संतुलित आहार से दुध उत्पादन पर प्रभाव

नई दिल्ली 21-Oct-2025 01:11 PM

संतुलित आहार से दुध उत्पादन पर प्रभाव

(सभी तस्वीरें- हलधर)

जिससे उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। इससे दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित होता है। इसलिए संतुलित आहार पशुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण है। संतुलित आहार वह है जो है पशुओं को 24 घंटों तक आवश्यक सभी पोषत तत्वों की पूर्ति करवाता है। इसलिए संतुलित आहार ध्यान में रखकर खिलाना चाहिए जिसमें शुष्क पदार्थ, पाचक प्रोटीन और दूसरे जरूरी तत्व प्राप्त हो।  पशु पोषण को लेकर हलधर टाइम्स की डॉ. अविनाश चौहान से हुई वार्ता ....

डॉ. अविनाश चौहान वर्तमान में पशु चिकित्सालय, माधोगढ़ में पशु चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत है। इन्होंने राजूवास, बीकानेर से वर्ष 2017 में स्नातक की डिग्री और 2020 में पशु चिकित्सा परजीवी विज्ञान में स्नातकोतर की डिग्री प्राप्त की। इन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत टीचिंग एसोसिएट के रूप में पीजीआईवीईआर कॉलेज जयपुर से की। इन्होंने पशुपालकों के लिए गोष्ठियों का आयोजन कर विभागीय योजनाओं, राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार का उल्लेखनीय कार्य किया है।

संतुलित दाना मिश्रण कैसे बनाया जाता है। 
सबसे किस तत्वों से मिलकर संतुलित आहार बनाया जाता है उनके नाम जान लेना जरूरी है। जिससे राशन परिकलन के लिए आसानी होती है। इसके लिए कच्ची प्रोटीन, कुल पाचक तत्व और चयापचयी ऊर्जा की जानकारी होना भी बेहद आवश्यक है। भैंस में शुष्क पदार्थ की खपत प्रतिदिन 2.5 से 3.0 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम शरीर भार के अनुसार होती है। यानि कि 400 किलोग्राम वजन की भैंस को रोजाना 10-12 किलोग्राम शुष्क पदार्थ की आवश्यकता होती है। इसके साथ कम से कम 4-5 किलों हरा चारा देना भी जरूरी है।
दुधारू पशुओं के आहार गुण और लाभ बताएं
यह स्वादिष्ट और पौष्टिक है। ज्यादा पाचक होना चाहिए। अकेले खल, बिनौला अथवा चने से यह सस्ता पड़ता हैं। पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रखता है। बीमारी से बचने की क्षमता प्रदान करता हैं।  दूध और घी में भी बढौतरी करता है। भैंस ब्यांत नहीं मारती। भैंस अधिक समय तक दूध देते हैं।  कटडे अथवा कटडयि़ों को जल्द यौवन प्रदान करता है।
दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा क्यों जरूरी है। 
हरा चारा पशुओं को काफी अच्छा भी लगता है व सूखे चारे की अपेक्षा जल्दी पचता भी है। हरे चारे से दुध उत्पादन में बढ़ोत्तरी भी होती है। इसमें सूडान घास, बाजरा, ज्वार, मकचरी, जई और बरसीम आदि शामिल हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वो हरे चारे में दलिया अथवा दलहनी दोनों तरह के चारे शामिल करें। इससे पशुओं में प्रोटीन की कमी बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।
पशुओं के लिए दाना मिश्रण बनाने की कोई सामान्य विधि बताएं?
दाना मिश्रण बनाने की घरेलू विधि इस प्रकार है:- 10 किलो दाना मिश्रण बनाने के लिये: अनाज, चोकर और खली की बराबर मात्रा (3. 3 किलो ग्राम प्रति) डाल दें। इस में 200 ग्राम नमक और 100 ग्राम खनिज मिश्रण डालें। दाना बनाने के लिए पहले गेहूं, मक्का आदि को अच्छी दर से लें। और खली को कूट लें। यदि खली को कूट नहीं सकते तों एक दिन पहले खली को किसी बर्तन में डालकर पानी में भिगो लें। अगले दिन उसमें बाकि अव्यवों को (दाना, चोकर, नमक, खनिज मिश्रण) इस में मिलाकर हाथ से मसल दें। इस दाने को कुतरे हुए चारे/घास में मिलाकर पशु को खिला सकते हैं।
पशुओं को चारा खिलाने में कितना अंतराल जरूरी है?
खाने में सूखा चारा, हरा चारा, और पशु आहार को शामिल करें ताकि सभी पोषक तत्व सही मात्रा में मिल सकें। फलीदार सब्जी भी लाभकारी होती है। बरसीम, रिजका, ग्वार आदि सूखे चारे में मिला कर खिलाएं। इन फलियों को बिना चारे के खिलाने से पाचन क्रिया में गड़बडी और अफारा रोग होने की संभावना होती है। पशु एक दिन में 35 से 40 लीटर पानी पीता है। इसलिए साफ पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए। आहार में प्रोटीन पशुओं की बढ़त और अच्छी सेहत के लिए, कार्बोहाइडे्रट शक्ति देता है और शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। यह तन्दुरूस्ती और उचित प्रजनन के लिए जरूरी होता है। टूटे हुए गेहूं, ज्वार अथवा बाजरे की दलिया को अच्छी तरह उबाल कर नमक, गुड़ अथवा शीरे में मिलाकर खली, खनिज लवण के साथ देने स अच्छा उत्पादन मिल सकता है। पशुओं को 8-10 घंटे के अंतराल पर चारा देना अनिवार्य होता है।
 


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