विक्षोभ के चलते कम हुई तपन, 11 के बाद फिर बढेगी गर्मी (सभी तस्वीरें- हलधर)
जायद फसलों सिंचाई प्रबंधन पर ध्यान दें किसान
जयपुर। प्रदेश में गर्मी प्रचंड़ रूप लेने लगी है। इससे दिन के समय सड़के खाली नजर आने लगी है। साथ ही, जायद के साथ-साथ नरमा की बुवाई पर भी संकट नजर आने लगा है। प्रदेश के पश्चिमी जिलों में ताल-तलैया का पानी सूख जाने से पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था करना किसानों पर भारी पडऩे लगा है। गौरतलब है कि होली के बाद से पारे ने छलांग मारना शुरू कर दिया था। मौसम विभाग के मुताबिक चालू माह में तापमान में और बढऩे की संभावना है। हालांकि, प्रदेश में एक के बाद एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के चलते मौसम अपना मिजाज बदले हुए है। कई जिलों में बूंदा-बांदी के साथ तेज हवाएं चल रही है। इससे तापमान में थोड़ी गिरावट दर्ज हुई है। लेकिन, विक्षोभ का असर समाप्त होने के साथ ही तापमान में फिर से बढौत्तरी देखने को मिलेगी। ऐसे में जायद सब्जी फसलों के साथ-साथ मूंगफली, मूंग, बाजरा और चारा फसलों की बुवाई करने वाले किसानों पर सिंचाई की मार पड़ सकती है। वहीं, अपेक्षित उत्पादन से भी हाथ धोना पड़ सकता है। पशुधन में दुग्ध उत्पादन की दर में कमी आती है। ऐसे में किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है। आपको बता दें कि प्रदेश के अधिकांश जिलों में दिन का तापमान 35 से 39 डिग्री सेल्सिय दर्ज हो रहा है। मौसम विभाग ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि चालू माह में उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में तेज गर्मी का असर देखने को मिलेगा। दिन-रात के तापमान में बढौत्तरी होगी।
11 तक कही बादल, कही गर्जना
राजस्थान मौसम विभाग के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ के प्रभावी होने से सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। इस दौरान अधिकतम तापमान आंशिक कमी अथवा सामान्य के आसपास रहेगा। 11 अप्रैल तक प्रदेश में अधिकतम तापमान सामान्य के आसपास रहेगा। वहीं, कई संभागों में कहीं कहीं बादल छाने के साथ बारिश की संभावना है। 10 अप्रैल के बाद वेस्टर्न डिस्टर्बनेंस के समाप्त होते ही अधिकतम तापमान में फिर से तेजी आने के संकेत है।
शाम को करें फसलों की थ्रेसिंग
प्रदेश के अधिकांश जिलोंं में रबी फसलों की कटाई सम्पन्न हो चुकी है। पश्चिमी जिलों में इन दिनों किसान खेत में पसरी फसलो को एक जगह एकत्रित करने मेें जुटे हुए है। ऐसे में चढते पारे को देखते हुए किसानों को सावधानी बरतने की जरूरत है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान सुबह-शाम के समय फसलों को एकत्र करने का कार्य करें। ताकि, तेज गर्मी से बचा जा सके। ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थ का उपयोग करें। ताकि, शरीर में पानी की कमी नहीं हो। फसलों की थ्रेसिंग शाम को 5 बजे के बाद ही शुरू करें।
जायद मांगेगी पानी
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय किसान जायद सब्जी फसलों की बुवाई के साथ-साथ खाद्यान्न और चारा फसलों की बुवाई कर सकते है। किसान इन फसलों की बुवाई सिंचाई की स्थिति को देखते हुए ही करें। क्योंकि, बढ़ता तापमान सिंचाई के अभाव में फसलों के साथ-साथ उत्पादन को झुलसाने का काम करेगा। बता दें कि किसान मूंग, मूंगफली, बाजरा, चारा फसल के साथ ग्रीष्मकालीन भिड़ी की बुवाई कर सकते है।
मेटाबॉलिक रेट बढने का डर
गर्मियों में पशुओं की मेटाबॉलिक रेट बढ़ जाता है। वहीं, एनर्जी लॉस शुरू हो जाता है। ऐसे में दूध का उत्पादन जानवर की ऊर्जा बचाने पर निर्भर करता है। पशु जितनी ऊर्जा बचाएंगे, उतनी ही उत्पादन क्षमता बनी रहेगी। ऐसे में पशुओं की वैज्ञानिक तरीके से सारसंभाल जरूरी है। ताकि, दूध उत्पादन में कमी ना आए। पशु विशेषज्ञों डॉ. रावताराम के मुताबिक पौष्टिक आहार और पानी के साथ यूरिया उपचारित भूसा देकर उत्पादन समान बनाए रखा जा सकता है। गर्मी में जरूरी होता है कि दुधारू पशुओं को तेज धूप से बचाएं।
फसल सलाह
कद्दूवर्गीय सब्जियाँ जैसे कद्दू, लौकी, टिंडा, करेला, तरबूज और खरबूज में लाल कीड़े का प्रकोप देखा जा रहा है। इससे बचाव के लिए किसान ट्राईजोफास 40 ईसी दवा की 2 मिली अथवा मैलाथियॉन 50 ईसी दवा की 1.0 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। दवा छिड़काव के सात दिन बाद तक सब्जियों को नहीं तोड़े। कद्दूवर्गीय जिन फसलों में फूल कम आ रहे हों उसमें एनएए नामक हार्मोन का 10-15 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जिससे मादा फूलों की संख्या बढ़ेगी। जिसका सीधा प्रभाव उपज पर पड़ेगा।
झुलसने लगी जायद
किसानों ने बताया तेज तापमान से लौकी, टमाटर, तुरई, मिर्च जैसी फसल झुलसना शुरू हो गई है। एआरएस कोटा के उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. रामराज मीणा ने बताया कि ज्यादा तापमान से टमाटर, मिर्च, लौकी, तुरई, ककड़ी जैसी फसल में फलों की संख्या कम हो जाती है। इसके लिए किसान मिनी स्प्रिंकलर से फसल में सुबह-शाम सिंचाई करें। गौरतलब है कि जायद फसलों के लिए 35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना गया है।