ICAR ने किसानों को दी सलाह, ऐसे बढ़ेगी गेहूं की पैदावार
(सभी तस्वीरें- हलधर)देश के कृषि वैज्ञानिक किसानों की आय बढ़ाने तरीके और कृषि सुधारों के लिए समय-समय पर आवश्यक सलाह जारी करते रहे हैं। वर्तमान में देश के कई हिस्सों में रबी फसल की बुवाई चल रही है। जिसमें गेहूं, जौ, चना, सरसों और मटर जैसी रबी फसलें शामिल हैं। ऐसे में ख़ासकर गेहूं फसल की बुवाई को लेकर इस बार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने किसानों के लिए एक सलाह जारी की है। ICAR ने पोटाश मिश्रित खाद के इस्तेमाल की सलाह दी है। ICAR का कहना है कि इससे गेहूं की पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
गेहूं फसल में पोटास उर्वरक तत्व का इस्तेमाल जरूरी
मध्यप्रदेश के गुना जिले के किसान कल्याण तथा कृषि विभाग उपसंचालक संजीव शर्मा ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की अनुशंसा के अनुसार, गेहूं की फसल में पोटास उर्वरक तत्व अति आवश्यक है, जो कि डीएपी में नहीं है। इसलिए गेहूं की पैदावार कर रहे किसानभाई में अपने खेतों में डीएपी के स्थान पर एन. पी. के. 10-26-26, 16-16-16, 12-32-16, 14-35-14, 08-21-21 जैसे मिश्रित उर्वरक आवश्यक रूप से उपयोग करें। इससे गेहूं की फसल में प्राथमिक पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है।
कम पानी में भी अच्छी होगी गेहूं की पैदावार
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, मिश्रित उवर्रकों में पोटास की पर्याप्त उपलब्धता होने के कारण गेहूं फसल का दाना चमकीला, मोटा एवं एक समान बनने के कारण गेंहू फसल का उत्पादन बढ जाता है। साथ ही गेहूं फसल में पोटाश का उपयोग करनें से फसल की रोग एवं बीमारियों से लडने की क्षमता भी बढ़ जाती है। कम पानी की स्थिति में पोटाश युक्त मिश्रित उर्वरकों के प्रयोग से गेहूं फसल की पैदावार अच्छी प्राप्त होती है। कृषि विभाग उपसंचालक संजीव शर्मा ने कहा कि सभी किसानों से अनुरोध है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की अनुशंसा अनुसार अपने खेतों में गेहूं की फसल में डीएपी के स्थान पर पोटास युक्त मिश्रित एन. पी. के. उर्वरकों का प्रयोग करें, जिससे गेहूं की फसल का उत्पादन प्रभावित ना हों।