कहीं खुशियों के खिले फूल तो कहीं मुरझाई उम्मीदें
(सभी तस्वीरें- हलधर) लेकिन, ज्यादा बारिश वाले जिलो में किसानों को इस साल खासा नुकसान होता नजर आ रहा है। क्योंकि, खेतों में भरे पानी से फसल मटियामेट हो चुकी है। वहीं, जिन किसानों ने फसल की कटाई शुरू कर दी थी, वहां पिछले दिनों हुई बारिश से फसल को नुकसान पहुंंचने के समाचार है। आईएमडी के अलर्ट पर गौर करें तो अभी खरीफ के निवाले से संकट टला नहीं है। क्योंकि, मानसून की बारिश का दौर प्रदेश में अब भी बना हुआ है। जिसका सीधा प्रभाव आगामी रबी मौसम पर भी देखने को मिल सकता है। श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले के कृषि अधिकारियों की माने तो इस साल गुलाबी सुंडी के प्रकोप से प्रदेश में इस फसल का रकबा जरूर घटा है। लेकिन, फसल की स्थिति संतोषजनक है। पौधों पर डेडू खिलने लगे है। इससे उत्पादक किसानों को बेहत्तर उत्पादन की उम्मीद नजर आने लगी है। उन्होने बताया कि अब कपास उत्पादक किसानों को फसल में पोषक तत्व प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत है। गौरतलब है कि इस साल बीटी कपास की फसल में गुलाबी सुंड़ी का प्रकोप नियंत्रित अवस्था में रहा है। जबकि, पिछले साल सुंड़ी के भयकर प्रकोप से पौधों में डेडू खिल नहीं पाए थे। इस कारण किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था।
अगेती फसल की कटाई शुरू
उधर, अगेती बाजरा, मक्का और दलहनी फसल की बुवाई करने वाले किसान फसल की कटाई में जुट गए है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि खाद्यान्न फसल पखवाडे भर में बाजार में दस्तक दे देगी।
केटरपिलर से नुकसान ऐसे
ईयर हैड़ कैटरपिलर कीट बाजरे के सिट्टो को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। जिससे उत्पादन में कमी आती है। यह कीट बाली में दूधिया अवस्था में दानो को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं। यह कीट बाजरे की बाली के अंदर फूल में छुप कर दानो को खाता रहता हैं। इस कीट का सर्वाधिक नुकसान ऊन खेतो में है, जिनमें अभी फूल आ रहा है और दाने दूधिया अवस्था पर हैं ।
ऐसे करें नियंत्रण
कीट नियंत्रण के लिए किसान प्रोफेनोफोस 50 ईसी 2 मिली अथवा क्यूनॉलफोस 50 ईसी 2 मिली अथवा इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी 5 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।
यह रखे ध्यान
ग्वार
रोग : ब्लाइट (झुलसा अंगमारी)
नियंत्रण : इस रोग की रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 0.3 प्रतिशत 2 से 2.5 किलोग्राम प्रति हैक्टयर और 18 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन प्रति हैक्टयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।
हरा तैला (जैसिड), तेलीया (एफिड) और सफेद मक्खी
नियंत्रण : रस चूसने वाले इन कीटों के नियंत्रण के लिए एसीटामाप्रिड 150 ग्राम प्रति हैक्टयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।
कपास
रोग : ब्लैक आर्म (जीवाणु अंगमारी)
नियंत्रण : इस रोग के नियंत्रण के लिए 18 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और 2 किलोग्राम ताम्रयुक्त कवकनाशी प्रति हैक्टयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।
हरा तैला (जैसिड) और सफेद मक्खी
नियंत्रण : इसके लिए एसीफेट 500 ग्राम प्रति हैक्टयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।
मूंगफली
रोग : टिक्का रोग
नियंत्रण: कार्बेण्डाजिम 50 डब्ल्यूपी 0.05 प्रतिशत अथवा एम 45 को 0.2 प्रतिशत के घोल का छिड़काव करें।
दीमक - नियंत्रण: खड़ी फसल में 4 लीटर क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी प्रति हैक्टयर की दर से पानी के साथ देवें।
सफेद लट : लट नियंत्रण के लिए किसान क्लोरपायरीफॉस 4 लीटर प्रति हैक्टयर के हिसाब से छिड़काव करें।
तिल
रोग : गॉल मक्खी की लट
नियंत्रण: इस रोग के कारण फलियां फूलकर गांठ का रूप धारण कर लेती है, इसके नियंत्रण हेतु मिथाइल पैराथियॉन 2 प्रतिशत अथवा क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हैक्टयर की दर से भुरकाव करें।
झुलसा रोग:- झुलसा रोग नियंत्रण के लिए किसान मैन्कोजेब डेढ़ किलोग्राम प्रति हैक्टयर की दर से उपयोग करें।
मूंग, मोठ, उड़द
हरा तेला (जैसिड), एफिड थ्रिप्स और सफेद मक्खी।
नियंत्रण : इन रोगों के नियंत्रण के लिए एसीटामाप्रिड 150 ग्राम प्रति हैक्टयर के हिसाब से छिड़काव करें।
फली छेदक (हरी लट) - नियंत्रण: हरी लट नियंत्रण के लिए मैलाथियॉन 50 ईसी अथवा क्यूनॉलफॉस 25 ईसी एक लीटर प्रति हैक्टयर की दर से फूल और फली की अवस्था में छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर हर 15 दिन के अंतर से उक्त छिड़काव को दोहराएं।
अरंड़ी
सेमीलूपर: कीट नियंत्रण के लिए क्यूनॉलफॉस 1 लीटर प्रति हैक्टयर 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टयर की दर से उपयोग करें।
बाजरा
ब्लिस्टर बीटल कीट से फसलों को बचाव के लिए किसान दो किलो कार्बोरिल 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण को पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टयर की दर से छिड़काव करें अथवा कार्बोरिल 5 प्रतिशत अथवा मिथाइल पैराथियॉन 2 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टयर की दर से भुरकाव करें।
सोयाबीन
तना-सफेदमक्खी- नियत्रण: डाईमिथिएट 30 ईसी की 1.5 एमएल प्रति लीटर पानी अथवा 750 एमएल प्रति 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें अथवा थायोमिथोक्जाम 25 डब्ल्यूजी 100 ग्राम को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। थायोक्लोप्रिड 24 एससी 750 एमएल 500 लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।