अफीम में काली मस्सी
यह रोग फफूंद जनित है और अफीम का मुख्य रोग है। सर्वप्रथम बीज से आता है। इस रोग का प्रकोप पौध अवस्था से डोडा आने तक होता है।
गोभीवर्गीय सब्जियों में तना सडऩ (स्टाक रॉट)
रोग की प्रारंभिक अवस्था में दिन के समय पौधे की पत्तियां लटक जाती हैं। परन्तु रात्रि में पुन: स्वस्थ दिखाई देती हैं।
अदरक में पीलिया रोग
रोग का प्रकोप होने पर निचली सतह की पत्ती किनारें से पीली पडऩी शुरू होती हैं। बाद में यह पीलापन सभी पत्ती में फैल जाता हैं, पौधा सूख जाता हैं।
रोग व कीटों का आक्रमण
किसान भाईयों कृषि कार्यों को समय पर करने से और उन्नत कृषि विधियां अपनाने से कृषि से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। समय पर कृषि क्रियाएं करने से रोग व कीटों का आक्रमण कम हो जाता है तथा इनसे होने वाली हानि को रोककर उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
अमरुद
फ ल मक्खी: यह मक्खी बरसात में फ ल को विशेष हानि पहुंचाती है। यह फ ल के अन्दर अण्डे देती है। जिससे बाद में लट (मैगट्स) पैदा होकर फ ल के अन्दर गूदे को खाने लग जाती है। प्रभावित फ ल अन्त में नीचे गिर जाता है।
उन्नत कृषि विधियां
किसान भाईयों कृषि कार्यों को समय पर करने से और उन्नत कृषि विधियां अपनाने से कृषि से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
सरसों की नवीनतम अनशंसित किस्में
किसान को अपने क्षेत्र की जलवायु, भूमि का प्रकार, सिंचाई की उपलब्धता, मिटृटी आदि के आधार पर उचित किस्मों का चयन करें। ताकि, सरसों यानी भारतीय राई के उत्पादन में वृद्वि करके अधिक लाभ कमा सके।
चुकंदर का बुवाई समय अक्टूबर मध्य तक
भिण्डी फसल में पीतशीरा मोजेक रोग के प्रकोप की सम्भावना
अमरुद में फल मक्खी
किसान भाईयों कृषि कार्यों को समय पर करने से अधिक लाभ
सोनामुखी की बुवाई के लिए मध्य जुलाई से 15 सितम्बर तक का समय उपयुक्त होता है।
नर्सरी, भूमि से 20-25 सेमी ऊँची होनी चाहिए। नर्सरी 1 मीटर चौड़ी और 3 मीटर लंबी रखनी चाहिये। इसके चारों ओर 30 सेमी का रास्ता छोडना चाहिये।
कद्द्वर्गीय फसलों में हानिकारक कीट- रोग का नियंत्रण अधिक उत्पादन लेने के लिए आवश्यक है। वैसे तो इस फ सल को बहुत से कीट-रोग और माइट्स नुकसान पहुचाते है। लेकिन, कद्दू का लाल कीट, सफेद मक्खी, खीरे का फ तंगा और लाल मकड़ी आदि मुख्य रूप से आर्थिक क्षति पहुंचाते है। वहीं प्रमुख रोगों में चूर्णिल आसिता, मृदुरोमिल आसिता और खीरा मोजैक वायरस से खीरा फ सल को काफ ी नुकसान होता है। यदि उत्पादक खीरा फ सल से अपनी इच्छित पैदावार चाहते है, तो इन सबका प्रबंधन उनको करना आवश्यक है।
किसान भाईयों कृषि कार्यों को समय पर करने से और उन्नत कृषि विधियां अपनाने से कृषि से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है
यह एक छोटे और चपटे आकार का कीट होता है । वृक्ष की कोमल टहनियों और फूलो पर एकत्रित होकर रस चूसता है।
एमएल शर्मा बना ग्लोबल सितारा
त्राहिमाम सरकार, त्राहिमाम सरकार
प्याज अब किसानों के निकालने लगा आंसू
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