शकरकंद की वैज्ञानिक खेती
(सभी तस्वीरें- हलधर)लेकिन, प्रदेश में इस फसल की उत्पादकता काफी कम है। क्योंकि, किसान परम्परागत किस्मों का उपयोग कर रहा है। साथ ही, बुवाई के बाद फसल संरक्षण पर ध्यान नहीं देता है। यदि किसान वैज्ञानिक तरीके से शकरकंद की खेती करे तो अच्छा लाभ ले सकता है।
उन्नत किस्म-
किस्मे : पूसा सफेद, पूसा रेड, राजेंद्र शकरकंद-51, पूसा सुहावनी, नंबर-4004, एस -30, 35, 43, वर्षा, कोनकन, अशवनी, श्री बंदनी, श्री नंदनी, किरण।
खेत की तैयारी- दो तीन जुताई देशी हल से। अंतिम जुताई के समय 170-200 क्विंटल गोबर खाद भूमि में मिलाये।
कटिंग प्रति हेक्टयर - 40000-45000 प्रति हैक्टयर। प्रत्येक कटिंग में 3- 4 गांठ जरूरी।
गांठ की लम्बाई- 25-30 सेमी.।
कटिंग उपचार- बोरेक्स 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल तैयार करके 8-10 मिनिट कटिंग को डुबोकर सुखाने के बाद बुवाई करें।
रोपाई समय- अगस्त-सितम्बर।
कतार की दूरी- 60 सेमी.
पौधे की दूरी- 30 सेमी.
गहराई- 6-8 सेमी।
सिंचाई- खेत में नमी को देखते हुए।