मुर्गीपालन से आमदनी

नई दिल्ली 12-Apr-2024 06:33 PM

मुर्गीपालन से आमदनी (सभी तस्वीरें- हलधर)

मुर्गी पालन व्यवसाय अण्डा एवं मांस दोनों के ही उत्पादन के लिए किया जाता है। लेकिन आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि अण्डा उत्पादन से ज्यादा मुनाफा ब्रॉयलर पालन यानि मांस उत्पादन में होता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मांस उत्पादन के लिए चूजें 40-45 दिन में तैयार हो जाते हैं। जबकि अण्डा उत्पादन के लिए तैयार होने में कुक्कुट को साढ़े पांच महीने तक लग जाते हैं। ऐसे मुर्गे जिन्हें सिर्फ मीट प्राप्त करने के लिए पाला जाता है, उन्हें ब्रायलर कहते हैं। इन मुर्गों का पालन ही ब्रॉयलर पालन कहा जाता है। ये खास किस्म के मुर्गे होते हैं। जिनकी शरीरिक बढ़त बहुत तेजी से होती है। ब्रायलर पालन व्यवसाय को छोटे स्तर से शुरू करके, अंशकालिक व्यवसाय के तौर पर भी अपनाया जा सकता है।

चूजें का चुनाव
ब्रायलर पालन में चूजें का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण होता है। चुस्त, फुर्तीले, चमकदार आंख वाले तथा समान आकार के चूजे उत्तम होते हैं। स्वस्थ चूजें की पिण्डली या पैर की खाल चमकदार होती है। चूजें को खरीदते समय ये ध्यान रखें कि पक्षी के वजन में अन्तर न हो। क्योंकि वजन में जितना अन्तर होगा, आमदनी उतनी घटती चली जाती है। चूजे किसी भी मान्यता प्राप्त व्यक्तिगत अथवा सरकारी संस्था से खरीदे जा सकते हैं। 
ब्रायलर प्रजाति
ब्रायलर के लिए उपयुक्त प्रजातियां हैं कारीब्रो-विशाल, कारीरेनब्रो, कारीब्रो- मृत्युंजय और बड़े पालक के लिए वैनकॉक, हबबर्ड, पोनिक्स आदि प्रजाति है।

आवास की व्यवस्था
ब्रॉयलर पालन के लिए मुख्य तौर पर दो प्रकार के घर तैयार किये जाते हैं।
> पिंजरासिस्टम- इसमें पक्षियों की ब्रूडिंग स्थिति (झुंड में रखने की अवस्था) में 0.25 वर्ग फीट प्रति चूजा स्थान होना चाहिए और बढ़वार की स्थिति में आधा वर्ग फीट प्रति ब्रायलर चूजे के लिए स्थान होना चाहिए।
> डीपलिटर सिस्टम- इसमें फर्श पर पालन किया जाता है। इसमें ब्रूडिंग स्थिति में प्रति ब्रायलर चूज़े का स्थान 0.50 वर्ग फीट होना चाहिए और बढ़वार की स्थिति में 1.00 वर्ग फीट होना चाहिए।

तापमान का प्रबंधन
चूजे को ब्रूडर में रखने के बाद ये देखना चाहिए कि तापमान उनके लिए उपयुक्त है या नहीं। क्योंकि तापमान की कमी और अधिकता से चूजे की बढ़वार पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तापमान परिवर्तित होने पर चूजे असहजता के कारण अजीब तरह की गतिविधि करने लगते हैं। गर्मी ज्यादा होने पर बाड़े में कूलर की व्यवस्था ज़रूर कर दें। जब नए चूजे को बाड़े में रखा जाता है तो शुरुआति दो-तीन दिन तक बाड़े में 33 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान बनाए रखें और इस अवस्था के बाद बाड़े का तापमान 21 डिग्री सेन्टीग्रेड बनाए रखना होता है।

