जीवन शक्ति संवर्धक औषधी तुलसी - तुलसी का रोगों में उपयोग

नई दिल्ली 13-Aug-2024 02:10 PM

जीवन शक्ति संवर्धक औषधी तुलसी - तुलसी का रोगों में उपयोग (सभी तस्वीरें- हलधर)

औषधीय गुणों से परिपूर्ण पौराणिक काल से प्रसिद्ध पतीत पावन तुलसी के पत्तों का विधिपूर्वक नियमित सेवन से अनेकानेक बीमारियाँ ठीक हो जाती है। इसके प्रभाव से मानसिक शांति घर में सुख समृद्धि और जीवन में अपार सफलताओं का द्वार खुलता है। यह ऐसी रामबाण औषधी है जो हर प्रकार की बीमारियों में काम आती है जैसे - स्मरण शक्ति, हृदय रोग, कफ, श्वास के रोग, खून की कमी, खॉसी, जुकाम, दमा, दंत रोग आदि में चमत्कारी लाभ मिलता है। तुलसी एक प्रकार से सारे शरीर का शोधन करने वाली जीवन शक्ति संवर्धक औषधि है। वातावरण का भी शोधन करती है और पर्यावरण संतुलन बनाती है। 
तुलसी का रोगों में उपयोग
गले और साँस की समस्या : खाँसी अथवा गला बैठने पर तुलसी की जड़ सुपारी की तरह चूसी जाती है। श्वांस रोगों में तुलसी के पत्ते काले नमक के साथ सुपारी की तरह मुँह में रखने से आराम मिलता है। तुलसी के पत्तों के साथ 4 भुनी लौंग चबाने से खांसी जाती है।
खांसी-जुकाम में- तुलसी के पत्ते, अदरक और काली मिर्च से तैयार की हुई चाय पीने से तुरंत लाभ पहुंचता है। 10-12 तुलसी के पत्ते और 8-10 काली मिर्च के चाय बनाकर पीने से खांसी जुकाम, बुखार ठीक होता है। काली तुलसी का स्वरस लगभग डेढ़ चम्मच काली मिर्च के साथ देने से खाँसी का वेग एकदम शान्त होता है। जुकाम में तुलसी का पंचांग और अदरक समान भाग लेकर क्वाथ बनाते हैं। इसे दिन में तीन बार लेते हैं। तुलसी के पत्ते 10, काली मिर्च 5 ग्राम, सोंठ 15 ग्राम, सिके चने का आटा 50 ग्राम और गुड़ 50 ग्राम, इन सबको पान और अदरक में घोंट लें और एक एक ग्राम की गोलियां बना लें। तुलसी के सूखे पत्ते ना फेंके, यह कफ नाशक के रूप में काम में लाये जा सकते हैं।
ज्वर से जुड़ी समस्या
ज्वर विषम प्रकार का हो तो तुलसी पत्र का क्वाथ 3-3 घंटे पश्चात सेवन करने का विधान है। अथवा 3 ग्राम स्वरस शहद के साथ 3-3 घंटे में लें। हल्के ज्वर में कब्ज भी साथ हो तो काली तुलसी का स्वरस (10 ग्राम) और गौ घृत (10 ग्राम) दोनों को एक कटोरी में गुनगुना करके इस पूरी मात्रा को दिन में 2 अथवा 3 बार लेने से कब्ज भी मिटता है, ज्वर भी। तुलसी की जड़ का काढ़ा भी आधे औंस की मात्रा में दो बार लेने से ज्वर में लाभ पहुँचाता है।तुलसी के पत्ते का रस 1-2 ग्राम रोज पिएं, बुखार नहीं होगा। मोतीझरा (टायफाइड) में 10 तुलसी पत्र 1 माशा जावित्री के साथ पानी में पीसकर शहद के साथ दिन में चार बार देते हैं। तुलसी सौंठ के साथ सेवन करने से लगातार आने वाला बुखार ठीक होता है। तुलसी, अदरक, मुलैठी सबको घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के बुखार में आराम होता है। यदि तुलसी की 11 पत्तियों का 4 खड़ी कालीमिर्च के साथ सेवन किया जाए तो मलेरिया और मियादी बुखार ठीक किए जा सकते हैं।
त्वचा रोग से जुड़ी समस्या
औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है। जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। इसकी पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलायें और रात को चेहरे पर लगाये तो झाइयां नहीं रहती, फुंसियां ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है। दाद, खुजली और त्वचा की दूसरी समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। उठते हुए फोड़ों में तुलसी के बीज एक माशा और दो गुलाब के फूल एक साथ पीसकर ठण्डाई बनाकर पीते है। चेहरे के मुँहासों में तुलसी पत्र और संतरे का रस मिलाकर रात्रि को चेहरा धोकर अच्छी तरह से लेप करते है। तुलसी पत्रों को पीसकर चेहरे पर उबटन करने से चेहरे की आभा बढ़ती है।
वमन
वमन की स्थिति में तुलसी पत्र स्वरस मधु के साथ प्रात:काल व जब आवश्यकता हो पिलाते हैं। पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए, अपच रोगों के लिए और बालकों के यकृत प्लीहा संबंधी रोगों के लिए तुलसी के पत्रों का फ ाण्ट पिलाते हैं। छोटी इलायची, अदरक का रस और तुलसी के पत्र का स्वरस मिलाकर देने पर उल्टी की स्थिति को शान्त करते हैं। दस्त लगने पर तुलसी पत्र भुने जीरे के साथ मिलाकर (10 तुलसीदल  1 माशा जीरा) शहद के साथ दिन में तीन बार चाटने से लाभ मिलता है।
