लगातार बारिश से मटियामेट होने के कगार पर खरीफ
(सभी तस्वीरें- हलधर)लक्ष्य से 97 फीसदी हुई खरीफ फसलों की बुवाई
जयपुर। प्रदेश में लगातार हो रही तेज बरसात ने किसानोंं की चिंता बढ़ा दी है। पश्चिमी राजस्थान को छोड़कर शेष सभी दूसरे जिलों में खरीफ फसलें जल भराव के चलते गलने की स्थिति में पहुंच गई है। किसानो का कहना है कि लगातार बारिश से जमीन में इतनी नमी आ चुकी है कि फसलों का बचना मुश्किल है। क्योंकि, मौसम खुलने के बाद भी एक से ड़ेढ महीने तक जमीन से पानी नहंी सूखने वाला। उधर, आईएमडी ने अक्टूबर तक देशभर में बरसात का दौर जारी होने की संभावना जताई है। गौरतलब है कि लक्ष्य से खरीफ फसलों की बुवाई 97 फीसदी से अधिक हो चुकी है। किसानों का कहना है कि कीटनाशक और खाद देने के लिए मौसम का एक सप्ताह तक शुष्क रहना जरूरी है। क्योंकि, कीटनाशक छिड़काव के बाद बारिश आने की स्थिति में कीटनाशक बेकार चला जाता है। यह स्थिति खासकर दक्षिणी-पूर्वी जिलों में देखने को मिल रही है। जहां, लगातार बारिश का दौर बना हुआ है। बात दें कि मूंग, उड़द, चंवला, मोठ, तिल, सोयाबीन सहित दूसरी फसलों में फूल बारिश के कारण झड़ रहे है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने इस वर्ष 1.64 करोड़ हैक्टयर क्षेत्र में खरीफ फसल बुवाई का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की तुलना में प्रदेश में अब तक 1.59 करोड़ हैक्टयर क्षेत्र में फसलों की बुवाई हो चुकी है। जो लक्ष्य का 97 फीसदी है।
खरपतवार ने बढाई चिंता
बारिश के साथ खरपतवार ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खेतों में फसलों से अधिक खरपतवार नजर आने लगी है। अब बारिश नहीं होने के कारण किसान फसलों सेें खरपतवार हटाने के लिए दवाओं का छिडकाव नहीं कर रहे है। क्योंकि नमी के बिना दवा भी असर नहीं करेंगी और खरपतवार खत्म नहीं होगी। दवा छिड़काव के लिए भी बारिश की दरकार है।
रोग-कीट का प्रकोप
खरीफ फसलों में रोग-कीट का प्रकोप बढ़ रहा है। फसलो मेें कीट-रोग की स्थिति जानने के लिए कृषि अधिकारी और कृषि वैज्ञानिक फसलों का सर्वे कर रहे है। कृषि विशेषज्ञो ने फसलों में पीलापन रोकने के लिए थायोमेथोक्सम 100 ग्राम का 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टयर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी है। ताकि, पीलापन रोग आगे नहीं बढ़ सके।
यह करे किसान
मंूग-बाजरे में कातरा : मूंग की फसल में कातरा नियंत्रण के लिए किसान क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण का 6 किलो प्रति बीघा की दर से भुरकाव करें।
ग्वार में झुलसा : ग्वार में झुलसा रोग नियंत्रण के लिए 100 लीटर पानी में स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 5 ग्राम अथवा प्लांटोमाइसीन 50 ग्राम की दर से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें।
कपास में सफेद मक्खी-हरातेला
कपास में हो रहे सफेद मक्खी सहित दूसरे रस चूसक कीट नियंत्रण के लिए नीम का तेल 5 मिली$ 1 मिली तरल साबुन अथवा ट्राईजोफ ॉस 40 ईसी 2.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें। चितकबरी सुंडी की रोकथाम के लिए इण्डोक्साकार्ब 14.5 एससी 1.0 मिली अथवा क्यूनालफॉस 25 ईसी 2.0 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। हरा तेला नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 2 मिली प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
सोयाबीन में उपचार
सोयाबीन फसल में गर्डल बीटल और इल्ली की रोकथाम हेतु ट्राईजोफॉस 40 ईसी 1 लीटर अथवा प्रोफेनोफॉस 50 ईसी एक लीटर को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टयर की दर से छिड़काव करें।
मूंगफली में सफेद लट
मूंगफली की खड़ी फसल को सफेद लट से बचाने के लिए चार लीटर क्यूनालफॉस 25 ई.सी. अथवा 300 मिली. इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल प्रति हैक्टयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ दें अथवा कीटनाशी रसायन को सूखी बजरी अथवा खेत की साफ मिट्टी 80-100 किलो प्रति हैक्टयर में अच्छी तरह मिलाकर पौधों की जड़ों के आस-पास डाल दें।
धान, ज्वार, मोठ, मूंगफली शत प्रतिशत
खरीफ फसलों की अब तक हुई बुवाई में धान, ज्वार, मोठ, मूंगफली की बुवाई निर्धारित लक्ष्य से आगे निकल चुकी है। इस साल धान की बुवाई 141 प्रतिशत हुई है। इसी तरह ज्वार की बुवाई 108 प्रतिशत, मोठ की 106 प्रतिशत और मंूगफली की बुवाई 106 प्रतिशत हुई है। दलहन मे उड़द की बुवाई लक्ष्य से 31 फीसदी पिछड़ी हुई है। अब फसल बुवाई का समय किसानों के हाथ से निकल चुका है। ऐसे में दलहन उत्पादन में इस साल थोड़ी बहुत कमी देखने को मिल सकती है।
फसल बुवाई एक नजर
फसल बुवाई क्षेत्र(है.) फसल बुवाई क्षेत्र(है.)
धान 2.97 लाख ज्वार 6.60 लाख
बाजरा 43.24 लाख मक्का 9.71 लाख
मूंग 23.15 लाख मोठ 10.39 लाख
उड़द 2.98 लाख तिल 2.16 लाख
मूंगफली 8.54 लाख सोयाबीन 11.23 लाख
कपास 5.19 लाख ग्वार 27.20 लाख