टमाटर में रोग प्रबंधन (सभी तस्वीरें- हलधर)
टमाटर की खेती प्रदेश के सभी जिलों में होती हैं। यह फसल किसान के लिए लाभकारी हैं। बशर्ते, किसान को विपणन के समय प्रतिकिलो भाव सही मिले। अन्यथा, उपज को सड़क पर आते भी देर नहीं लगती। कम भाव के साथ किसान को फसल में रोग प्रकोप का सामना करना पड़ रहा हो तो किसान के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता हैं। गौरतलब है कि इस फसल में रोग के कारण 20-25 प्रतिशत हानि होती हैं।
आर्द्रगलन : रोकथाम के लिए 0.2 प्रतिशत केप्टान के घोल का छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर करें।
अगेती झुलसा : डाइथेन एम 45 या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड की 3 ग्राम मात्रा प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
पत्ती मोड़क विषाणु : डाइमिथोएट 30 ईसी या मिथाईल डिमेटोन 25 ईसी 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
छाछ्या (चूर्णी फफूंद) : गंधक चूर्ण (20-25 कि.ग्रा./हैक्टेयर) भुरके या घुलनशील गंधक (0.2 प्रतिशत), कैराथेन (0.5-0.1 प्रतिशत), कार्बेण्डाजिम (0.05-0.2 प्रतिशत) इनमें से किसी एक का छिड़काव करें।
अंगमारी तथा डाई बेक : डाइथेन एम-45 (0.2 प्रतिशत) अथवा कार्बेन्डाजिम (0.1 प्रतिशत) के घोल का छिड़काव करें।
जीवाणु (शाकाणु) पत्ति धब्बा: खड़ी फसल पर स्ट्रप्टोसाइक्लीन (100 पीपीएम) अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.2 प्रतिशत) घोल का छिड़काव करें।
मोजेक एवं पर्ण कुंचन : खड़ी फसल पर इमिडाक्लोप्रिड 1 मि.ली./3 लीटर पानी तथा फल आने पर मैलाथियॉन (0.1 प्रतिशत) का सिफारिश अनुसार छिड़काव करें।
उकठा रोग : रोगग्रस्त पौधों को नष्ट कर रोग को कम किया जा सकता है।
मुख्य फ सल प्रबंधन
40 दिन पुराने अमेरिकी लंबा गेंदा और 25 दिन पुरानी टमाटर की पौध को 1:16 के अनुपात में पंक्तियों में एक साथ बोयें। मादा पतंगे अण्डे देने के लिए गेंदे की ओर आकर्षित होती हैं। प्रारंभिक दौर लार्वा को मारने के लिए 5 प्रतिशत नीम के बीज गिरी के तेल का छिड़्काव करें। डेल्टा और पीले चिपचिपे जाल 2-3 प्रति एकड की दर से टिड्डे, माहू और सफेदमक्खी आदि के लिये स्थापित किये जाने चाहिये। रसचूसक कीट के लिए 5 प्रतिशत निम्बोली सत्व के 2 से 3 छिडकाव करें। नीम के तेल 2 प्रतिशत का प्रयोग सहायक होता है। यदि नुकसान ईटीएल से ऊपर हो तो 150 मिली इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का 500-600 लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करें।