आय का जरिया खरगोश पालन (सभी तस्वीरें- हलधर)
खरगोश पालन एक लाभदायक व्यवसाय है। खरगोश पालन बहुत कम लागत वाला व्यवसाय होने के साथ ही इसमें घर के पिछवाडे, छत अथवा बगीचे में भी शुरू किया जा सकता है। खरगोश को शहतूत पत्तियां, रिजका, जई, ज्वार, बाजरा, मक्का, घास के अतिरिक्त रसोई घर में बची हुई सब्जियो जैसे मटर, गाजर, टमाटर, काकड़ी, गोभी, शलजम, मूली के छिलके आदि खिलाकर भी पाला जा सकता है। लगभग 4 महीने में खरगोश के बच्चे का वजन 2 से 3 किलो हो जाता है। खरगोश की विष्ठा में उर्वरकता होती है जिसे बेचकर अतिरिक्त आमदनी की जा सकती है। खरगोश का मांस अधिक पौष्टिक, अधिक प्रोटीन और कम वसा वाला तथा सबसे कम कैलोरी का होता है जिसके कारण मोटापा, ह्रदयरोग, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, मधुमेह एवं कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी साबित हुआ है।
खरगोश पालन के लाभ- खरगोश में उच्च उत्पादन क्षमता होती है। एक अच्छी मादा एक बार में 7 से 8 बच्चों को जन्म देती है। प्रजनन वर्षभर चलता रहता है। इसके मांस असंतृप्त वसीय अम्ल युक्त होने से इसकी बाजार में बहुत अधिक मांग है। खरगोश से प्राप्त ऊन दूसरे पशुओं की ऊन की तुलना में अधिक गर्म होती है।
पालने योग्य विभिन्न नस्लें-
मांस उत्पादक : ग्रेजाइंट सोवियत, चिंचिला व्हाइट, जाइंट डच, न्यूजीलेंड व्हाइट, ब्लकै ब्राउन। ऊन उत्पादक: अंगोरा
आवास - खरगोशों का आवास डीप लीटर (फर्श पर घास और चारे की भूसा बिछाकर) और पिजंरा प्रणाली द्वारा किया जा सकता है। खरगोश का आवास अच्छे वेंटिलेशन के साथ ऊंचे स्थान पर स्थित होना चाहिए। पिजंरे और शेड साफ-सुथरे रहने चाहिए। शेड की चुने से पुताई साल में दो बार करनी चाहिए। पिजंरों को समय पर संक्रमण रहित करना चाहिए। ताकि, बीमारियों का खतरा कम किया जा सके। गर्मियों में पानी का छिड़काव अथवा उचित ठंडक का माध्यम उपलब्ध करवाना चाहिए। जीवाणु जनित सूक्ष्मजीवों से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए टेट्रासाइक्लि और एंटीबायोटिक को 0.50 ग्राम प्रति लीटर की दर से पीने के पानी में मिलाकर प्रति माह 3 दिन दे सकते हैं।
आहार प्रबधंन: खरगोश आहार में उपयोग होने वाले चारे में रेशेदार पदार्थ, फाईबर अपेक्षाकृत अधिक और सुपाच्य पोषक पदार्थ (कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज पदार्थ, विटामिन इत्यादि) कम मात्रा में होते है। खरगोश को हरे चारे के रूप में जई, मक्का, फ्रेस्को घास, राई घास, बरसीम, लोबिया, क्लोवर, बिल्वपत्र, रोबिनिया, शहतूत, कचनार, बॉन तथा काहू के अतिरिक्त रसोई घर में बचे हुए सब्जियों जैसे मटर, गाजर, टमाटर, काकड़ी, गोभी, शलजम, मूली के छिलके, सरसों एवं पालक के पत्ते आदि भी खिलाया जा सकता है।
दाना- खरगोश को दिए जाने वाले दाने ज्यादा बारीक पिसे नही हो बल्कि दलिया के रूप में देने चाहिए। ताकि, आहार व्यर्थ न हो और गर्मियों में खरगोशो को छींको की समस्या नही हो।