20 हजार हैक्टयर के साथ बीटी का श्रीगणेश (सभी तस्वीरें- हलधर)
जयपुर। प्रदेश में बीटी कपास बुवाई का श्रीगणेश हो चुका है। लेकिन, बुवाई की रफ्तार काफी कम है। बीटी कपास के गढ़ कहे जाने वाले श्रीगंगानगर और अनुमानगढ़ जिले में अभी बुवाई का आंकड़ा हजार में ही पहुंचा है। इसके पीछे बड़ा कारण किसानों को बीटी कपास को लेकर रूझान कम होना भी है। कृषि विभाग के अधिकारी भी इस बात को स्वाकार रहे है कि किसान बीटी कपास बुवाई से तौबा करने की तैयार कर रहा है। इसके चलते इस साल दोनों ही जिलों में देसी और अमेरिकन कपास का रकबा बढऩे का अनुमान है। गौरतलब है कि बीटी कपास बुवाई के लिए किसानों के पास सात दिन बचे है। जबकि, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलें में कुल बुवाई का आंकड़ा 20 हजार के करीब ही पहुंचा है। जबकि, इन दोनों जिलों में कपास का रकबा 4 से साढ़े लाख हैक्टयर के करीब है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल गुलाबी सुंड़ी के प्रकोप ने किसानों का मोहभंग करने का काम किया है। क्योंकि, उत्पादन मेें कमी के साथ-साथ किसानों को रेशे की गुणवत्ता से भी हाथ धोना पड़ा था। इस कारण कपास के उचित बाजार भाव नहीं मिल पाएं। महंगी चुगाई और पैसा कम मिलने के कारण किसानों को आर्थिक नुकसान हो गया। यही कारण है कि किसान इस साल बीटी कपास की बुवाई में कम रही रूचि ले रहे है। उधर, अलवर और भरतपुर क्षेत्र में भी बीटी कपास की बुवाई शुरू हो चुकी है। किसान मानसून पूर्व की गतिविधियों को मध्यनजर रखते हुए कपास की बुवाई करता है। ताकि, सिंचाई की समस्या से दो-चार नहीं होना पड़े। गौरतलब है कि कृषि वैज्ञानिक और कृषि अधिकारी किसानों को कपास में गुलाबी सुंड़ी नियंत्रण के उपाय सुझा रहे है। कपास बुवाई से जुड़ी तकनीकी जानकारी देने के लिए कृषि विभाग कपास कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है। साथ ही, सोशल मीडिया के माध्यम से उचित सलाह किसानों तक पहुंचाई जा रही है। ताकि, इस बार गुलाबी सुंड़ी का प्रभावी नियंत्रण संभव हो सके। उल्लेनीय है कि प्रदेश में 20 मई तक कपास की बुवाई होती है।
बुवाई से पूर्व बीज उपचार जरूरी
बढिय़ा पैदावार के लिए कपास बीज को उपचारित करना जरूरी है। इसके लिए एक ग्राम स्टे्रप्टोसाईक्लिन, एक ग्राम व्यापारिक गंधक और 10 लीटर पानी के घोल में कपास का बीज डालें। रोएंदार बीज की मात्रा 5-6 किलोग्राम होनी चाहिए और इसे करीब 6-8 घंटे तक घोल में रखें। वहीं बिना रोएंदार बीज की 6-8 किलोग्राम मात्रा को दो घंटे तक घोल में डालें। जिन क्षेत्रों में दीमक की समस्या है वहां पर 10 एमएल क्लोरपाईरीफास 20 ईसी और 10 एमएल पानी प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर थोड़ा-थोड़ा बीज पर छिड़काव करें। इसके बाद बीज को अच्छी तरह से मिलाएं और 30-40 मिनट तक बीज को छाव में सुखाकर बुवाई करें।
