अधिक उत्पादन हेतु दुधारू पशुओं का पोषण प्रबंधन
(सभी तस्वीरें- हलधर)डॉ. अनिल कुमार लिम्बा,पशु चिकित्सा अधिकारी, गुढा भगवानदास-नागौर
इसके लिए वैज्ञानिकों द्वारा खाद्य मानक निर्धारित किये गये है। अगर इन मानकों की सिफ ारिशों के अनुसार संतुलित आहार बनाकर दुधारू पशुओं की पोषक तत्वों की आपूर्ति की जाये तब इन पशुओं में काफी अधिक दुग्ध उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
6 पोषक तत्व महत्वपूर्ण
वैज्ञानिक खोजों से यह ज्ञात हुआ है कि पशु पोषण में मुख्यत: 6 पोषक तत्व महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। यह पोषक तत्व मुख्य रूप से प्रोटीन, शर्करा, वसा, खनिज लवण, विटामिन और पानी के रूप में खाद्य पदार्थों में उपस्थित रहते है। दूसरे प्रकार के खाद्य पदार्थों में इन सभी पोषक तत्वों की मात्रा अलग-अलग होती है। इसके अलावा विभिन्न वर्ग के पशुओं में उनके शारीरिक कार्य और उत्पादन के अनुसार इन तत्वों की आवश्यकता भिन्न-भिन्न होती है। पशु को पर्याप्त मात्रा में सभी आवश्यक पोषक तत्व आवश्यकता के अनुसार उपलब्ध होने पर ही उसका उत्पादन उसकी क्षमता के अनुरूप होता है। इसके अलावा पशु के शरीर में उत्पादन और वातावरण यानि मौसम का भी काफ ी प्रभाव पडता है। अत: इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ही संतुलित आहार बनाना चाहिए।
संतुलित आहार
संपूर्ण संतुलित आहार सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों का उचित अनुपात में मिश्रण होता है। संतुलित आहार बनाते समय उपलब्ध भोज्य पदार्थों जैसे भूसाए सूखी घास, हरा चारा, अनाज का दलिया, खली, चोकर, चुरी, खनिज तत्व और विटामिन को निश्चित और जरूरी अनुपात में मिलाना चाहिए। दुधारू पशुओं में पोषक तत्वों की आवश्यक मात्रा उसकी नस्ल, शरीर भार और उसके कुल दुग्ध उत्पादन पर निर्भर करती है। इसलिए इन सभी बातों को ध्यान में रखकर पशुपालकों को संतुलित आहार का निर्धारण करना चाहिए । जिससे संतुलित आहार को उचित मात्रा में खिलाने पर पशुओं को सभी प्रकार के आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति हो सके। दुधारू पशुओं के जीवन निर्वाह और उत्पादन के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धि निश्चित करने के लिए गाय और भैंस को उत्तम किस्म का हरा चारा ज्यादा से ज्यादा मात्रा में खिलाना चाहिए। चूकि हरे चारे के द्वारा सभी प्रकार के पोषक तत्व कम खर्च पर पशु को उपलब्ध हो जाते है। अत: हरे चारे का अधिक से अधिक मात्रा में उपयोग करके उत्पादन में होने वाली लागत को कम करना चाहिये। अगर हरे चारे के द्वारा पोषक तत्व की आपूर्ति न हो रही हो तब सस्ता और संतुलित सांद्र आहार खिलाना चाहिए। पशु को आपूर्ति के लिये सांद्र आहार की मात्रा का निर्धारण पशु का वजन, उसकी उत्पादन क्षमता, उसको खिलाये जाने वाले चारे की मात्रा और चारे की किस्म पर निर्भर करता है।
आहार में हरे चारे का महत्व
पशुओं के आहार में उपयोग होने वाले हरे चारे पोषकता के हिसाब से दो प्रकार के होते हैं। दलहनी और गैर दलहनी हरे चारे। दलहनी हरे चारों में मुख्य हैरू बरसीम, ल्यूसर्न, लोबिया, सोयाबीन, मूंग, ग्वार इत्यादि। जबकि, गैर दलहनी चारों में मुख्य है मक्का, ज्वार, बाजरा इत्यादि। दलहनी हरे चारों में पोषक तत्व मुख्य रूप से प्रोटीन, खनिज तत्व और विटामिन, गैर दलहनी चारों की तुलना में काफ ी अधिक मात्रा में उपस्थित रहते है। आजकल चूंकि दिन प्रतिदिन दाने का भाव बढता जा रहा है । इसलिए अगर पशुओं को भरपेट हरा चारा खिलाया जाये तो इससे वर्षभर दुग्ध उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
हरा चारे के द्वारा पशु को पौष्टिक तत्व प्राप्त होते है और वह उनके लिये काफी रूचिकर होता है। इसके परिणामस्वरूप उनके आहार ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है । जिससे उनको पोषक तत्व अधिक मात्रा में मिलते है और उनका उत्पादन बढ जाता है।
