कृषि वैज्ञानिक विकसित जलवायु अनुकूल किस्में
(सभी तस्वीरें- हलधर)जर्क की बैठक संपन्न
जोधपुर। कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर में दो दिवसीय क्षेत्रीय अनुसंधान ओर प्रसार सलाहकार समिति की बैठक (जर्क) का आयोजन किया गया। बैठक में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में की परिस्थितियों को देखते हुए कृषि वैज्ञानिक जलवायु अनुकूल किस्मों का विकास करें। बैठक में अनुसंधान निदेशक डॉ. एमएम सुंदरिया ने कहा कि सिंचाई, मृदा में कार्बन और सूक्ष्म पौषक ततवों की कमी जैसे कई चुनौतियां है। इनसे निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से ठोस रणनीति के साथ रिसर्च करने की जरूरत है। बैठक में रबी फसलों के लिए कुल 10 सिफारिशों का अनुमोदन किया गया। बैठक में एआरएस मंडोर के क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डॉ. एमएल मेहरिया ने रिसर्च कार्यो का ब्यौरा रखा।
यह आई सिफारिशें
सरसों किस्म पीडीजेडएम 33, पीएम 32, आरएच 725, आरएच 761 का अनुमोदन।
तारामीरा किस्म आरटीएम 1355 और आरटीएम 1624।
अरंडी- ग्वार और अरंडी़-मूंग के अंत: शस्यन को अपनाने की सिफारिश।
गेहूं में उपज बढौत्तरी के लिए (45 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस)़ रेडी बोयोमिक्स़ प्रथम सिंचाई के समय , खडी फसल में यूरिया (22.5 किलो/है.)़ 30 और 60 दिन के बाद नेनो यूरिया का पर्णीय छिडकाव ।
गेंहू में उत्पादकता बडाने के लिए 100 प्रतिशत अनुकूल एन पी 30 किलो पोटाश डालने की सिफारिश ।
केमोमाइल में फूल आने के समय 100 पीपीएम एनएए का छिड़काव।
चिया में खरपतवार नियंत्रण के लिए बेंटाजॉन 48 प्रतिशत एसएल/ 750 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हैक्टयर का बुवाई के 30 दिन बाद छिड़काव।
जीरा में छाछ्या और अल्टरनेरिया झुलसा के लिए ट्राइसाइक्लोजॉल 45 प्रतिशत, हेक्साकोनाजॉल 10 प्रतिशत डब्लयू जी 500 ग्राम प्रति हैक्टयर की दर से रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर और पखवाडे बाद पर्णीय छिडकाव।
मेथी में पत्ती रोग नियंत्रण के लिए एजोक्सीस्ट्रोबिन 8.3 प्रतिशत+मेंकोजेब 66.7 प्रतिशत डब्लयू जी प्रति लीटर पानी की दर से दो पर्णीय छिड़काव।
प्याज में थ्रिप्स के लिए प्रोफेनोफॉस 50 ईसी. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पखवाडे भर के अंतराल पर छिड़काव।