55 में सरसों तो 47 हजार हैक्टयर में चने के प्रदर्शन
(सभी तस्वीरें- हलधर)लेकिन, यह सब बारिश और प्रकृति पर भी निर्भर करेगा। क्योंकि, बारिश के कारण उपजी परिस्थितियां प्रदेश में गेहंू, जौ और चना का बुवाई क्षेत्र बढऩे की संकेत दे रही है। कृषि आयुक्तालय ने मिशन ऑन एडिबल ऑयल तिलहन, दलहन, मोटा अनाज व राज्य योजना के तहत फसल प्रदर्शन लगाने के लिए प्रत्येक जिले में जनसंख्या के अनुसार लक्ष्य आवंटन की सूचना मांगी गई है। बड़ी बात तो यह है कि प्रत्येक जिले में फसल प्रदर्शन लगाने के लिए महिला किसानों का 30 प्रतिशत लक्ष्य रखा गया है।
बीज के साथ आदान
फसल प्रदर्शन के सकारात्क परिणामों से किसानों को रूबरू कराने के लिए कृषि विभाग बीज के साथ मुख्य उर्वरक के साथ पोषक तत्व भी किसानो को उपलब्ध करायेगा। आदान गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक बैच का सैम्पल लिया जाएगा। फसल प्रदर्शन में प्रयुक्त होने वाले खाद-बीज की सप्लाई और गुणवत्ता की जिम्मेदारी विभाग के संयुक्त निदेशक के अधीन रखी गई है।
किस फसल का कितने हैक्टेयर में प्रदर्शन
फसल प्रदर्शन हैक्टयर वित्तीय प्रावधान
सरसों 55 हजार 1650 लाख रुपए
चना 47 हजार 4230 लाख रुपए
मोटा अनाज 7 हजार 420 लाख रुपए
गेहूं 4800 360 लाख रुपए
अलसी 1 हजार 30 लाख रुपए
एसएसपी सरसों के लिए वरदान
संयुक्त निदेशक (आदान) लक्ष्मणराम ने खाद- उर्वरक के संबंध में एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने सलाह दी है कि किसान सरसों फसल की बुवाई में डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट और यूरिया का प्रयोग करें। सरसों एक तिलहनी फसल है और सल्फर, तेल की मात्रा में वृद्धि करता है। पौधों को स्वस्थ रखने के साथ पैदावार को बढ़ाता है। इसके उपयोग से फली में दानों की संख्या भी बढ़ती है। किसान तीन कट्टे सिंगल सुपर फास्फेट और एक कट्टा यूरिया फसल बुवाई पूर्व काम में लें। एसएसपी लागत में भी डीएपी से किफायती है। वहीं, एसएसपी फसल को सल्फर भी उपलब्ध करवाता है।