आद्र्रता से घातक
नमी बढऩे पर चूजें का बिछावन गीला हो जाता है। जिससे सांस सम्बंधी कई समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसलिए आद्र्रता 50 से 60 प्रतिशत से ज्यादा होने पर उनका बिछावन समय-समय पर बदलना चाहिए।

नए चूजें की देखभाल
मुर्गीपालन में नये चूजे लाने व उनकी देखभाल के लिए मुर्गीघर को कीटणुनाशक दवाई डालकर पानी से धोना चाहिए तथा आंगन पर साफ -सुथरा होना चाहिए। मुर्गीघर का तापमान हीटर से नीयत करना चाहिए चूजें के लिए साफ  व ताजा पानी हर समय उपलब्ध रखना होगा। 

हवा का आवागमन
चूजे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए हवा का उचित आवागमन बहुत आवश्यक होता है। प्रति घंटे 3 से 5 बार कमरे की हवा को परिवर्तित करना चाहिए। पक्षी के मूत्र से बिछावन भीग जाता है। जिससे अमोनिया गैस इक_ा हो जाती है। इससे पक्षी की आंख में खुजलाहट होती है और शारीरिक वृद्घि भी रुक सकती है। इसलिए हवा के आवागमन का खास ध्यान रखना चाहिए।

रोशनी की व्यवस्था
ब्रायलर आवास में प्रकाश का प्रबंध आमतौर पर बल्ब से किया जाता है। 23 घंटे लगातार बाड़े में प्रकाश बनाए रखें और सिर्फ एक घंटा अंधेरा रखें, चाहे वह आवास खुले हों या बंद। शुरुआत के एक से 15 दिन तक 200 वर्ग फीट आकार के कमरे में 40-60 वॉट के बल्ब का प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद 15 वॉट का बल्ब प्रकाश के लिए काफी होता है।

मुर्गी की छंटनी
मुर्गीपालन के लिए और महत्वपूर्ण अंग है मुर्गी की छंटनी नियमित रूप से करना ,खराब मुर्गी की छंटनी। मुर्गी के उत्पादन रिकार्ड को देखकर तथा उसके बाहरी लक्षण को ध्यान में रखकर खराब मुर्गी को हटाया जा सकता है। 

पोषक आहार
ब्रायलर को शुरू से ही भर पेट खिलाएं । जिससे वे तेजी से बढ़ेंगे। ब्रायलर चूजे अंडे देने वाली मुर्गी की तुलना में काफी तेजी से बढ़ते हैं। वृद्घि की गति को ध्यान में रखकर इनके लिए दो प्रकार के आहार उपयोग में लाये जाते हैं-
स्टार्टर आहार- चूजों को शुरुआति दिन में दिए जाने वाले आहार को स्टार्टर कहते हैं। बाड़े में रखने के चार सप्ताह में ब्रायलर को स्टार्टर आहार दिया जाता है। जिसमें करीब व23 फीसदी प्रोटीन और करीब 3000 कैलोरी उर्जा होती है। इससे पक्षी का वजन और मांसपेशी का विकास तेजी से होता है।
फिनिशर आहार- पक्षी को चार सप्ताह के बाद से फिनिशर आहार देना होता है। इसमें ऊर्जा की मात्रा में तो कोई परिवर्तन नहीं होता है। लेकिन, प्रोटीन की मात्रा घटा दी जाती है।

टीकाकरण
ब्रायलर का टीकाकारण कराना सबसे आवश्यक है। क्योंकि इससे मुर्गे गंभीर बीमारियों से बचे रहते हैं।


मैरेक्स टीका : चूजे को सबसे पहले मैरेक्स का टीका लगवाना चाहिए। जिससे उन्हें मैरेक्स बीमारी से सुरक्षा मिल सके। यह संक्रामक रोग चूजें को ही लगता है। इसलिए चूजें को हैचरी से बाड़े में रखने पर यह टीका लगवाना बहुत जरुरी है। इस रोग का प्रकोप होने पर उनकी टांगे और गर्दन कमजोर हो जाती है।


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