अगेती फसल में ज्यादा प्रकोप
कृषि विभाग हनुमानगढ़ के संयुक्त निदेशक डॉ. योगेश वर्मा ने बताया कि पिछले साल अगेती कपास की फसल में गुलाबी सुंड़ी का ज्यादा प्रकोप दर्ज हुआ था। इस कारण किसानों को लेट बिजाई की सलाह दी गई है। इस कारण बीटी कपास की बुवाई की रफ्तार कम है। वहीं, दूसरी बात नहरी पानी उपलब्ध नहीं था। इसका भी प्रभाव बुवाई पर देखने को मिला है। उन्होंने बताया कि मध्य अप्रैल के बाद किसान बीटी कपास की बुवाई करना शुरू कर देते है। लेकिन, पिछले साल नुकसान के विश£ेषण को देखते हुए किसानों को मई में ही बीटी कपास की बुवाई करने की सलाह दी जा रही है।
ऐसे करे कपास की बुवाई
बुवाई के दौरान खूड से खूड की दूरी 3.5 फुट (105 सेमी.) और पौधें से पौधे की दूरी 2 फुट रखें। प्रथम सिंचाई के बाद पौधें की छंटनी कर दें। यदि मशीन से बुवाई करते है तो खूड से खूड की दूरी 2.25 फु ट रखे। पौधों की दूरी 3 फु ट रखे। उन्होंने बताया कि दोनों ही सूरत में पौधों की संख्या 4 हजार प्रति बीघा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
खाद-बीज
उन्होने बताया कि प्रति बीघा एक पैकेट से ज्यादा बीज का उपयोग नहीं करें। बिजाई से पूर्व 25 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद प्रति बीघा की दर से प्रयोग करें। परंतु, बीटी नरमें की बुवाई करने से पूर्व 15 किलो यूरिया प्रति बीघा की दर से छींटा जरूर लगाएं। इससे सितम्बर के दौरान नरमा शॉट नहीं मारेगा।
उर्वरक
अंतिम जुताई से पहले 10 किलो मैग्रिशियम सल्फेट 9.5 प्रतिशत और 4 किलो जिंक सल्फे ट और 50 किलो जिप्सम को आपस में मिलाकर छींटा लगा दे। यदि जिप्सम उपलब्ध नहीं होता है तो किसान 3 किलो उर्वरक ग्रेड का एलीमेटल सल्फर का उपयोग कर सकते है। यदि जमीन रेतीली है तो 15 किलो एमओपी 60 प्रतिशत पोटाश का भी प्रयोग करें। इसके बाद एक कट्टा एमएपी(11-52-0) अथवा डीएपी (18-46-0) को तीन बीघा में कणक बिजाई मशीन से थोड़ी गहरी ड्रिल करें।
यह भी रखें ध्यान
किसान एनकारशिया और एरीट मोसीरस जैसे कीट और लेडी बर्ड, भृंग, क्राइसोपा जैसे पक्षियों का संरक्षण करे।
बिजाई के 60 दिन बाद सफेद मक्खी के प्रकोप पर नीमयुक्त कीटनाशक का छिड़काव करे।
इस कीट की संख्या आर्थिक हानि स्तर (ईटीएल) 8-12 अव्यस्क प्रति पत्ती दिखाई देने पर कीटनाशक का छिड़काव करें।
निओनिकोटिनॉइड समूह के कीटनाशी का उपयोग नहीं करे।
दो कीटनाशक मिलाकर अथवा पाईरेथ्रोइडयुक्त कीटनाशक का छिड़काव नहीं करे। एक कीटनाशी का लगातार छिड़काव नहीं करे।
छिड़काव के 24 घंटे के अंदर वर्षा होने पर कीटनाशी का दोबारा छिड़काव करे।
35-40 पीले चिपचिपे टे्रप प्रति हैक्टयर की दर से फसल में लगाएं।
स्प्रे मशीन को उपयोग पूर्व और बाद में अच्छे से साफ करें।