छोटे किसान ही खाद्य सुरक्षा की ताकत

नई दिल्ली 27-Aug-2024 12:59 PM

छोटे किसान ही खाद्य सुरक्षा की ताकत

(सभी तस्वीरें- हलधर)

कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) में पीएम ने कहा  कि भारत खाद्यान्न अधिशेष वाला देश बन गया है और वह वैश्विक खाद्य- पोषण सुरक्षा के लिए समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में भी काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि 65 वर्ष पूर्व जब यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन भारत में आयोजित हुआ था, उस समय भारत की खाद्य सुरक्षा विश्व के लिए चिंता का विषय थी। लेकिन, अब वैश्विक खाद्य संकट की चुनौतियों के बीच भारत दुनिया के 150 से अधिक देशों को खाद्य पदार्थों के निर्यातक देश के रूप में रेखांकित हो रहा है। साथ ही , कोरोना काल से लगातार 80 करोड़ से अधिक कमजोर वर्ग के लोगों को मुफ्त में अनाज देने की भारत की पहल दुनिया भर में रेखांकित हो रही है। वर्ष 2023 में भारत ने करीब 50 अरब डॉलर मूल्य का कृषि निर्यात किया है और दुनिया का आठवां बड़ा कृषि निर्यातक देश बन गया है। इन दिनों वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर प्रकाशित हो रहीं विभिन्न अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में भारत की नई अहमियत पता चल रही है। इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध, इस्राइल-हमास युद्ध और अन्य भू-राजनीतिक कारणों से वैश्विक खाद्य संकट गहराता जा रहा है, तब दुनिया के अनेक देशों को खाद्य संकट से निपटने और उनकी खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर भारत एक मददगार देश बना हुआ है। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से कहा कि कृषि व्यवस्था को बदलना समय की मांग है। देश के किसान भारत को विश्व की ऑर्गेनिक फूड बास्केट बना सकते हैं और विश्व के देशों के लिए भारत मददगार हो सकता है। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष सहित सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न वैश्विक संगठनों द्वारा भारत की खाद्य सुरक्षा की सराहना की जा रही है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि देश ने कृषि उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचाइयां प्राप्त की हैं। खासतौर से पिछले 10 वर्षों में कृषि विकास के अभूतपूर्व प्रयासों से अब भारत दुनिया के खाद्य कटोरे के रूप में पहचान बना रहा है। कृषि भारत की आर्थिक नीतियों के केंद्र में है। भारतीय कृषि में 90 प्रतिशत किसानों के पास बहुत कम जमीन है और यह छोटे किसान भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं। कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिए फसलों की 1,900 नई जलवायु-अनुकूल किस्में उपलब्ध कराई गई हैं। भारत रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है। भारत ने मोटे अनाज को श्रीअन्न का नाम देकर इसे एक लाभदायक समाधान के रूप में प्रस्तुत किया है। भारत कृषि क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहा है।
वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में घोषित नौ उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र भी शामिल है। बजट में कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। नए बजट में सरकार उपज के संग्रहण, भंडारण और विपणन सहित सब्जी आपूर्ति शृंखलाओं के लिए किसान-उत्पादक संगठनों, सहकारी समितियों और स्टार्टअप को बढ़ावा संबंधी प्रावधान शामिल किए गए हैं। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2023-24 के लिए प्रमुख फसलों का, जो तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया है, उसके मुताबिक कुल खाद्यान्न उत्पादन 3288.52 लाख टन अनुमानित है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में दूध, दालों और मसालों का नंबर एक उत्पादक है। इसके अलावा, देश खाद्यान्न, फल, सब्जियां, कपास, चीनी और चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। ऐसे में जब देश में खाद्यान्न उत्पादन ऊंचाई बना रहा है।  तब खाद्यान्न भंडारण की अधिक क्षमता भी जरूरी है। अभी 12 से 14 फीसदी तक अन्न बर्बाद हो जाता है। देश में भंडारण क्षमता फिलहाल 1,450 लाख टन की है, उसे 2,150 लाख टन किए जाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है। हम उम्मीद करते हैं कि बढ़ती हुई वैश्विक खाद्यान्न सुरक्षा जरूरतों के बीच देश में सरकार के द्वारा अधिक खाद्यान्न उत्पादन कृषि प्रणाली मॉडल पर केंद्रित जलवायु स्मार्ट दृष्टिकोण, हरित और जलवायु अनुकूल कृषि के लिए वित्तपोषण, छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए कृषि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार के द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए अधिक निवेश, समावेशी कृषि मूल्य शृंखलाएं, कृषि-खाद्य क्षेत्र को बदलने के लिए नई-उभरती डिजिटल तकनीकों की, भूमि के डिजिटलीकरण के लिए खेती में ड्रोन को बढ़ावा, कृषि अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों के बीच मजबूत साझेदारी और टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों की डगर पर आगे बढऩे की कारगर रणनीति अपनाई जाएगी।


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