आर्थिक विकास के दौर में ऊंट प्रजातियां और ऊंटपालक

नई दिल्ली 23-May-2024 01:10 PM

आर्थिक विकास के दौर में ऊंट प्रजातियां और ऊंटपालक (सभी तस्वीरें- हलधर)

डॉ. चंद्रिका शर्मा, सहायक आचार्य, जीएसएस राजकीय कन्या महाविद्यालय, भिंडऱ, उदयपुर

ऊँट पालक अनुकूलन और अपनी समृद्धि के लिए संघर्षरत हैं। ऊँट और ऊँट उत्पादों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सभी हितधारकों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता है। ताकि, रेगिस्तान के जहाज को डूबने से बचाया जा सके। इसके लिए ऊंट निर्मित उत्पादों और खाद्य पदार्थो को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की जरूरत है। इससे ऊंटपालकों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी। वहीं, उद्यमिता का विकास भी संभव होगा। उल्लेखनीय है कि भारत में कृषि क्षेत्र का विशेष योगदान है । वर्ष 2023 के अनुसार सबसे अधिक रोजगार (147.92 मिलियन) इस क्षेत्र में पाया गया है । संयुक्त राष्ट्र ने 2024 को ऊंट प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया है। यह वर्ष ऊंट प्रजातियों के विशेष महत्व और उनके योगदान को समझाने के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करेगा । ऊंट प्रजातियाँ सूखे भूमि और पहाड़ीय क्षेत्रों में पशुपालकों के लिए जीवनयापन का मुख्य स्रोत हैं। यह प्रस्ताव बोलीविया सरकार द्वारा किया गया और ग्रुलैक देशों के समूह के अध्यक्ष इक्वाडोर ने इसे समर्थन दिया ।  4 दिसंबर 2023 को आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय ऊंट प्रजातियों के वर्ष का शुभारंभ हुआ था। इस वर्ष यह विशेष रूप से 90 से अधिक देशों में ऊंट प्रजातियों के महत्व को उजागर करने के लिए है।

ऊंटों की प्रजातिया

कैमेलिडे परिवार के सदस्य, ऊंट प्रजातियाँ, दो समूहों में विभाजित हैं। पुरानी दुनिया के ऊंट और नई दुनिया के ऊंट। पुरानी दुनिया के ऊंट में ड्रोमेडेरी ऊंट, बैक्ट्रियन ऊंट  और वाइल्ड बैक्ट्रियन ऊंट शामिल हैं। ड्रोमेडेरी ऊंट को आमतौर पर एक गु_ी ऊंट अथवा अरबी ऊंट के रूप में जाना जाता है, जो मुख्य रूप से गरम और रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाया जाता है। बैक्ट्रियन ऊंट को सामान्यत: डबल हंप ऊंट अथवा मंगोलियन ऊंट के रूप में जाना जाता है, जो ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्रों के प्रमुख आवास हैं। भारत में, लद्दाख के नुबरा घाटी में लगभग तीन सौ डबल हंप ऊंट पाए जाते हैं। न्यू वल्र्ड कैमेलिड्स के चार सदस्य हैं। ल्लामा ,अलपाका , ग्वानाको और विक्युना। ल्लामा और अलपाका पालतू हैं।  जबकि, ग्वानाको और विक्युना जंगली हैं। यह न्यू वल्र्ड कैमेलिड्स अमेरिकन महाद्वीप के साउथ अमेरिका के एंडीज में ऊँचाई 3,500 से 5,000 मीटर के बीच स्थित हैं। इनके प्राकृतिक आवास के बाहर, अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में वाणिज्यिक ल्लामा फार्म भी स्थापित किए गए हैं।

 

देश में ऊंट संख्या

    1997

    2003

    2007

    2012

    2019

    0.91

    0.63

    0.52

    0.42

    0.25

 

 

