गेंदे की वैज्ञानिक खेती
(सभी तस्वीरें- हलधर)गेंदे के पौधों को विभिन्न प्रकार की जलवायु अवस्था और मिट्टियों में आसानी से उगाया जा सकता हैं। इसके खूबसूरत फूलों का पुष्पन काल लम्बा होता हैं।
गेंदे की उन्नत किस्में
बड़े फूल वाली (अफ्रीकन गेंदा)- क्राउन ऑफ गोल्ड (पीला), जॉइन्ट सनसेट (नारंगी), सपन येला (पीला), सपन गोल्ड, येलो फलकी, येला स्टोन, गोल्डन एज, ऑरेंज हवाई।
छोटे फूल वाली- रेड ब्रॉकेट, बटर स्कोच, गोल्डी, रस्टी रेड, लेमन जेम, स्कारलेट ग्लो, लेमन ड्रॉप, रेड चेरी, बोनन्जा फ्लेम, येलो बॉय, गोल्डन बॉय, हनी कॉम्ब, स्कारलेट सोफिया, क्वीन सोफिया।
संकर किस्मे-ब्यूटी गोल्ड, ब्यूटी ऑरेंज, ब्यूटी येलो, ऑरेंज जुबिली, गोल्डन जुबिली, डायमंड जुबिली, येलो क्लाइमेक्स, फस्ट लेडी, प्रेमरोज लेडी, रायलयेलो, रायल ऑरेंज।
भारतीय किस्में- पूसा नारंगी गेंदा और पूसा बसन्ती गेंदा पूसा अर्पिता।
बीज दर- 700-800 ग्राम संकर किस्म और 1.25 किग्रा सामान्य किस्म प्रति हैक्टयर।
बुवाई समय- सितम्बर से मध्य अक्टूबर।
पौध रोपाई- अफ्रीकन किस्म
कतार की दूरी- 60 सेमी
पौधे की दूरी- 45 सेमी
समान्य किस्म
कतार की दूरी- 40 सेमी
पौधे की दूरी- 40 सेमी
खाद, उर्वरक- 200 क्विंटल कम्पोस्ट खाद अंतिम जुताई के समय। 120-160 किलो नत्रजन, 60-80 किलो फास्फोरस, 60-80 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टयर। नत्रजन की शेष आधी मात्रा पौधा रोप के 30-40 दिन के अन्दर प्रयोग करें।