प्रदेश के 25 जिलों में जलजला- दाने के साथ पशुधन के निवाले पर भी संकट (सभी तस्वीरें- हलधर)
जयपुर। कहीं सामान्य से ज्यादा बारिश और कही जिलों में सूखे के चलते इस साल हालात अकाल के हो चुके है। कुदरत ने किसानों के साथ पशुधन से मुहं का निवाला छीन लिया है। खेतों में मेहनत पानी-पानी होकर खत्म होने के कगार पर पहुंच चुकी है। यह हालात एक दो जिलों के नहीं, बल्कि, प्रदेश के दो दर्जन से अधिक जिलों में देखने को मिल रहे है। गौरतलब है कि अजमेर, अलवर, अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, चुरू, दौसा, डीग, धौलपुर, डीडवाना-कुचामन, दूदू, गंगापुर सिटी, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, जैसलमेर, जोधपुर ग्रामीण, करौली, केकड़ी, नागौर, फलौदी, सवाईमाधोपुर और टोंक जिलें में अतिवृष्टि जैसे हालात ज्यादा बारिश ने पैदा कर दिए है। किसानों का कहना है कि खेतों में पानी भरा होने से खरीफ की फसलों में नुकसान शुरू हो गया है। जलभराव से सोयाबीन, मूंग, उड़द, मूंगफली, मक्का सहित दूसरी खरीफ फसलें तबाह हुई है। हालांकि, मुख्यमंत्री भजनलाल और कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने प्रभावित जिलों में किसानों को राहत देने के लिए विशेष गिरदावरी के निर्देश संबंधित जिला प्रशासन को दिए है। किसानों का कहना है कि एक सप्ताह से ज्यादा समय से जारी बारिश के चलते खेत पानी से लबालब है। चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा है। फसल का नामोनिशान मिट चुका है। नजर आ रहे है तो खेत की मेड़ो पर उगी झाडिय़ा और फैन्सिंग। हालात यह है कि जिस ड्रेनेज सिस्टम पर जिलों में हर साल करोड़ो रूपए खर्च किए जाते है, वह भी तेज बारिश में नकारा साबित होकर रह गया है। गौरतलब है कि अतिवृष्टि के चलते कई जगह जनधन, पशुधन की हानि भी हुई है। इससे पानी से अकाल के हालात साफ नजर आने लगे है। उधर, दक्षिणी जिलों से मानसून रूठा हुआ है। इस कारण दलहन के साथ मक्का का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। गौरतलब है कि जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, सलूम्बर, सिरोही और उदयपुर में मानसून की कम मेहरबानी से सूखे के हालात पैदा हो गए है। वहीं, चित्तौडग़ढ़, जालौर, झालावाड़, राजसमंद और सांचौर के हालात भी बारिश के लिहाज से ठीक नहीं कहे जा सकते है।
यह करें किसान
मूंग, ग्वार, बाजारा, मोठ बुवाई के साथ 500 पीपीएम थाईयूरिया से बीजों को आधा घंटा भीगो कर उपचारित करे। हाइड्रोजेल को 2-5 किग्रा प्रति हैक्टयर की दर से बुवाई के साथ लाइन में ऊर कर देवें।
वर्षा सितम्बर के प्रथम सप्ताह में होने पर तारामीरा की बुवाई करें।
मुरझा हुई ज्वार को पशु को नहीं खिलाएं और ना ही चरने दें।
तुम्बा, कलिंगडा, आदि फसलों का संग्रहण करके पशुधन को खिलाएं।
दीमक, कपास में पैराविल्ट, जड़ गलन, मूंगफली में कॉलर रॉट और सफेद लट का वैज्ञानिक तरीकें से प्रबंधन करें।
हरे चारे- सब्जियों के बढ़े दाम
अतिवृष्टि से टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिंड़ी, मूली सहित दूसरी सब्जी फसलों का नुकसान पहुंचा है। वहीं, हरी चारा फसल भी नष्ट हुई है। इससे बाजार में सब्जियों के थोक और फुटकर भावों में 20-25 रूपए की तेजी आई है।
रेपिड रोविंग सर्वे के निर्देश
उधर, कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने बताया कि राज्य में लगातार हो रही वर्षा से फसलों में खरपतवारों की अधिक वृद्धि हो रही है। समय पर कृषक क्रियाएं संपादित नहीं होने और कीट-व्याधि के प्रति मौसम की अनुकूलता होने के कारण फसलों में कीट- व्याधि के प्रकोप होने की प्रबल संभावना है। उन्होने कीट-व्याधि पर सतत निगरानी एवं सर्वेक्षण हेतु वर्ष 2024-25 के लिए रेपिड रोविंग सर्वे के दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कार्यरत समस्त कृषि विस्तार अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह नियमित भ्रमण कर कृषकों के सम्पर्क में रह कर फसल प्रबंधन संबंधी तकनिकी जानकारी से किसानों को अवगत करवायें। साथ ही वस्तुस्थिति से उच्चाधिकारियों को अवगत करवाये।
रबी से उम्मीद
मानसून की भारी बारिश से बांधों में जमकर पानी की आवक हुई। लम्बे समय से सूखे पड़े 177 बांध अवरफ्लो हो गए है। वहीं, 356 बांध लबालब हो चुके है। जबकि, 158 बांध अब भी पानी को तरस रहे है। उम्मीद है कि मानसून की रवानगी खाली बांधो में पानी ज्यादा आ सकता है। इससे रबी फसलों को पानी मिलने की उम्मीदें बढ़ गई है।
कही सावन तो कही सूखा
प्रदेश में इस साल मानसून की कही सावन तो कही सूखा जैसी स्थिति के कारण खरीफ फसलों की बुवाई लक्ष्य से 8 फीसदी पिछड़ गई है। एक करोड़ 64 लाख हैक्टयर लक्ष्य के मुकाबले अब तक 92 फीसदी क्षेत्र में ही बुवाई हो पाई है। कृषि जानकारों का कहना है कि अब अधिकांश फसलों का बुवाई समय निकल चुका है। ऐसे में बुवाई का निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचाना काफी मुश्किल है। वहीं, अतिवृष्टि के कारण जो फसली क्षति हुई है, इससे अपेक्षित उत्पादन में भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
सोयाबीन में गर्डल बीटल से बचाव
गर्डल बीटल और सेमीलूपर कीट नियंत्रण के लिए किसान डाईमिथोएट 30 ईसी. 750 मिली. अथवा थायोक्लोप्रिड 24 एससी. 750 मिली. प्रति हैक्टयर दवा का छिड़काव पानी में घोल बनाकर करें।
बाजरे में फड़का
फड़का कीट नियंत्रण के लिए किसान क्यूनालफॉस 25 ईसी 1 लीटर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टयर की दर से छिड़काव करें।
फसल बुवाई एक नजर
फसल बुवाई
धान - 2.81
ज्वार - 6.41
बाजरा - 41.99
मक्का - 9.62
मूंग - 22.05
मोठ - 8.82
उड़द - 2.97
चौला - 0.53
तिल - 2.02
मूंगफली - 8.58
सोयाबीन- 11.22
गन्ना - 0.05
कपास - 5.13
ग्वार - 25.29
(बुवाई लाख हैक्टयर में)
फसल बुवाई