बहुरंगी मत्स्य किस्म की विशेषता
(सभी तस्वीरें- हलधर)इस कारण एक्वेेरियम उद्योग तेजी से फल-फूल रहा है। प्रदेश सरकार भी बीसलपुर बांध पर सजावटी मत्स्य पालन का कार्य शुरू करने जा रही है। यहां पर सजावटी मछलियों के पालन से जुडऩे वाले किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। साथ ही, मत्स्य बीज भी उपलब्ध करवाया जायेगा। एक्वेरियम में पालने हेतु प्रयुक्त मछलियां आकार में छोटी होते हुए भी आकर्षक संरचना और विभिन्न रंगो वाली होती है। इनकी वृद्धि भी अपेक्षाकृत धीरे-धीरे होती है। एक्वेेरियम में पाली जाने वाली प्रमुख मछलियॉ निम्न है।
गप्पी
इस प्रजाति को मिलियन फि श नाम से पहचाना जाता है। नर 3-4 सेमी और मादा 5-6 सेंमी लम्बी होती है। गप्पी मछलियों मे नर फि श मादा से अधिक सुन्दर होती है। चयनित प्रजनन द्वारा गप्पी की मुख्य नस्ल में फेनटेल, फ्लेगटेल, पिनटेल, गोल पूंछ, गोल्डन गप्पी, ग्रीनलेस आदि है।
काली मोली
मीठे और खारे पानी में पाये जाने वाली एक्वेरियम फि श है। जो 7-10 सेमी आकार की होती है। पूंछ के आकार और रंग के आधार पर इसकी एलविनो हरी चोकलेट और गोल्डन प्रजाति तैयार की गई है।
प्लेटी
इसका नर 4-5 सेमी और मादा 6-7 सेमी होती है। यह मछली शिशु को जन्म देती है। प्लेटी को पंख और रंग के आधार पर स्वांड टेल, वेरीयरस प्लेटी, काली पूंछ वाली प्लेटी, लाल प्लेटी, पिलि प्लेटी आदि नस्ल में बांटा गया है। इनको हल्का कठोर पानी अधिक पसन्द है।
गोरामी
यह एक्वेरियम में पाली जाने वाली मछलियो में से बहुत ही सुन्दर प्रजाति है । इनका पेलवीक पंख काफ ी लम्बा होता है, जो तैरते समय पूर्ण खुल जाने पर बहुत सुन्दर लगता है। इनके गलफ डो के पीछे दोनों ओर एक जोडी मुछें होती है, जिससे यह गंदले पानी में भी भोजन तलाश लेती है। यह 4-12 सेमी आकार की होती है। इस मछली की बड़ी गोरामी, छोटी गोरामी, पर्ल गोरामी, हनी गोरामी, किशीग गोराम, नीली गोरामी आदि प्रजातियां है।
फ ाइटर फि श
5-6 सेमी लम्बी इस मछली का रंग मुख्यत: पीला-भूरा और ऊपरी पंख हरा, किनारो पर लाल रंग का होता है। इसका पंख काफ लम्बा होता है। प्रजनन काल में इसके नर आपस में संघर्ष करते है। इसी कारण इसका नाम फ ाइटर रखा गया है। अगर प्रजनन काल में मादा सहयोग नहीं करें तो नर उसे मार देता है।
एंजिल फि श
यह 15 सेमी लम्बी, शरीर पतंग की आकृति का होता है। पंख लम्बे, शरीर का रंग भूरा-सिल्वर, आंख गोल्डन, शरीर पर काली धारियां पायी जाती है।
कोईकर्प
कोई कार्प को कामन कर्प मछली से विकसित किया गया है। इसकी लाल-सफेद, सफेद-काली और सफेद-लाल-काली रंग की मछली को काफी पसंद किया जाता है।
टेड्रा
इस परिवार की मछलियों के उध्र्वत्ल पंख के पीछे, छोटे-छोटे एडीपोज होते है। इनके जबड़ो में दांत होते है। प्रमुख टेड्रा मछलिया निम्न है। विडोट्रेडा, सर्पी टेड्रा, नियोन टेड्रा, लैम्न टेड्रा, ब्लीडींग हर्ट टेड्रा, रोजी टेड्रा, कार्डीनल टेड्रा और पिरान्हा है
बार्ब
इन मछलियो के लम्बे, चमकीले, कांच की तरह स्केल होते है। जो प्रकाश में चमकते है। इस प्रजाति में टाइगर बार्ब, रोजी बार्ब, रसबोरा हर्लीक्वीन, आई स्पोटेड़ रसबोरा शामिल है।
जेब्रा डेनिया
भरतपुर में यह मछली अच्छी मात्रा में पायी जाती है। इसके सिल्वर रंग के शरीर पर अनेक नीली और काली लाइन बनी होती है। इसका आकार 5 सेमी, खाने में जीवित भोजन चाव से खाती है।
बंगला डेनियो
यह भारतीय मूल की फि श है, जो 10 सेमी लम्बी होती है। इसके शरीर का ऊपरी भाग हल्का हरा और निचला हल्का सिल्वर रंग का होता है।
स्पोटेड़ डेनियो
यह 7 सेमी. लम्बी होती है। इसके शरीर का ऊपरी भाग गहरे रंग का और बीच में एक लाईन होती है। इसके पंखो पर छोटे-छोटे नीले रंग के निशान बने होते है।
लेबियों
इन मछलियो का उध्र्वतल का पंख तिकोना होता है। यह मछली 20 सेमी लम्बी होती है। इस समूह में मुख्य रूप से लाल पूंछ वाली शार्क, काली शार्क, कूली लोच, कलाऊन लोच ओर कोरीडोरस आती है।