मृदा स्वास्थ्य कार्ड की आवश्यकता और उपयोगिता

नई दिल्ली 30-Apr-2024 03:56 PM

मृदा स्वास्थ्य कार्ड की आवश्यकता और उपयोगिता (सभी तस्वीरें- हलधर)

डॉ. रतनलाल सोलंकी, मृदा वैज्ञानिक, केवीके, चित्तौडग़ढ

भूमि से पूर्ण लाभ उठाने और उर्वरा शक्ति का पता लगाने के लिए किसानों को खेत की मिट्टी जांच कराकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्राप्त करना आवश्यक है। मृदा जांच के आधार पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड में ही फसलों के लिए खाद और उर्वरकों की सिफारिश की जाती है। क्षारीयता और लवणीयता के बारे में भी मृदा स्वास्थ्य कार्ड से पता चलता है। इसके आधार पर समस्याग्रस्त भूमि के सुधार प्रबन्ध के बारे में सिफारिश दी जाती है। किसान भाई मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशानुसार खाद का प्रयोग कर फसल की लागत कम कर सकते है।

मृदा उर्वरता में गिरावट

देश में कृषि उत्पादन की वर्तमान स्थिति वैज्ञानिको और किसानो दोनों के लिए ही चिंता का विषय है। क्योंकि, मृदा की उर्वरता में निरन्तर गिरावट आ रही है। भारतीय किसानों में मृदा परीक्षण के प्रति बहुत कम जागरूकता है इसलिए किसान मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक सिफ ारिश के अनुसार खाद और उर्वरको का उपयोग नही करते हैै। जिसके कारण असंतुलित उर्वरक उपयोग हो रहा है । नत्रजन, फ ास्फोरस और पोटाश 4:2:1 के आदर्श उपयोग अनुपात पर अब तक नही हो पा रहा है। असंतुलित उर्वरक उपयोग से न केवल मृदा उर्वरता में कमी बल्कि मृदा उत्पादकता में भी ठहराव आ गया है। पोषक तत्वों के अपर्याप्त और असंतुलित उपयोग के कारण मृदा से पोषक तत्वों के ह्यस से कमी एक अहम समस्या बन गयी है। फसलोत्पादन के वर्तमान स्तर पर मृदा से लगभग 36 मिलियन टन पोषक तत्वों (एन.पी.के.) का दोहन प्रतिवर्ष होता है, जो 2025 में 45 मिलियन टन हो जायेगा। जबकि , रासायनिक उर्वरको से पोषक तत्वों की आपुर्ति 28 मिलियन टन प्रतिवर्ष है। इस प्रकार मृदा से प्रतिवर्ष 8-10 मिलियन टन पोषक तत्वों का ह्यस हो रहा है। लगभग 36.5 लाख मिट्टी के नमूनो के विभिन्न मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं में उपलब्ध एन.पी.के. के विश्लेषण से यह पाया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर मृदा में कुल नाइट्रोजन का स्तर कम, फॉस्फोरस का स्तर मध्यम और पोटेशियम का स्तर उच्च आंका गया है। अखिल भारतीय समन्वित सूक्ष्म पोषक तत्व योजना  के तत्वाधान में देश के 20 राज्यों में तैयार 2.52 लाख मिट्टी के नमूनों के विश्लेषण के आधार पर गंधक, जिंक, बोरोन, मोलिब्डिनम, लोहा, मैंगनीज और तॉबा के क्रमश: 41, 49, 33, 13, 12, 5 एवं 3 प्रतिशत नमूनो में कमी के संकेत मिले है। मृदा स्वास्थ्य अच्छा बनाए रखने के लिए उचित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग करना चाहिए और इसके लिए मृदा के स्वास्थ्य की जांच समय-समय पर कराना अति आवश्यक है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