गैर दलहनी चारा
ऐसा पाया गया है कि अगर पशु को पर्याप्त मात्रा में गैर दलहनी चारे खाने के लिए दिये जाते हैं तब पशु को करीब 4-5 किग्रा तक दुग्ध उत्पादन के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त किये जाते है और पशु को अलग से कोई भी सांद्र आहार देने की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए अगर पशुओं को भरपेट हरा चारा खिलाया जाये तो इससे वर्षभर दुग्ध उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसी प्रकार अगर पशु को खिलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में दलहनी चारे प्राप्त होते है तब उनको इतनी मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होते हैं कि कम से कम 10 किग्रा तक दुग्ध उत्पादन के लिये उनको पोषक तत्व की कमी नहीं होती हैं। पाया गया है कि एक किग्रा सांद्र आहार में पाये जाने वाले पोषक तत्व की मात्रा करीब 5 किग्रा हरे दलहनी चारे और 12 किग्रा गैर दलहनी चारे में पाये जाने वाले पोषक तत्व के करीब बराबर होती है।
सांद्र आहार
सांद्र आहार अनाज की दलिया, खली, चुरी,चोकर, खनिज मिश्रण और विटामिन इत्यादि का एक ऐसा मिश्रण होता है जिसमें सभी प्रकार के पोषक तत्व काफ ी अधिक मात्रा में विद्यमान रहते हैं। सामान्यत: दुधारू पशुओं के लिए बनाये जाने वाले सांद्र मिश्रणों में 15-17 प्रतिशत प्रोटीन और 65-75 प्रतिशत तक कुल पाच्य पोषक तत्व हाने चाहिये। सांद्र आहार बनाने के लिये पशुपालकों को चाहिये कि जो भी खाद्य पदार्थ उनके पास पशु को खिलाने हेतु उपलब्ध हो उनकी दलिया बनवा कर उनको उचित अनुपात में अच्छी प्रकार मिलाकर पशु के खाने के लिये देना चाहिये।
पशु आहार
पशु आहार में मुख्य रूप से अनाज की दलिया (मक्का, जौ, ज्वार, बाजरा इत्यादि) करीब 50 प्रतिशत, गेहूं का चोकर 20 प्रतिशत, दाल की चूरी 10 प्रतिशत, तेल बीजों की खली 17 प्रतिशत और खनिज मिश्रण 2 प्रतिशत और नमक 1 प्रतिशत उपयोग करना चाहिये। इन खाद्य पदार्थों की मात्रा के अनुपात में अंतर उनकी पौष्टिकता के अनुसार कम अथवा ज्यादा हो सकती है। अच्छा संतुलित आहार बनाने के लिये पोषण की सलाह अवश्य लें। खाद्य पदार्थों की मात्रा के अनुपात में अंतर पौष्टिकता के अनुसार कम या ज्यादा हो सकता है।
संतुलित आहार खिलाने की मात्रा
दुधारू पशु को संतुलित आहार की उचित मात्रा खिलाने के लिये पशुपालक इसका निर्धारण पशु की उत्पादकता और चारे के रूप में उपलब्ध सूख-हरे चारे की उपलब्धता के आधार पर कर सकते हैं। जैसे कि एक औसतन दुधारू पशु को खाने के लिए अगर चारा के रूप में केवल निकृष्ठ प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे कि भूसा और कड़बी ही उपलब्ध हो तब उसको रख रखाव के लिए करीब 1.5- 2.0 किग्रा सांद्र आहार और प्रत्येक 2.5 से 3.0 किग्रा दूध उत्पादन के लिए 1.0 किग्रा सांद्र आहार खिलाना चाहिए। अगर पशुओं को खिलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में गैर दलहनी चारा जैसे कि मक्का, ज्वार इत्यादि उपलब्ध हो, तब उनके रख रखाव व कम से कम 3 किग्रा तक दूध उत्पादन के लिये सांद्र आहार खिलाने की आवश्यकता नहीं पडती है। 3 किग्रा से अधिक दूध उत्पादन के लिए 1.0 किग्रा सांद्र आहार प्रति 2.5 से 3.0 किग्रा दूध उत्पादन पर खिलाना चाहिए। इसके अलावा अगर पशु को खिलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में दलहनी हरे चारे जैसे कि बरसीम, ल्यूसर्न, इत्यादि उपलब्ध हो तब करीब 8-10 किग्रा दुग्ध उत्पादन के लिये पशु को सांद्र आहार खिलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है और अगर पशु का उत्पादन इससे अधिक हो तब प्रति 2.5-3.0 किग्रा दूध उत्पादन के लिए के लिये 1.0 किग्रा सांद्र आहार ऊपर से खिलाने की आवश्यकता होती है।