उक्त सारणी यह बताती है कि पिछले 22 सालों में ऊंट की जनसंख्या में गिरावट आई है। अत: सरकार को उनके संरक्षण हेतु कदम उठाने चाहिए। ऊँट के सामाजिक-आर्थिक विकास के महत्व को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने 5 जुलाई 1984 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत बीकानेर में ऊँट पर परियोजना निदेशालय की स्थापना की, जो 20 सितंबर 1995 को राष्ट्रीय ऊँट अनुसंधान केंद्र (एनआरसीसी) में क्रमोन्नत हुआ। 

भारत में ऊंट प्रजातियों की भूमिका

ऊँटनी का दूध : एक अनुमान के अनुसार 2021 में भारत में 74 मिलियन व्यक्तियों  में मधुमेह पाया गया जो की 2045 में 124 मिलियन से अधिक होने की संभावना है। ऊंटनी का दूध मधुमेह रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसके नियमित सेवन से रक्त शर्करा कम होती है। ऊंटनी का दूध दूसरे रोगों में भी लाभकारी है जैसे तपेदिक हेपेटाइटिस सी और ऑटिज्म इत्यादि। यह दूध कई गुण  से भरपूर होता है। है। यह मनुष्य की समग्र रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। ऊंटनी के दूध से बने उत्पाद भी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। जैसे  म_ा, पनीर, दूध पाउडर आदि।

ऊंट और मनोरंजन: ऊंट का उपयोग मनोरंजन के लिए भी किया जाता है जैसे ऊंट सफारी, ऊंट नृत्य, ऊंट दौड़, ऊंट की सजावट ,टेटू शौ , ऊंट संग्रहालय आदि।

ऊंट और सुरक्षा:  सेना में ऊंट का उपयोग सीमा सुरक्षा के लिए भी किया जाता है। सीमा सुरक्षा बल राजस्थान और गुजरात की बॉर्डर पर गश्त के लिए ऊंट का उपयोग करती है। इसमें जैसलमेर नस्ल का उपयोग किया जाता है। अभी वर्तमान में बीएसएफ ने पहली महिला ऊंट सवारी दस्ता  पेश किया। जो दुनिया में अपनी तरह का पहला दस्ता है।  भारतीय सेना ने लद्दाख में  रसद पहुंचाने और घुड़सवार गश्त के लिए  ऊंट को तैनात किया है।

ऊंट और आजीविका:  कैमलिड्स दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में छोटे किसानों और स्वदेशी समुदायों के लिए दूध, फाइबर, उर्वरक और परिवहन का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ऊंट भारत में कई परिवारों के लिए आय  का एक स्रोत है जैसे ऊंट गाडिय़ां , ऊंट चमड़े का काम, ऊंट की हड्डी का काम, ऊंट बाल उत्पाद, ऊंट आधारित पर्यटन, ऊंट का दूध और  ऊंट से संबंधित विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियां।

सतत विकास लक्ष्य और ऊंट: भूखमरी को दूर करना, गरीबी को हटाना, महिला सशक्तिकरण और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के टिकाऊ उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों  को आगे बढ़ाने में ऊंट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आईवाईसी 2024,  विभिन्न संस्थाएं और व्यक्ति: . सरकारी- गैर सरकारी संस्थाएं और संगठन, निजी-सरकारी कंपनियां, स्थानीय समुदाय आधारित संगठन, अनुसंधान संस्थान, ऊंट पालकों और ऊंट उद्यमियों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण विकसित करने में लगे हुए हैं। ऊंट संरक्षण को बढ़ावा देना, डेयरी और पारिस्थितिक पर्यटन उद्देश्यों के लिए ऊंट का उपयोग करना, ऊंट पालकों और ऊंट उद्यमियों की क्षमता विकास का आयोजन करना, ऊंट के दूध और दूध उत्पादों के लिए बाजार विकसित करना और प्राकृतिक सहायक के रूप में ऊंट के दूध के बारे में सार्वजनिक जागरूकता विकसित करना एक कठिन कार्य है।


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