मिट्टी के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों का मिला-जुला प्रभाव जो कि उत्पादकता के रुप में परिलक्षित होता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड एक रिपोर्ट अर्थात खेत की मिट्टी की जन्मपत्री है जिसमें मृदा स्वास्थ्य सम्बन्धी 12 मापदंडो (मानकों) को दर्शाया जाता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिट्टी परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरक प्रयोग और मृदा सुधारक उपयोग की सलाह प्रदान करता है। यह एक गुणात्मक रूप से मृदा के स्वास्थ्य का मूल्यांकन है। इस कार्ड का उद्देश्य एक मृदा का किसी अन्य मृदा से तुलना करने का नही बल्कि मृदा क्षमताओ और साईट सीमाओ के अन्दर फसल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक मृदा की क्षमता का मूल्यांकन संकेतको द्वारा उपयोग करने के लिए है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड में विवरण

मिट्टी की उर्वरता के बारे में जानकारी

फसलों में उर्वरक उपयोग की मात्रा

लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी में मृदा सुधारक उपयोग के बारे में जानकारी

समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन पर सिफारिश

मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लाभ

संतुलित मात्रा में खाद -उर्वरक उपयोग का बढ़ावा देना।

प्रति इकाई क्षेत्र से कम लागत में कृषि उत्पादन बढ़ाना।

फसलों एवं फल वृक्षों के चयन में सुविधा।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसान को अपने खेत की गुणवत्ता की जानकारी प्राप्त करवाता है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानो को खेतो में पोषक तत्वों या उर्वरको के उपयोग की बुनियादी जानकारी उपलब्ध करायेगा । किसानो के खेतो की उत्पादकता में सुधार करने में मदद करेगा।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड उर्वरको की फसल के लिहाज से सिफारिश करता है। यह मिट्टी के स्वास्थ्य की पहचान करने और विवेकपूर्ण तरीके से मिट्टी में पोषक तत्वों का उपयोग करने में मदद करता है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड से समन्वित पोषक तत्व प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। जिससे लगभग 20 प्रतिशत रासायनिक उर्वरको की खपत कम हो सकेगी।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड से चयनित फसलों की उत्पादकता में लगभग 20 प्रतिशत वृद्वि की संभावना है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपयोग से जैव उर्वरक, जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, धीमी गति से जारी नाइट्रोजन युक्त उर्वरको की मांग में वृद्धि होगी जिससे मिट्टी की उर्वरकता एवं पोषक तत्व उपयोग क्षमता में वृद्धि होगी।

सभी किसानो के पास मृदा स्वास्थ्य कार्ड होने पर आदानो पर अनावश्यक खर्च से बचा जा सकेगा।

मृदा की जांच कब करवायें

फसल की कटाई हो जाने के बाद अथवा पकी हुई खड़ी फसल के समय जब भूमि में नमी की मात्रा कम से कम हो।

खेत की उत्पादकता कम हो रही है अथवा फसल चक्र बदल रहे है।

फसल बुवाई से एक -डेढ़ माह पूर्व मृदा की जांच करवायें ताकि बुवाई से पूर्व ही परिणाम प्राप्त हो जायें।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उपयोग

मृदा स्वास्थ्य कार्ड से सर्वप्रथम खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में पता लगायें कि खेत की मिट्टी अम्लीय, क्षारीय अथवा लवणीय है, यदि इस प्रकार की मिट्टी है तो सिफारिश के अनुसार मृदा सुधारक का प्रयोग अवश्य करें।  मृदा की उर्वरता स्तर का पता लगायें कि मृदा उर्वरता का स्तर कम, मध्यम अथवा ज्यादा है। मृदा के उर्वरता स्तर को उचित बनाये रखने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिश के अनुसार कार्बनिक एवं अकार्बनिक खादों का प्रयोग करे। मृदा स्वास्थ्य कार्ड से पता लगायें कि किस फसल के लिए कितनी मात्रा में और कौनसी खाद का प्रयोग करना चाहिए अर्थात मृदा स्वास्थ्य कार्ड में अंकित खाद एवं उर्वरको की मात्रा का फसलवार प्रयोग करे।


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