संक्रामक अतिसार
बालकों के संक्रामक अतिसार रोगों में तुलसी के बीज पीसकर गौ दुग्ध में मिलाकर पीने से लाभ होता है। प्रवाहिका में मूत्र स्वरस 10 ग्राम प्रात: लेने पर रोग आगे नहीं बढ़ता। कृमि रोगों में तुलसी के पत्रों का फाण्ट सेवन करने से कृमिजन्य सभी उपद्रव शान्त हो जाते हैं। उदर शूल में तुलसी दलों को मिश्री के साथ देते हैं और संग्रहणी में बीज चूर्ण 3 ग्राम सुबह-शाम मिश्री के साथ। बच्चों में बुखार, खांसी और उल्टी जैसी सामान्य समस्याओं में तुलसी बहुत फायदेमंद है।
सिर का दर्द
सिर के दर्द में प्रात: काल और शाम को एक चौथाई चम्मच भर तुलसी के पत्तों का रस, एक चम्मच शुद्ध शहद के साथ नित्य लेने से 15 दिनों में रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है। मेधावर्धन के लिए तुलसी के पाँच पत्ते जल के साथ प्रतिदिन प्रात: निगलना चाहिए। असाध्य शिरोशूल में तुलसी पत्र रस कपूर मिलाकर सिर पर लेप करते हैं, तुरन्त आराम मिलता है।
आंखों की समस्या
तुलसी का रस आँखों के दर्द, रात्रि अंधता जो सामान्यत: विटामिन 'ए' की कमी से होता है के लिए अत्यंत लाभदायक है। आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए। श्याम तुलसी (काली तुलसी) पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है। आंखों का पीलापन ठीक होता है। आंखों की लाली दूर करता है। तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख की रोशनी बढ़ती है। तुलसी के हरे पत्तों का रस (बिना पानी में डाले) गर्म करके सुबह शाम कान में डालें, कम सुनना, कान का बहना, दर्द सब ठीक हो जाता है। तुलसी के रस में कपूर मिलाकर हल्का गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है। कनपटी के दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस मलने से बहुत फायदा होता है।
मुंह का सक्रमण
अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है। तुलसी की सूखी पत्तियों को सरसों के तेल में मिलाकर दांत साफ करने से सांसों की दुर्गध चली जाती है। पायरिया जैसी समस्या में भी यह खासा कारगर साबित होती है। मुख रोगों व छालों में तुलसी क्वाथ से कुल्ला करें एवं दँतशूल में तुलसी की जड़ का क्वाथ बनाकर उसका कुल्ला करें।
गुर्दे का रोग
मूत्रकृच्छ डिसयूरिया-पेशाब में जलन, कठिनाई में तुलसी बीज 6 ग्राम रात्रि 150 ग्राम जल में भिगोकर इस जल का प्रात: प्रयोग करते हैं। तुलसी स्वरस को मिश्री के साथ सुबह-शाम लेने से आराम मिलता है। तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है। किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया जूस (तुलसी के अर्क) शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाता है।
हृदय रोग
जाड़ों में तुलसी के दस पत्ते, पांच काली मिर्च और चार बादाम गिरी सबको पीसकर आधा गिलास पानी में एक चम्मच शहद के साथ लेने से सभी प्रकार के हृदय रोग ठीक हो जाते हैं। तुलसी की 4-5 पत्तियां, नीम की दो पत्ती के रस को 2-4 चम्मच पानी में घोट कर पांच-सात दिन प्रात: खाली पेट सेवन करें, उच्च रक्तचाप ठीक होता है। दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है यह खून में कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करता है।
घाव, चोट और फोङा-फुंसी
तुलसी के पत्ते पीसकर जख्मों पर लगाने से रक्त मवाद बंद हो जाता है।तुलसी के रस को नारियल के तेल को समान भाग में लें और उन्हें एक साथ धीमी आंच पर पकाएं। जब तेल रह जाए तो इसे रख लें। इसे फोड़े, फुंसी पर लगाएं।तुलसी के बीजों को पीसकर गर्म करके घाव में भर दें लाभ होगा।तुलसी के सूखे पत्तों का चूर्ण बना कर घाव में भर दें, कीड़े मर जाएंगे। छाया में सुखाई तुलसी की पत्तियां इसमें फिटकरी महीन पीस लें, कपड़े से छानकर ताजे घाव पर लगाएं, घाव शीघ्र भर जाएगा। तुलसी तथा कपूर का चूर्ण घाव में लगाने से घाव शीघ्र सूख जाता है।


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