पुष्प वाटिका देती है खुशी

नई दिल्ली 04-Aug-2024 02:49 PM

पुष्प वाटिका देती है खुशी (सभी तस्वीरें- हलधर)

पुष्प वाटिका देती है खुशी
बगीचे में कई ऐसे फूल और पौधे होते है जो सुखद अहसास देते हैं। बगीचे में कई प्रकार के फूल और पौधे खिलते है जैसे की गुलाब, सूरजमुखी, डाहलिया, चमेली, गेंदा, आम, रात में खिलने वाला चमेली, कंद का फूल, हिबिस्कस और ऐसे ही बहुत सारे। बागवानी से हमें अनेक तरह के लाभ होते है। अक्सर घर में वृद्ध लोग बागवानी करके अपना टाइम पास करते है। यह खाली वक्त बिताने का बहुत अच्छा विकल्प होता है। वही, इनकों देखने मात्र से खुशी मिलती है। 
पुष्प वाटिका बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें 
>     पुष्पवाटिकाके लिए भवन के सामने वाली जगह जहाँ प्रचुर मात्रा में धूप आती हो सर्वोत्तम है।
>     पुष्पवाटिका बनाने से पूर्व पानी की उपलब्धता और निकास की व्यवस्था सुनिश्चित कर लें। 
>     स्वस्थबीज और पौध का चुनाव करें। बीज-पौधें विश्वसनीय संस्था से ही खरीद करें। 
>     पौधोंबीमारी- कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं का प्रयोग कम करना चाहिए। जहाँ तक हो सके निमयुक्त और जैविक दवा का ही प्रयोग करें। 
>     पुष्पवाटिका के प्रवेश द्वार को शोभनीय बनाने के लिए गहरे रंग की फूलवाली लताओं का प्रयोग कर सकते हैं। 
>     पुष्पवाटिका के चरों तरफ  बाड़ का होना आवश्यक है। इसके लिए शोभादार झाडिय़ों का प्रयोग कर सकते हैं। 
>     पुष्पवाटिका में प्रयोग की जाने वाले ईटों, पत्थरों और गमलों को सुंदर रंग से पेन्ट करके वाटिका को और भी आकर्षक बनाया जा सकता है। 
पुष्प वाटिका के प्रकार
पुष्पवाटिका की बनावट वस्तुत: भूमि की उपलब्धता और गृह स्वामी की रूचि पर निर्भर करती है। 
बड़ी पुष्प वाटिका 
यदि भवन के आस-पास 800- 1000 वर्गमीटर अथवा उससे अधिक जगह उपलब्ध हो तो उसमें बडे आकार की पुष्प वाटिका बनाई जा सकती है। जिसे एक पूर्ण उद्यान का रूप दिया जा सकता है । इसमे नाना प्रकार के अंलकृत पौधे लगाए जा सकते हैं। भवन को बाहरी सड़क से जोडऩे वाला मार्ग प्राय: सामने वाले भाग को दो भागों में विभाजित करता है। इसके दोनों ओर उचित विधि से लॉन के बीचोबीच शोभाकारी झाड़ीदार पौधा लगाया जा सकता है। इसी भाग में गुलाब वाटिका बनाकर अपनी पुष्पवाटिका को और भी आकर्षक और मनमोहक बनाया जा सकता है। किनारे पर अलग-अलग प्रकार की शोभाकारी झाडिय़ा और पौधें लगाए जा सकते है। 
मध्यम पुष्प वाटिका 
जब पुष्प वाटिका का आकार 300- 600 वर्गमीटर हो तो उसे मध्यम श्रेणी की पुष्प वाटिका कहते हैं। इसमें बडे आकार की झाडिय़ां और अंलकृत वृक्षों को छोड़कर शेष सभी प्रकार के पौधे लगाए जा सकते हैं।  
छोटी पुष्प वाटिका 
