लीची: भारत में खेती, आर्थिक महत्व और कृषि प्रभाव (सभी तस्वीरें- हलधर)
रवि प्रताप सिंह, वैज्ञानिक, बागवानी अनुसंधान-विकास, गुजरा
लीची, जिसे वानस्पतिक रूप से लीची चिनेंसिस कहा जाता है, और यह सैपिन्डेसी परिवार से संबंधित है। लीची का फल गोल होता है, जिसकी लाल रंगत होती है और इसमें मीठा रसदार गुदा होता है। यह फल साल में एक बार होता है, और गर्मी के मौसम में प्रमुखत: मई से जून तक मिलता है। लीची को स्वास्थ्य के लाभ के लिए जाना जाता है। क्योंकि ,इसमें विटामिन, मिनरल्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। इसकी उत्पत्ति दक्षिणी चीन से हुई है। चीन के बाद भारत विश्व में लीची का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में इसकी खेती बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक ही सीमित है। लेकिन, बढ़ती मांग के कारण इसकी खेती झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पंजाब और हरियाणा, उत्तरांचल, असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्यों में भी फैल गई है।
मिट्टी और जलवायु
गर्म उपोष्णकटिबंधीय जलवायु लीची की वृद्धि और फूल आने के लिए आदर्श है। सर्दी ठंडा होने के साथ-साथ सूखा और पाले से रहित होना चाहिए। इसके बाद काफी लंबे समय तक गर्म जलवायु रही और फूल आने के दौरान हल्की वर्षा हुई फल लगने के दौरान उच्च तापमान मध्यम आर्द्रता के साथ। कटाई के दौरान तापमान तेज़ धूप और उच्च सापेक्ष आर्द्रता के साथ लगभग 24-28 डिग्री होना चाहिए। अच्छी जलोढ़ मिट्टी लीची की वृद्धि के लिए जल निकासी और जल स्तर तक आसान पहुंच सर्वोत्तम है। मिट्टी का पीएच लगभग 5.5 होना चाहिए।
पौधे का प्रसार
लीची का व्यावसायिक प्रचार-प्रसार एयर-लेयरिंग विधि द्वारा किया जाता है। बीज प्रसार आम बात नहीं है, और पेड़ लगने में काफी समय लगता है। वायु परत के लिए, कीट और रोग से मुक्त 2-3 सेमी व्यास और 30-60 सेमी लंबी शाखाओं का चयन करें। तेज चाकू की मदद से छाल का 4 सेमी चौड़ा घेरा हटा दें। खुले हिस्से पर गीली काई रखें और फिर उसके चारों ओर पॉलिथीन शीट कसकर लपेट दें। 4 सप्ताह के बाद जड़ों का विकास शुरू हो जाएगा। जब अच्छी संख्या में जड़ें विकसित हो जाती हैं, तो मातृ वृक्ष से गूटी अलग हो जाती है। इसके बाद तुरंत इसे नर्सरी में लगा दें। फिर इसमें सिंचाई करें। एयर लेयरिंग जुलाई से सितंबर के मध्य में की जा सकती है।
लीची की उन्नत किस्में
शाही लीची: देश की एक व्यावसायिक और अगेती किस्म है, इस किस्म के फल गोल और गहरे लाल रंग के होते हैं। शाही लीची में गूदे की मात्रा अधिक होती है, जो इस किस्म की प्रमुख विशेषता है।
कलकतिया लीची: यह किस्म अधिक देरी से पककर तैयार होती है। इसके पौधों पर लगने वाले फल जुलाई के महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
मुजफ्फरपुर लीची: जैसा कि आप सभी जानते हैं, कि बिहार का मुजफ्फरपुर जिला देश में लीची उत्पादन के मामले में सबसे आगे है, यहां का मुजफ्फरपुर किस्म लीची उत्पादन के लिए बहुत खास होता है। इस किस्म के फल नुकीले होते हैं। इसके फल का वजन 22 से 25 ग्राम तक होता है।
चाइना लीची: ये लीची की एक पछेती उन्नत किस्म है। इसके फलों का रंग गहरा लाल और आकार मध्यम होता है। फलों में गूदे की मात्रा अधिक पाई जाती है। प्रत्येक पौधे से 80 से 90 किलोग्राम तक उपज प्राप्त हो जाती है।
स्वर्ण रूपा: इस किस्म को भारत में कई स्थानों पर उगाया जाता है। इस वैरायटी के फल का आकार सामान्य होता है, जिसके अंदर अधिक मात्रा में गूदा पाया जाता है। यह फल देखने में गहरे गुलाबी रंग का होता है।
लीची का आर्थिक महत्व
लीची एक महत्वपूर्ण फल है, जिसका आर्थिक महत्व कई क्षेत्रों में है। इसके कुशल उत्पादन से किसानों को आर्थिक लाभ होता है, और यह उद्यानिकी, नौकरियां, और एक स्थानीय अर्थव्यवस्था को संवर्धित करने में मदद करता है। लीची का आर्थिक महत्व विस्तार से यह है, कि यह एक प्रमुख फल है, जो अनेक क्षेत्रों में प्रभाव डालता है।
किसानों का लाभ
लीची के उत्पादन से किसानों को आर्थिक लाभ होता है। यह फल उत्तम मूल्य प्राप्त करने में मदद करता है, किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारता है।
नौकरियां
लीची के उत्पादन के साथ ही उसके प्रसंस्कृत और अनुसंधान में लोगों को रोजगार का अवसर मिलता है। इससे स्थानीय स्तर पर नौकरियों का सृजन होता है।
औद्योगिक विकास
लीची के उत्पादन और विपणी से उद्योगिक क्षेत्र में विकास होता है। इससे नए उद्यमियों को अवसर मिलते हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार होती है।
निर्यात और आर्थिक विकास
लीची का निर्यात विदेशी बाजारों में बढ़ावा प्रदान करता है, जिससे देश को आर्थिक आय मिलती है, और आर्थिक विकास होता है।
लीची उत्पादक राज्य
विश्व मे लीची चीन, भारत, थाईलैंड, वियतनाम, फिलीपींस, इंडोनेशिया और बांग्लादेश जैसे गर्म और उच्च आर्द्रता वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है। भारत में लीची का प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, असम, ओडिशा, मध्य प्रदेश और राजस्थान। इन राज्यों के उच्च तापमान और आर्द्रता के क्षेत्रों में लीची उगाई जाती है।