मानसून से हरषाएं किसान, बुवाई लक्ष्य से 89 फीसदी - पश्चिमी राजस्थान में बरसात

नई दिल्ली 06-Aug-2024 02:14 PM

मानसून से हरषाएं किसान, बुवाई लक्ष्य से 89 फीसदी - पश्चिमी राजस्थान में बरसात (सभी तस्वीरें- हलधर)

जयपुर। बीते कुछ दिनों से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हो रही तेज से मध्यम दर्जे की बरसात से किसानों के चेहरों पर खुशी के साथ सिकन भी देखने को मिल रही है। पश्चिमी राजस्थान में बरसात ने खरीफ फसलों का जीवनदान देने का काम किया है। हालांकि, कुछ जिलों में बरसात के साथ चली तेज हवा से फसल गिरने के समाचार भी मिले है। गौरतलब है कि प्रदेश में इन दिनों जारी बरसात के दौर से से नदी-नाले झलक उठे है। लेकिन, कृषि को जीवनदान देने वाले लघु और मझोले बांधों की स्थिति अब भी चिंतानजक बनी हुई है। यदि यह बांध नहीं भरे तो रबी में परेशानी आ सकती है। हालांकि, पिछले दिनों से सक्रिय मानसून के कारण अधिकांश जिलों को राहत मिली है। लेकिन, अब भी फसलों से लिए बारिश की दरकार बनी हुई है। गौरतलब है कि मेघ मल्हार के चलते सप्ताह भर में खरीफ फसलों का बुवाई क्षेत्र में बढौत्तरी दर्ज हुई है। पिछले सप्ताह तक फसल बुवाई का आंकड़ा 84 फीसदी पर ठिठका हुआ था। जो अब बढ़कर 89 फीसदी हो चुका है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार किसानअब दलहनी फसलों की बुवाई हीं कर पायेंगे। गौरतलब है कि बाजरा और मक्का की बुवाई लक्ष्य से पिछडती नजर आ रही है। जबकि, धान, सोयाबीन और मूंगफली की बुवाई में बढौत्तरी दर्ज हुई है। वहीं, मूंग, मोठ, उड़द, चंवला जैसी दलहनी फलस भी निर्धारित लक्ष्य से 15-20 फीसदी पिछड़ी हुई है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है की खरीफ फसलों के लिए अब मानसून का सक्रिय रहना जरूरी है। यदि मानसून ने किसानों के साथ दगा किया तो बुवाई का आंकड़ा निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल होगा। गौरतलब है कि खरीफ के लिए निर्धारित 1.64 करोड़ हैक्टयर की तुलना में फसलों की बुवाई 1.47 करोड़ हैक्टयर क्षेत्र में हो चुकी है। जो लक्ष्य का 89.62 फीसदी है। खाद्यान्न फसलों की बुवाई का आंकड़ा लक्ष्य से 3 फीसदी पीछे चल रहा है, वहीं दलहनी फसल की बुवाई भी 13 फीसदी पिछड़ी हुआ है। 
मूंगफली में कॉलर रॉट
मूंगफली की फसल में जडग़लन रोग फैलने की कोई शिकायत किसानों से मिलने लगी है। किसानों का कहना है कि खेतों में बड़े पैमाने पर फसल खराब हो रही है। गौरतलब है कि प्रदेश में 8.46 लाख हैक्टयर क्षेत्र में मूंगफली की बुवाई सम्पन्न हो चुकी है। मंूगफली में फैले जडग़लन रोग को लेकर कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बीजोपचार नहीं करने और पुराना बीज उपयोग में लेने के चलते यह रोग फैलता है। अब किसानों के सामने रोग प्रभावित क्षेत्र का उपचार ही एक मात्र विकल्प है। आपको बता दें कि बरसात के अभाव में खरीफ फसलों में रोग-कीट को बढ़ावा मिल रहा है। 
क्या है जडग़लन
कृषि विभाग के बीएल धायल ने बताया कि  यह रोग ऐस्परजीलस और मक्रोफोमिना नामक फफूंद से फैलता है। मूंगफली की जड़ काली पड़कर सूखने लगती है। रोग से प्रभावित पौधे को जमीन से निकालकर देखने पर जड़ और तने के बीच वाले भाग पर काले पाउडर जैसा भुरभुरा फफूंद भी देखा जा सकता है। यदि समय पर रोग की रोकथाम नहीं की जाये तो समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है। नियंत्रण के अभाव में 70-80 प्रतिशत फसल नष्ट हो जाती है।
यह करें उपाय
काली जड़ रोग के नियंत्रण हेतु खेत में प्रभावित पौधो और आसपास की मिट्टी पर 10 ग्राम कार्बेण्डाजिम 50 डब्ल्यूपी का 10 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे। प्रथम छिड़काव के ठीक 15 दिनों बाद पुन: छिड़काव करके काली जड़ की समस्या से राहत पाई जा सकती है। 
कपास में रसचूसक कीट
नरमा में रस चूसक कीट प्रकोप को देखते हुए वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा है कि कीट नियंत्रण के लिए नीम का तेल 5 मिली$ 1 मिली तरल साबुन अथवा ट्राईजोफॉस 40 ईसी 2.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। कपास में चितकबरी सुंडी देखने को मिल रही है। इसके नियंत्रण के लिए इण्डोक्साकार्ब 14.5 एससी 1.0 मिली अथवा क्यूनालफॉस 25 ईसी 2.0 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 
सक्रिय रहेगा मानसून
मौसम विभाग के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि इस सप्ताह भी मानसून सक्रिय रहेगा। मौसम विभाग ने कई जिलों के लिए ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया है।  लोगों से जलभराव वाले क्षेत्रों में विशेष सावधानी बरतने की अपील की गई है। 
फसल बुवाई एक नजर
फसल         बुवाई 
धान    -    2.72     
ज्वार    -    6.39  
बाजरा    -    41.41     
मक्का    -    9.54 
मूंग    -    21.67      
मोठ    -    7.93      
उड़द    -    2.96     
चौला    -    0.53        
तिल    -    1.97      
मूंगफली    -    8.46  
सोयाबीन-        11.01         
गन्ना    -    0.05 
कपास    -    5.11     
ग्वार    -    23.39  
(बुवाई लाख  हैक्टयर में)


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