छोटे घरों में जहाँ सिर्फ 100-200 वर्गमीटर तक ही जहग उपलब्ध हो वहाँ छोटी पुष्प वाटिका बनाई जा सकती है। इसमें अलंकृत पौध अथवा झाड़ीदार पौधों को लगाने की सम्भावना नहीं होती है । किन्तु क्यारियों में मौसमी फूल और बहुवर्षीय पौधों को योजनाबद्ध तरीके से लगाकर एक आकर्षक पुष्पवाटिका बनाया जा सकता है। 
अधिक छोटी पुष्प वाटिका
जब घर के सामने केवल 10-50 वर्गमीटर तक ही जगह उपलब्ध हो, वहाँ भी छोटी-छोटी क्यारियों में मौसमी फूल और कुछ बहुवर्षीय पौधे लगाकर अपने आस-पास फूलों के नैसर्गिक सौन्दर्य का आनन्द उठाया जा सकता है। 
गमलों- डिब्बों की वाटिका 
जिन घरों में पौधे उगाने की कोई जगह नहीं हो। वहां गमलों और डिब्बों में अलंकृत पौधे लगाकर बालकनी और छज्जों पर छोटी सी बगिया बनाई जा सकती है। घर में रखें फालतू डिब्बों का उपयोग सुंदर-सुंदर फूल लगाने के लिए किया जा सकता है। 
पुष्पवाटिका के लिए उपयुक्त अंलकृत पौधे
मौसमी फू ल
शीतकालीन पुष्प 
बुवाई का समय:- सितम्बर-अक्टूबर
रोपण का समय :- अक्टूबर-नवम्बर
पुष्प:- गेंदा, गुलदाउदी, पेपर फ्लावर, डॉग फ्लावर,एस्टर, कैलेन्डुला, स्वीट एलाइसम, कैन्डीटपट, पॉपी, पैन्जी, साल्वीया, सिनेरेरिया, स्टॉक, क्लाकीर्या, कॉस्माँस, कार्न फ्लावर, डहेलिया,  डेजी, डाईमाँफ ोंथीका, आइसप्लान्ट, गजनिया, पिटुनिया, फ्लाँक्स, वर्बेना, वाँल फ्लावर इत्यादि। 
ग्रीष्मकालीन पुष्प 
>     बुवाईका समय:- फरवरी-मार्च
>     रोपणका समय :- माच-अप्रैल
>     पुष्प:-कोचिया, कोसमोंस, गलैर्डिया, गामफ्रे ना, जिनिया, तिथोनिया, सूरजमुखी इत्यादि। 
वर्षाकालीन पुष्प 
>     बुवाईका समय:- मइ-जून
>     रोपाईका समय:-जून-जुलाई
>     अमैरेन्थ,गेंदा, गैलार्डिया, जटाधारी, बालसन इत्यादि। 
कंदीय पुष्प 
ग्लैडीओलस, लिली, बिमोनिया, रजनीगंधा, अमैरिलिस, नर्गिस इत्यादि। 
शोभाकारी झाडिय़ाँ 
चाँदनी, गुडहल, कामिनी, लाल कनेर, पीली कनेर, रात की रानी, टिकोना, फाइकस, हेमेलिया पेटेन्स, डूरेन्टा, लैजेस्ट्रोमिया, पुत्रानजीवा, टीकोमा इत्यादि। 
शोभाकारी लताएं
अन्टीगोनोन, क्लेरोडेन्ड्रान, स्प्लेंडेंस, लोनीसेरास जैपोनिका, टीकोमा ग्रैंडीफ्लोरा, पुट्रीया वाँलुबिलिस, बाउगेनवेलिया प्रजातियाँ इत्यादि।
फाटक अथवा लोहे के सांचे पर चढ़ाने के लिए
एलामांडा कथाटीर्का, एन्टीगोनोन प्रजातियाँ, मालती (विवसक्वैलिस इन्डिका) टीकोमा प्रजातियाँ बिग्नोनीया वेनेस्टा इत्यादि
शोभाकारी वृक्ष 
कचनार, मौलश्री, अशोक, बाटल ब्रश, गुलमोहर, केसिया प्रजातियां।
गमलों-डिब्बों के लिए उपयुक्त पौधे 
मौसमी एकवर्षीय पौधे जैसे पैन्जी, जिनिया, कोचिया, पिटुनिया, नैस्चशिर्यम, गेंदा, गुलदाउदी, पोर्चुलेका इत्यादि। गुलाब, विन्का, कोंलियस अरेलिया, डाइफेनबेकिया, कैलेडियम, एग्लोनिमा, एस्पिडिस्ट्रा, सिनगोनियम, सीडन, कैक्टस,क्लान्चु, एस्पैरेगस, क्लोरोफाइतम, कॉर्डीलाइन, मनी प्लान्ट, ड्रैसेना, हैडेरा इत्यादि। 
डॉ अजीत कुमार श्रीवास्तव, 
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, गोरखपुर