दक्षिण से मानसून अब भी दूर - कही अतिवृष्टि तो कहीं सूखा
(सभी तस्वीरें- हलधर)कही अतिवृष्टि तो कहीं सूखा झेलने को मजबूर हुए किसान
जयपुर। नया परिसंचरण तंत्र बनने से प्रदेश के कई जिलो में हल्की, मध्य और तेज बारिश का दौर फिर से शुरू हुआ है। लेकिन, दक्षिणी जिलों में फसल उत्पादन पर संकट गहराता जा रहा है। मौसम विभाग के पूर्वानुमानों पर गौर करें तो दक्षिणी जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है। लेकिन, किसानों का कहना है कि समय पर बारिश नहीं होने से खरीफ फसलों की स्थिति कमजोर बनी हुई है। गौरतलब है कि मक्का और ज्वार की फसल में मंजर निकलना शुरू हो गए है। वहीं, दलहनी फसलों में भी फूल खिलने लगे है। गौरतलब है कि प्रदेश के आधा दर्जन से ज्यादा जिलें इस साल सूखे की चपेट में है। इनमें सिरोही, डूंगरपुर, सलूम्बर, प्रतापगढ़ जिला तो इस साल मानसून के तेवर देखने के लिए भी तरस गया है। जबकि, भीलवाड़ा, जालौर, बारां, झालावाड़, चित्तौडग़ढ, सांचौर, शाहपुरा और उदयपुरमें दिन ब दिन हालात विकट होते जा रहे है। किसानों को फसल के साथ पशुधन के लिए चारे-पानी की व्यवस्था अभी से ही सताने लगी है। वहीं, प्रदेश के शेष जिलों में भी मानसून की ज्यादा मेहरबानी से किसानों के सामने फसलों का बचाना भारी पड़ रहा है। आंवा-टोंक के किसान दुर्गाशंकर पारीक ने बताया कि खेतों में दो फीट तक पानी भरा हुआ है। जिससे मक्का और उड़द की फसल पीली पड़कर नष्ट होने के कगार पर पहुंच चुकी है। कमोबेश यही स्थिति पूर्वी राजस्थान में भी देखने को मिल रही है। किसानों का कहना है कि जहां ज्यादा बारिश हो गई, वहां पर फसलों की बढ़वार तो ज्यादा हो गई। लेकिन, दलहनी और तिलहनी फसलों में फल-फूल नहीं बन रहे है। इस स्थिति मेेंं भी किसानों को नुकसान ही उठाना पड़ेगा। इसके अलावा जिन फसलों का सिंचाई की जरूरत है, वह अब दम तोडऩे लगी है। फसलों के पत्ते पीले पडऩे लगे हैं। बाजरा, ज्वार, मक्का की फसलों के पत्ते मुरझाने लगे हैं।
चारे के भाव में बढ़ौतरी
दक्षिणी राजस्थान में अपेक्षानुरूप बारिश नहीं होने से हरे और सूखे चारे के भावों में बढ़ोतरी हो रही है। सूखा चारा जो स्टाक किसानों के पास है, वह खत्म होता जा रहा है। किसानों के अनुसार कुत्तर नहीं मिल रही। तुड़ी के भाव भी पन्द्रह-बीस रुपए किलो है। आगामी दिनों में इसमें ओर बढ़ोतरी की आशंका है।
मूँग-बाजरे में कातरा
मूंग और बाजरे की फसल में कातरा नियंत्रण के लिए किसान क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण का 6 किलो प्रति बीघा की दर से भुरकाव करें।
हरा तेला और थ्रिप्स का नियंत्रण
कृषि अधिकारियों के अनुसार अगस्त माह बीटी कपास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस समय हरा तेला और थ्रिप्स का काफी प्रकोप देखने को मिल रहा है। रोग पर नियंत्रण करने के लिए किसानों को फ्लोनाकामिड 50 डब्ल्यूजी, डायनेटूफोरान 20 डब्ल्यूजी, पायरीप्रोक्सिफेन 10 ईसी, थायोमेथोग्जाम 25 डब्ल्यूजी का छिड़काव करना चाहिए। कृषि अधिकारियों के अनुसार एक साथ ज्यादा कीटनाशकों के मिश्रण के छिड़काव से कीटों की प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है और फसल को भी नुकसान होता है। ऐसे में विभाग की सलाह अनुसार ही स्प्रे करें, ताकि फसल को कोई हानि नहीं हो।
ग्वार : ग्वार फसल में बैक्टीरियल ब्लाइट का प्रकोप सामने आया है। नियंत्रण के लिए किसान सुडोमुनास 6 एमएल+ बैक्टीरिया माइसिन 0.33 प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
सोयाबीन में सेमीलूपर, तम्बाकू-चने की इल्ली
सोयाबीन फसल में सेमीलूपर, तम्बाकू और चने की इल्ली का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इनके नियंत्रण के लिए किसान क्यूनालफॉस 25 ईसी 1500 मिली अथवा इन्डोक्साकार्ब 14.5 एससी 300 मिली अथवा फ्लूबेन्डीयामाईड 39.35 एससी 150 मिली प्रति हैक्टयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। जिन किसानों के यहां पत्ते खाने वाली इल्ली के साथ सफेद मक्खी का प्रकोप हुआ है वह बीटासायफ्लूथ्रीन+ इमिडाक्लोप्रीड 350 मिली प्रति हैक्टयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
लक्ष्य से 96 फीसदी बुवाई
प्रदेश में खरीफ फसलों की बुवाई 1.64 करोड़ हैक्टयर की तुलना में 1.58 करोड़ हैक्टयर क्षेत्र में हो चुकी है। जो लक्ष्य का 96 फीसदी है। कृषि विभाग के अनुसार अब फसल बुवाई क्षेत्रफल बढऩे की संभावनाएं नगण्य हो चुकी है। उधर, मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश के कई संभाग में कहीं-कही हल्की से मध्य दर्जे की बारिश हो सकती है। गौरतलब है कि प्रदेश में 177 लघु और मझोले बांध इस साल सूखे पड़े रह गए है।
फसल बुवाई एक नजर
फसल बुवाई
धान - 2.96
ज्वार - 6.60
बाजरा - 43.04
मक्का - 9.64
मूंग - 23
मोठ - 10.39
उड़द - 2.97
चौला - 0.55
तिल - 2.13
मूंगफली - 8.53
सोयाबीन- 11.23
गन्ना - 0.05
कपास - 5.19
ग्वार - 26.94
(बुवाई लाख हैक्टयर में)