अक्षय ऊर्जा: आज की आवश्कता

नई दिल्ली 17-Dec-2024 01:46 PM

अक्षय ऊर्जा: आज की आवश्कता

(सभी तस्वीरें- हलधर)

एक तरफ जनसंख्या वृद्धि और परम्परागत ईंधन की आपूर्ति में कमी, देश की शहरी और ग्रामीण गरीब आबादी की भलाई के लिये चुनौती बनी हुई है तो दूसरी तरफ हमारे परम्परागत ऊर्जा स्रोत समाप्त होने के कगार पर है। पर्यावरणीय प्रदूषण, सामाजिक - आर्थिक दबाव ओर राजनीतिक उठापटक समस्या को और गंभीर बनाते हैं। अतएवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास- प्रयोग और इस हेतु दृढ़ इच्छा शक्ति का होना आज की आवश्यकता है। अक्षय ऊर्जा, अक्षय विकास का प्रमुख स्तम्भ है। यह एक ऐसा विकल्प है, जो असीमित है।
संभावनाओं से भरा क्षेत्र
अक्षय ऊर्जा सुरक्षित, स्वत: स्फूर्त और भरोसेमंद हैं। साथ ही, इनका समान वितरण भी संभव है। भारत में अपार मात्रा में जैवीय पदार्थ, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस और लघु पन बिजली उत्पादक स्रोत हैं। देश का अपारम्परिक ऊर्जा कार्यक्रम विश्व के इस प्रकार के विशालतम कार्यक्रमों में से एक है। इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रौद्योगिकी, बायोगैस, समुन्नत चूल्हे, बायोमास गैसीफायर, शीघ्र बढऩे वाली वृक्ष-प्रजातियां, जैवीय पदार्थ का दहन और सह-उत्पादन, पवन-चक्कियों द्वारा जल निकासी, वायु टर्बाइनों द्वारा शक्ति का उत्पादन, सौर तापीय और फोटो वोल्टायिक प्रणालियाँ, नागरीय घरेलू, औद्योगिक अवजल और कचरे से ऊर्जा उत्पादन, हाइड्रोजन ऊर्जा, समुद्री ऊर्जा, फुएल सेल, विद्युत चालित वाहन (बसें) और परिवहन के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर कार्य हो रहा है।
कुछ तथ्यात्मक जानकारी 
>     भारतअक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व में सातवें स्थान पर है, पवन ऊर्जा के क्षेत्र में चौथे स्थान पर और सौर ऊर्जा में दसवें स्थान पर है। चीन प्रथम स्थान पर है।
>     विश्वका सबसे बड़ा सोलर पार्क (2018) बेंगलुरु में स्थापित है। जिसकी क्षमता 23379 मेगावाट है।
>     भारतको दुनिया में दूसरा सबसे आकर्षक नवीकरणीय ऊर्जा बाजार माना जाता है ।
>     2016-17के अंत तक राष्ट्रीय बायोगैस और खाद प्रबंधन कार्यक्रम (एनबीएमएमपी) के तहत देश में लगभग 4.96 मिलियन घरेलू आकार बायोगैस संयंत्र स्थापित किए गए ।
>     हाइड्रोपावरकुल अक्षय ऊर्जा उत्पादन स्थापित क्षमता का 43 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत है।
>     भारतकी विगत 3 वर्षों में 2.6 गीगावाट से 12.2 गीगावाट तक सौर क्षमता 370 प्रतिशत बढ़ी है।
>     गुजरात,कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और राजस्थान देश के प्रमुख अक्षय ऊर्जा उत्पादित राज्य है ।
>     राजस्थानउच्च अक्षय ऊर्जा उत्पादित राज्यों में से एक मुख्य है। सौर किरणीयन में राजस्थान देश में प्रथम है। (5.72द्मङ्खद्ध/द्व२/स्रड्ड4) यह सौलर हब के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान में 6,198 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित है। पश्चिमी राजस्थान में अधिकतम सूर्य ऊर्जा का दोहन किया जा रहा है। सौर सैलो के माध्यम से सूर्य ऊर्जा, विधुत ऊर्जा में रूपांतरित की जाती है। सौर सैल बनाने के लिये सिलिकॉन का प्रयोग किया जाता है ।
>     राजस्थानसौर ऊर्जा उत्पादन पॉलिसी 2014 में बनाई गई। राज्य में सौर ऊर्जा की क्षमता 2280 मेगावाट है, इसकी 1500 मेगावाट की परियोजनाएं क्रियान्वित है। बडाला, जोधपुर सोलर पार्क परियोजना राज्य में सबसे बढ़ी है, जो की 10000 हैक्टयर भूमि पर स्थापित है।
>     राजस्थानराज्य में 18 गीगावाट की कुल बिजली स्थापित क्षमता है, जिसमें कोयले का हिस्सा 50प्रतिशत से ऊपर है और नवीकरणीय ऊर्जा 30 प्रतिशत है।
>     राजस्थानमें बिजली की खपत का लगभग 42 प्रतिशत कृषि भार के कारण है। राज्य सरकार की 1 लाख सौर संचालित सिंचाई पंप स्थापित करने की योजना है।
>     राजस्थानपवन ऊर्जा उत्पादन पॉलिसी 2012 में बनाई गई। राज्य में पवन ऊर्जा की क्षमता 4308  मेगावाट है, और 110 मेगावाट की परियोजनाएं क्रियान्वित है।
>     राज्यमें घरेलू सौर बिजली उत्पादन हेतु 50 प्रतिशत अनुदान देय है, परन्तु कृषि क्षेत्र के लिये अक्षय ऊर्जा पर लगभग 80 प्रतिशत अनुदान है।


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