बकरीपाल से आजीविका

नई दिल्ली 17-Dec-2024 02:18 PM

बकरीपाल से आजीविका

(सभी तस्वीरें- हलधर)

बकरी को दूध और मांस के लिए भूमिहीन- सीमांत किसानों द्वारा पाला जाता है। बकरी की मेंगनी और मूत्र जो बिछावन पर एकत्र होते हैं, एक अच्छे खाद की तरह उपयोग में आते हैं। बकरी पालन पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अनुदान भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। बकरी पालन करके लघु और सीमांत किसान अपनी आय बढ़ा सकते है। बकरी को लेकर डॉ. शिव कुमार सैनी के साथ हलधर टाइम्स की हुई चर्चा के मुख्यांश...
डॉ शिव कुमार सैनी मूलत: सिंघाना के रहने वाले हैं। वर्तमान में प्रथम श्रेणी पशुचिकित्सालय-बबाई (झुंझुनूं) में वरिष्ठ पशुचिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने 1995 में वेटरनरी ग्रेजुएशन पूर्ण किया। पशुपालन विभाग में इनकी प्रथम नियुक्ति जनवरी 1997 को पशुचिकित्सा अधिकारी के पद पर राजकीय पशुचिकित्सालय - चुरेलिया (झालावाड़) में हुई। 2012 -13 में वरिष्ठ पशुचिकित्सा अधिकारी के पद पर प्रोमोट हुए। पशु रोगों के खिलाफ जागरूकता फैलाने में इन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया हैं।
बकरी प्रजनन की आदर्श स्थिति क्या है?
बकरी की आयु एक वर्ष और वजन 30 किलोग्राम हो जाने पर इसका प्रजनन कराया जा सकता है। यह कार्य दो साल में तीन बार कर सकते हैं। एक साल से कम आयु के बकरे को प्रजनन कार्य में नहीं लगाना जाना चाहिए। एक अध्ययन में पाया गया कि इसके लिए 2 से 3 वर्ष की आयु सबसे उपयुक्त होती है। प्रति प्रजनन मौसम में एक नर बकरे का उपयोग 20-25 प्रजनन के लिए किया जाता है। यद्यपि आदर्श स्थितियों में एक बकरे का उपयोग साल में 50 से 70 बार तक संभव है। प्रजनन के लिए साल में दो मौसम मार्च से मई और सितंबर से नवंबर उपयुक्त बताए गए हैं। बकरियों में सेस्ट्रस सांयकल प्रति 15 से 18 दिन का होता है। और 39 से 48 घंटे तक रहता है। बच्चे होने का अंतराल अलग प्रजातियों और किस्मों में आठ से नौ माह रहता है।
बकरी पालन कम लागत में अच्छा व्यवसाय कैसें है?
बकरी पालन सूखा प्रभावित क्षेत्र में खेती के साथ आसानी से किया जा सकता है। जरूरत के समय किसान बकरियों को बेचकर आसानी से नकद पैसा प्राप्त कर सकता है। इस व्यवसाय को करने के लिए किसी प्रकार के तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता नहीं पड़ती। किसान को बाजार स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो जाता है। अधिकतर व्यवसायी गांव से ही आकर बकरी-बकरे को खरीदकर ले जाते हैं।  इसलिए यह व्यवसाय कम लागत में अधिक मुनाफा देना वाला है। 
बकरियों और मेमनो का प्रबन्धन कैसा हो ? 
भूसा अथवा लकडी का बुरादा बिदे हुये बाडे का प्रबंध कीजिये । बकरियों के लिये सीलन खतरनाक होती है । क्योंकि,  इससे उन्हें सर्दी लग सकती है । जिससे बाद में उन्हें निमोनिया हो सकता है । 
बकरियो के गर्भकाल और प्रसव क्रिया के  बारे में बताएं?
गर्भावस्था व उसके उपरांत प्रसव, जनन का तीसरा चरण है। गर्भावस्था में की गई देखभाल तथा पोषण आगे आने वाली संतति के भविष्य का निर्धारण करते हैं। गर्भकाल का समय ऐसा होता है । जब बकरी को अपने शरीर के साथ-साथ गर्भ में पल रहे मेमनों का भी पोषण करना पड़ता है। गाभिन बकरी को गर्भावस्था के अंतिम 45 दिनों में उचित आहार देना आवश्यक है। इस अवधि में बकरी का दूध नहीं दूहना चाहिए, जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे को उचित पोषण मिलता रहे। प्रत्येक गाभिन बकरी को प्रतिदिन 150-250 ग्राम दाना मिश्रण, चना व अरहर भूसे में मिलाकर देना आवष्यक है। पर्याप्त हरा चारा न मिलने पर विटामिन ए भी देना चाहिए । क्योंकि , ऊर्जा और विटामिन ए की कमी से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। बकरियों में प्रसव का समय अन्य पशु प्रजातियों के समान महत्वपूर्ण है। रेवड़ में जहां बकरियों को नैसर्गिक विधि से गर्भाधान कराया जाता है उनमें प्रसव क्रिया का ज्ञान और भी आवश्यक हो जाता है, क्योंकि इसमें प्रसव की तिथि की निश्चित गणना संभव नहीं है। बकरियों में सन्निकट प्रसव के लक्षण स्पष्ट न होने के कारण गर्भावस्था के अंतिम पखवाड़े में ज्यादा ध्यान की आवश्यकता होती है। इस समय उनको हलका, सुपाच्य दाना-चारा दिया जाए। उनके शरीर के पिछले भाग विषेषकर बाह्य जननांगों के आसपास के अनावश्यक बालों को काट दें। ब्याने से एक सप्ताह पूर्व उन्हें ऊंचे-नीचे स्थानों पर न चराएं।