पॉली हाउस में शिमला मिर्च की खेती
(सभी तस्वीरें- हलधर)पॉली हाउस में उगायी जाने वाली सब्जियों में शिमला मिर्च प्रमुख है। रंगीन शिमला मिर्च की मांग बड़े शहरो, होटल और शादी समारोह में लगातार बढ रही है, यह अधिक लाभ देने वाली फ सल है। इससका गुणवत्तायुक्त उत्पादन केवल पॉली हाउस में ही संभव है।
तापमान- 20-22 डिग्री सेल्सियस (दिन में), 18 से डिग्री सेल्सियस (रात में)
उन्नत किस्में
लाल शिमला मिर्च- बौम्बी, नन-3019, नताशा, टोरकल, महाभारत, तनवी प्लस, बचाटा
पीली शिमला मिर्च- स्वर्णा, फि एस्टा, नन-3020, औरोवेले, यू.एस-26, परसिलीया
हरी शिमला मिर्च- इन्दिरा, भारत, केलिफ ोर्निया वन्डर, ग्रिनगोल्ड
नर्सरी तैयार करना
एक हजार वर्ग मीटर के लिए पौधों की आवश्यकता-3000
जहां तक सम्भव हो पौध प्रो-ट्रे में ही तैयार करनी चाहिए। प्रोट्रे को साफ पानी से धोकर 2 घन्टे धूप में सुखाना चाहिए अथवा पो ट्रे का निर्जलीकरण करना चाहिए। इसके बाद प्रो ट्रे में वर्मीकुलाइट, परलाइट और कोकोपिट का मिश्रण क्रमश: 1:1:2 के अनुपात में (आयतानुसार) भरना चाहिए। मिश्रण में इतना पानी मिलाएं जिससे मिश्रण हाथ में लेकर बांधा जा सकें। प्रो ट्रे में मिश्रण करने के बाद प्रति कक्ष में एक बीज बोना चाहिए। बीज कोष्टिका के बिचो बिच डालना चाहिए। बीजाई के तुरन्त बाद झारे की सहायता से पानी दें। अंकुरण के लिए तापमान- नमी का पर्याप्त रहना आवश्यक है, इसलिए बीजाई के बाद प्रो-ट्रे के उपर थर्माकोल अथवा पालीथिन ढकी जाती है। मौसम के अनुसार दो अथवा तीन दिन बाद ढकी हुई परत हटा लेते है और प्रतिदिन एन.पी.के. 19:19:19: का एक प्रतिशत (1 किलोग्राम एन.पी.के. 100 लीटर पानी में घोल बनाकर) विलयन बनाकर पानी पिलाना चाहिए। सामान्यतया 30-35 दिन बाद पौध स्थानान्तरण योग्य हो जाती है। इस अवधी में प्रो-ट्रे को जमीन के उपर नही रखना चाहिए। अन्यथा पौधे की जडे मृदा के अन्दर चली जाती है, और पौध निकालते हुए जड़े टुटने का खतरा रहता है। अत: प्रो-ट्रे को लकड़ी अथवा लोहे का स्टेण्ड बनाकर रखा जाता है ।
क्यारियां तैयार करना
चौड़ाई- 1 मीटर चौडी
ऊंचाई- 30 सेमी.
दो क्यारी के मध्य- 60 सेमी का रास्ता।
तैयार क्यारियों का रोपण से दो दिन पहले निर्जमीकरण किया जाता है। इसके लिए कॉच की प्लेट(पेट्रिडिश) में 8-10 ग्राम पोटेशियम परमैगनेट के क्रिस्टल डाले जाते है। बेड को पॉलीथिन से ढक दिया जाता है। इसके बाद प्रत्येक पेट्रिडिश में 5-7 मिली लिटर फ ोर्मेलिन डाल दिया जाता है। इससे तुरन्त गैस निकलती है, जिससे मृदा में उपस्थित हानिकारक सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते है।
फ र्टिगेशन
सामन्यतया: शिमलामिर्च के लिए 250 किलो नत्रजन 125 किलो फॉस्फोरस और 125 किलो पोटाश प्रति हैक्टयर की आवश्यकता है। अत: प्रति 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में प्रति सप्ताह 5-7 किलोग्राम जल में घुलनशील उर्वरक मिश्रण देने से पौधो की बढवार अच्छी रहती है, एवं उपज भी अच्छी प्राप्त होती है। प्रारम्भिक चार-पांच सप्ताह 2-3 किलो एन.पी.के. 19:19:19 और उसके बाद उर्वरक मिश्रण बढाया जाता है। फ ल बनते समय सूक्ष्म पोषक तत्वों का मिश्रण जैसे एग्रोमिन अथवा बायोविटा इत्यादि लगभग 1 किलोग्राम प्रति हजार वर्ग मीटर के हिसाब से डालना चाहिए।
पौधो का कृन्तन
40-50 दिन तक पौधों की सामान्य बढवार होने के बाद पौधो में ट्रेनिग और कटिग शुरू की जाती है। इसके लिए प्रत्येक पौधो पर केवल 2-3 शाखाओं को छोड़कर दूसरी शाखाओं को हटा दिया जाता है। पौधों को सूतली अथवा प्लास्टिक की रस्सियों के सहारे बढाया जाता है। कृन्तन करते समय पास-पास वाली और कमजोर शाखाओं को हटा दिया जाता है।