किसान पपीता खेती की करें तैयारी

नई दिल्ली 30-Apr-2024 04:00 PM

किसान पपीता खेती की करें तैयारी (सभी तस्वीरें- हलधर)

जलवायु: उष्ण, तापमान 10 - 40 डिग्री सेल्सियस।

मृदा: उत्तम जल निकास युक्त दोमट मिट्टी। भूमि की गहराई 45 सेमी से कम नही होनी चाहिए।

उन्नत किस्म:  ताइवान , रेड लेडी -786, हानिड्यू (मधु बिंदु) , कुर्ग हनिड्यू , वाशिंगटन , कोयंबटूर -1 ,सीओ -3 , 4, 6 , पंजाब स्वीट , पूसा डिलीशियस ,पूसा जाइंट , पूसा ड्वार्फ, पूसा नन्हा, सूर्या, पंत पपीता आदि ।

पपेन  किस्म : पूसा मैजेस्टी , सीओ -5, सीओ -2  आदि ।

उभयलिंगी किस्में: पूसा डिलीशियस, पूसा मैजेस्टी, सूर्या, रेड लेडी, कुर्ग हनिड्यू आदि।

गमलों में लगाने हेतु: पूसा नन्हा, पूसा ड्वार्फ आदि ।

बुवाई समय- जुलाई-सितम्बर।

पौध तैयार करना : बीज अच्छी किस्म के अच्छे और स्वस्थ फलों से लेने चाहिए। चूंकि यह नई किस्म संकर प्रजाति की है, लिहाजा हर बार इसका नया बीज ही बोना चाहिए। बीजों को क्यारियों, लकडी के बक्सों, मिट्टी के गमलों और पोलीथीन की थैलियों में बोया जा सकता है। क्यारियाँ जमीन की सतह से 15 सेंटीमीटर ऊंची और 1 मीटर चौड़ी होनी चाहिए। क्यारियों में गोबर की खाद, कंपोस्ट अथवा वर्मी कंपोस्ट काफी मात्रा में मिलाना चाहिए। पौधे को पद विगलन रोग से बचाने के लिए क्यारियों को फार्मलीन के 1:40 के घोल से उपचारित कर लेना चाहिए और बीजों को 0.1 फीसदी कॉपर आक्सीक्लोराइड के घोल से उपचारित करके बोना चाहिए। जब पौधे 8-10 सेंटीमीटर लंबे हो जाएँ, तो उन्हें क्यारी से पौलीथीन में स्थानांतरित कर देते हैं। पौधे 15 सेंटीमीटर ऊँचे हो जाएँ, तब 0.3 फीसदी फफूंदीनाशक घोल का छिडकाव कर देना चाहिए।

बीज दर: 500 -600 ग्राम प्रति हैक्टयर

बीजोपचार : 3 ग्राम केप्टान प्रति किग्रा बीज

पौध रोपण : 45 & 45 & 45 सेमी . आकर के गड्ढ़े 1.5 & 1.5 & 2 मीटर दूरी पर तैयार करें। प्रति गडढे में 10 किग्रा. सड़ी गोबर की खाद, 500 ग्राम जिप्सम,  50 ग्राम क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण भर देना चाहिए।

प्लास्टिक थैलियों में बीज रोपण : इसके लिए 200 गेज और 20 & 15 सेमी आकर की थैलियों की जरुरत होती है । जिनको किसी कील से नीचे और साइड में छेड़ कर देते हैं तथा 1:1:1 पत्ती की खाद, रेट, गोबर और मिट्टी का मिश्रण बनाकर थैलियों में भर देते हैं। प्रत्येक थैली में दो या तीन बीज बो देते हैं। उचित ऊँचाई होने पर पौधों को खेत में प्रतिरोपण कर देते हैं। प्रतिरोपण करते समय थाली के नीचे का भाग फाड़ देना चाहिए।

डॉ. रवि प्रताप सिंह, अनुभाग अधिकारी, दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली


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