खेत बने दरिया, किसानों की टूट रही है उम्मीदें
(सभी तस्वीरें- हलधर)प्रदेश में अतिभारी बरसात से लाखों हैक्टयर मेें नुकसान ही संभावना
जयपुर। प्रदेश में जारी बरसात के दौर से पकने के कगार पर पहुंच चुकी खरीफ फसल से दाना घर आने की उम्मीद टूटती नजर आने लगी है। खेत दरिया की शक्ल ले रहे है। इससे समय पर रबी फसल बुवाई का भी संकट बढ़ता जा रहा है। किसानों का कहना है कि बरसात जारी रहने से फसलों मक्का, ज्वार, बाजरा जैसी फ सलों में भी नुकसान शुरू हो गया है। जबकि, मूंग, उड़द, सोयाबीन की फसल गलने के कगार पर पहुंच चुकी है। हालांकि, सरकार ने अतिवृष्टि का जायजा लेने के लिए जिला प्रभारी मंत्रियों को निर्देश दिए है। प्रभार वाले जिलों में सरकार के मंत्री किसानों और प्रशासनिक अधिकारियों से संवाद भी कर रहे है। लेकिन, फसल खराबे के बदले मिलने वाले मुआवजे से किसानों को हुए नुकसान की भरपाई होना संभव नहीं है। गौरतलब है कि बारिश के हाल देखते हुए अब प्रदेश में उदयपुर, जोधपुर और बीकानेर संभाग में ही खरीफ के बेहत्तर उत्पादन की संभावना देखी जा सकती है। क्योंकि, ग्वार को छोड़कर शेष सभी दूसरी फसलों में अभी कीट-प्रकोप के ज्यादा मामले सामने नहीं आए है। बीटी कपास की फसल में भी गुलाबी सुंड़ी का प्रकोप नियंत्रण में है। इस कारण कपास के पौधों में डेडूं खिलना शुरू हो गए है। वहीं, शेष सभी दूसरे संभागों में किसान रामजी-रामजी कर रहे है, वहीं सरकार गिरदावरी एप से फसली नुकसान की गिरदावरी करने की सलाह किसानो को दे रही है। गौरतलब है कि किसानों की उड़द, मूंग, सोयाबीन, तिल को बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। हालांकि, कृषि विभाग ने अतिवृष्टि से फसलों को हुए नुकसान के आंकडे अभी जारी नहीं किए है। लेकिन, सरकार के मंत्रियों की मौजूदगी में जिला मुख्यालयों पर आयोजित हो रही बैठकों में लाखों हैक्टयर में फसली नुकसान के आंकडे सामने आ रहे है। किसानों ने बताया कि यदि जल्द ही मौसम साफ नहीं हुआ तो फसल पूरी तरह खराब हो जाएगी। जो दलहनी फसलों की तरह बाजरा, मक्का भी खाने लायक नहीं रहेंगे।
मेहनत पानी-पानी
फसल कटाई के समय हो रही बरसात से किसानों की गाढ़ी कमाई पानी के साथ बहती नजर आ रही है। खेतों कीं हकाई, जुताई, भूमि और बीजोपचार दवा पर भी हजारों रुपए की राशि किसानों की खर्च हुई। ऐसे में अब दाना सहेजना किसानों के लिए भारी पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि खेतों में भरे पानी से लागत निकलना भी मुश्किल नजर आ रहा है।
सभी फसलों में खराबा
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस बारिश से खरीफ फसलो को फायदा नहीं होगा। मूंग, उड़द, सोयाबीन सहित दूसरी दलहनी फसल के उत्पादन नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं, पौधो पर लगी फली में दाना काला पड़ जायेगा। कमोबेश यही स्थिति बाजरा, मक्का, तिल और ज्वार की होगी। खरीफ खाद्यान्न फसलों के सिट्टो में दाना काला पडऩे से विपणन के समय किसान को उचित बाजार भाव नहीं मिलेंगे। वहीं, कटकर खेतो में कटकर और हवा से गिरी फसल का दाना भी प्रभावित होगा।
बरसात से नरमा फसल को लाभ
प्रगतिशील किसान शिवप्रकाश सहारण ने बताया कि बरसात से नरमा और किन्नू की फसल को फायदा हुआ है। दूसरी ओर लगातार बरसात होने से फसल पकाव चरण में खड़ी मूंग फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। मूंग की फलियों में दाने दागदार होने का डर है और खड़ी फसल पीली पडऩे लगी है। बरसात से ग्वार की फसल में जल भराव होने से जड़ गलन रोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे खड़ी फसल मुरझाने लगी है। बरसाती मौसम के चलते किसान स्प्रे का छिडक़ाव भी नहीं कर पा रहे हैं, जिस कारण दुश्मन कीट भी फसलों पर अटैक कर रहे है।
ग्वार में जड़ गलन : रोग नियंत्रण के किसान खड़ी फसल में 5 ग्राम ट्राईकोड्ररमा प्रति लीटर पानी की दर से बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही मृदा निक्षेप करें अथवा कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत 1 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से मृदा निक्षेप करें।
मूंग में जीवाणु झुलसा : इस रोग के लक्षण पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई पड़ते हैं, जो बाद में तने और फलियां पर भी हो जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 5 ग्राम और कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 300 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति बीघा छिड़काव करें। सर्कोस्पोरा रोग भी फफूंदी जनित रोग है। इसमें पत्तियों पर कोणाकार भूरे लाल रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जो फली और शाखाओं पर भी हो जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत 1 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें