कद्दूवर्गीय फसलों में कीट-रोग प्रबंधन (सभी तस्वीरें- हलधर)
कद्द्वर्गीय फसलों में हानिकारक कीट- रोग का नियंत्रण अधिक उत्पादन लेने के लिए आवश्यक है। वैसे तो इस फ सल को बहुत से कीट-रोग और माइट्स नुकसान पहुचाते है। लेकिन, कद्दू का लाल कीट, सफेद मक्खी, खीरे का फ तंगा और लाल मकड़ी आदि मुख्य रूप से आर्थिक क्षति पहुंचाते है। वहीं प्रमुख रोगों में चूर्णिल आसिता, मृदुरोमिल आसिता और खीरा मोजैक वायरस से खीरा फ सल को काफ ी नुकसान होता है। यदि उत्पादक खीरा फ सल से अपनी इच्छित पैदावार चाहते है, तो इन सबका प्रबंधन उनको करना आवश्यक है।
प्रमुख कीट
कद्दू का लाल कीट, रोकथाम के उपाय : अधिक प्रकोप होने पर ट्राइक्लोफेरान 50 ईसी 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जमाव के तुरन्त बाद और 10 वें दिन पर पर्णीय छिड़काव करें।
खीरे का फ तंगा : अधिक प्रकोप होने पर क्लोरेंट्रानीलीप्रोल 18.5 एससी 0.25 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
सफेद मक्खी : यह सफेद और छोटे आकार का एक प्रमुख कीट है। पूरा शरीर मोम से ढका होता है, इसलिए इससे सफेद मक्खी के नाम से जाना जाता है। इस कीट के शिशु और प्रौढ़ खीरा फसल के पौधों की पत्तियों से रस चूसते हैं और विशाणु रोग फैलाते हैं, जिसके कारण पौधों की बढ़ोत्तरी रूक जाती हैए पत्तियाँ तथा शिराएं पीली पड़ जाती हैं।
रोकथाम के उपाय : नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 0.5 मिली अथवा डाइमेथोएट 30 ईसी 2.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
माइट : इसके नियंत्रण केलिए मकड़ीनाशक जैसे स्पाइरोमेसीफेन 22.9 एससी 0.8 मिली अथवा फेनप्रोथ्रिन 30 ईसी 0.75 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
प्रमुख रोग : चूर्णी फ फूंद = रोग ग्रस्त पौधों को खेत में इक_ा करके जला दे। रोग नियंत्रण के लिए ट्राइडीमोर्फ 0.05 प्रतिशत अर्थात् 1.2 मिली अथवा फ्लूसिलाजोल का 1 ग्राम अथवा हेक्साकोनाजोल का 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
मृदुरोमिल आसिता : मैंकोजेब 0.25 प्रतिशत 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी घोल बनाकर छिड़काव करें।
इन्द्रसेन धाकड़, भूरिया वर्मा, पीके विश्वविद्यानय, शिवपुरी, मध्यप्रदेश