी में धोना चाहिये और सुखाकर बोने के काम में लेने से ईयरकोकल और टुण्डु रोग से बचाव किया जा सकता है।

बीजोड़ रोग: 2 ग्राम थाईरम अथवा ढाई ग्राम मेन्कोजेब प्रति किलो बीज की दर से बीज को उपचारित कर बुवाई करके बीजों का बीजोड़ रोगों से बचाव किया जा सकता है।

कण्डवा रोग: बचाव के लिए टेबुकोनाजोल 2 डीएस 1 ग्राम अथवा कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत डब्ल्यूपी+ थाइरम 37.5 प्रतिशत डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति किग्रा. बीज। 

दीमक से बचाव: नियन्त्रण के लिए फि प्रोनिल 5 प्रतिशत एससी 3 मिली प्रति किलो बीज अथवा क्लोथायानिडीन 50 डब्लूडीजी 1.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करे। छाया में सुखाने के बाद बुवाई करें। 

उर्वरक : 120 कि ग्रा. नत्रजन, 35 किग्रा फॉस्फोरस, 30 किग्रा पोटाश प्रति हैक्टयर। बुवाई के समय 76 किग्रा डीएपी, 50 किग्रा म्यूरेट ऑफ  पोटाश और 100 किलो ग्राम यूरिया प्रति हैक्टयर की दर से ऊर कर देवें। यूरिया की शेष मात्रा (65-65 किग्रा.) पहली और दूसरी सिंचाई के साथ दे। जिन खेतों में जस्ते और मैंगनीज की कमी हो वहां बुवाई के समय 25 कि ग्रा. जिंकसल्फेट और 25 किग्रा. मैगनीज सल्फेट ऊर कर दे। खड़ी फसल में यदि जस्ते की कमी के लक्षण दिखाई दें तो 5 कि ग्रा. जिंकसल्फेट को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हैक्टयर क्षेत्र में छिड़काव करें।

डॉ. सुनील कुमार, डॉ. संदीप कुमार रस्तोगी, डॉ. सुशील कुमार शर्मा, के वीके, गुंता-बानसूर, अलवर  


ट्रेंडिंग ख़बरें