गेंदे की वैज्ञानिक खेती

नई दिल्ली 29-Jul-2024 04:30 PM

गेंदे की वैज्ञानिक खेती (सभी तस्वीरें- हलधर)

गेंदे की वैज्ञानिक खेती  
डॉ. प्रेम चन्द गढ़वाल, डॉ. सुनील कुमार, बजरंग लाल ओला, डॉ. सुशील कुमार शर्मा, डॉ. पीके. रॉय 
मैदानी क्षेत्रों में गेंदे की तीन फसलें उगायी जाती है, जिससे लगभग पूरे वर्ष उसके फूल उपलब्ध रहते हैं। उत्तर भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश में छोटे किसान भी गेदें की फसलों को सजावट तथा मालाओं के लिए उगाते हैं।
मृदा :  बलुई-दोमट, पीएच. 7.0-7.5 सर्वोतम।
जलवायु: 14.5-28.6 डिग्री से. तापमान फूलों की संख्या और गुणवत्ता के लिए उपयुक्त है। जबकि ,उच्च तापमान 26.2 डिग्री सैं. से 36.4 डिग्री से. पुष्पोत्पादन पर विपरीत प्रभाव डालता है।
किस्मों का चुनाव
अफ्रीकन गेंदा: पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसंती गेंदा, अलास्का, एप्रिकॉट, बरपीस मिराक्ल, क्राऊन ऑफ गोल्ड, फायर ग्लो, जियाण्ट सनसेट, गोल्डन एज, गोल्डन जुबली, इत्यादि।
हाइब्रिड्स: अपोलो, क्लाइमेक्स, फस्र्ट लेडी, गोल्ड लेडी, ग्रे लेडी, ओरेन्ज लेडी, इन्का गोल्ड, इन्का ओरेज्न इत्यादि।
फ्रेन्च गेंदा
(अ) सिंगल: डायण्टी मेरियटा, नॉटी मेरियटा, सन्नी, टेट्रा रफल्ड रेड इत्यादि।
(ब) डबल: बोलेरो, बोनिटा, ब्राउनी स्कॉट, बरसीप गोल्ड नगेट, बरसीप रेड एण्ड गोल्ड, बटर स्कॉच, येलो पिग्मी इत्यादि।
खाद-उर्वरक:    
सड़ी हुई गोबर की खाद         : 15-20 टन प्रति हैक्टयर
यूरिया                        : 600 किलोग्राम प्रति हैक्टयर
सिंगल सुपर फास्फेट            : 1000 किलोग्राम प्रति हैक्टयर
म्यूरेट ऑफ पोटाश             : 200 किलोग्राम प्रति हैक्टयर
सारी सड़ी हुई गोबर की खाद, फास्फोरसतथा पोटाश की पूरी मान्ना व एक तिहाई भाग यूरिया को मृदा तैयार करते समय अच्छी तरह मिला लें। यूरिया की बची हुई मात्रा का एक हिस्सा पौधे खेत में लगाने के 30 दिन बाद व शेष मात्रा उसके 15 दिन बाद छिड़काव करके प्रयोग करें।
क्यारी तैयार करना
गेंदे की पौध तैयार करने के लिए बीज की क्यारी तैयार करें, जो कि भूमि की सतह से 15 सेमी. ऊॅंची होनी चाहिए । क्यारी की चौड़ाई 1 मीटर और लंबाई आवश्यकतानुसार रखें। बीज बुवाई से पूर्व क्यारी को 0.2 प्रतिशत बाविस्टीन अथवा कैप्टान से उपचारित करें । 
बीज दर: 800 ग्राम से 1 किलोग्राम प्रति हैक्टयर। 
बुवाई का समय:
पौध रोपण का समय
वर्षा    जुलाई तक
सर्दी    मध्य सितम्बर-मध्य अक्टूबर
गर्मी    जनवरी - फरवरी, फरवरी - मार्च
पौध रोपण:
पौधों के 3-4 पत्तियां होने पौध रोपण हेतु प्रयोग करें। पौध रोपाई शाम के समय ही करे। रोपाई के पश्चात चारों तरफ मिट्टी को दबा दें । ताकि जड़ों में हवा न रहें और हल्की सिंचाई करें।
पौधे से पौधे की दूरी
अफ्रीकन गेंदा: 45 गुणा 45 सेमी. अथवा 45 गुणा 30 सेमी.
फ्रेन्च गेंदा: 20 गुणा 20 सेमी. अथवा 20 गुणा 10 सेमी.
वृद्धि नियामकों का प्रयोग:
पौधों की रोपाई के चार सप्ताह बाद एस ए डी एच का 250-2000 पी.पी.एम. पर्णीय छिड़काव करने से पौधों में समान वृद्धि पौधे में शाखाओं के बढऩे के साथ ही फूलों की उपज व गुणवत्ता भी बढ़ती है।
पिंचिंग (शीर्ष कर्तन):
पौधे के शीर्ष प्रभाव को खत्म करने के लिए पौध रोपाई के 35-40 दिन बाद पौधों को ऊपर से चुटक देना चाहिए, जिससे पौधों की बढ़वार रूक जाती है। तने से अधिक से अधिक संख्या में शाखाएं प्राप्त होती है और प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक से अधिक मात्रा में फूल प्राप्त होते हैं।


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