पारा लुढकने के साथ रबी पर जमीं बर्फ

नई दिल्ली 17-Dec-2024 02:29 PM

पारा लुढकने के साथ रबी पर जमीं बर्फ

(सभी तस्वीरें- हलधर)

प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई लक्ष्य से 87 प्रतिशत
 

इसके चलते फसलों के अपेक्षित उत्पादन में नुकसान की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि माउंट आबू के साथ-साथ सीकर के फतेहपुर में पारा जमाव बिंदु के करीब दर्ज हो चुका है। हालांकि, बीते दिनों पौधों पर जमी बर्फ से नुकसान के समाचार फिलहाल नहीं है।  किसानों का कहना है कि सर्दी का आलम यही रहा तो फसल उत्पादन में नुकसान उठाना पड़ेगा। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले एक सप्ताह से पड़ रही सर्दी और तापमान में निरंतर गिरावट का असर रबी की फसल पर पडने की संभावना है। हालांकि, तापमान में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। इसलिए औसत तापमान रबी फसलों के लिए अनुकूल है। उधर, रबी फसलों की बुवाई लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है। रबी फसलो की बुवाई लक्ष्य 1 करोड़ 19 लाख हैक्टयर की तुलना में 1 करोड़ तीन लाख हैक्टयर क्षेत्र में हो चुकी है। 
अगले सप्ताह से गिरेगा तापमान
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक इससे राजस्थान समेत उत्तर भारत के राज्यों में सर्दी के तेवर तेज होंगे। मौसम विभाग ने शीतलहर से मामूली राहत मिलने की संभावना जताई है। नियमित रूप से जारी होने वाले मौसम बुलेटिन में विभाग की ओर से किसी भी शहर में शीतलहर का अलर्ट जारी नहीं किया है। हालांकि, सर्दी का प्रकोप रहेगा लेकिन शीतलहर से राहत मिलने की संभावना जताई जा रही है। उधर मौसम विभाग यह जानकारी पूर्व में ही दे चुका है कि दिसंबर के तीसरे और चौथे सप्ताह में सर्दी का प्रकोप बढऩे की संभावना है।
पहाड़ों में बर्फ बारी का दौर जारी
पहाड़ों पर जमकर बर्फ बारी हो रही है। पहाड़ों की बर्फ ीली हवाओं ने मैदानी इलाकों में ठंड बढ़ा दी है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू.कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ बारी का दौर जारी है।  हिमपात के कारण मैदानी इलाकों में भी तामपान में लगातार गिरावट आ रही है। कश्मीर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। 
पशुपालन पर भी असर 
केवीके भीलवाड़ा के डॉ. सीएम यादव ने बताया कि सर्दी की वजह से पशुओं ने चारा-पानी कम कर दिया है। इससे दुधारू पशुओं का दूध कम होने लगा है। पशुओं के नाक और मुंह से लार गिरने लगी है। विभाग के अनुसार जुकाम बढऩे से निमोनिया और बुखार आदि बीमारी भी हो सकती है।
ठंड से गेहूं और चना को फायदा
मौसम साफ होते ही पारा गिरने से पाला पडऩे के आसार नहीं है। तेज ठंड से गेहूं और चना फसल को फायदा होगा। कृषि विशेषज्ञों ने बताया ठंड जितनी तेज पड़ेगी, गेहूं और चना फसल उत्पादन उतना अच्छा होगा। पाला पडऩे के आसार कम हैं। तापमान कम होने पर सब्जियों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। आलू, बैगन और अरहर को नुकसान की आशंका है। ऐसे में सब्जी उत्पादक किसान को लगातार निगरानी की जरूरत है।
जौ लक्ष्य पार 
सूखे की स्थिति के बावजूद प्रदेश में जौ की अच्छी बुवाई हुई है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस साल सरसों-चने की बुवाई कम रह सकती है। गेहूं की बुवाई अभी जारी है। इसके अलावा पश्चिमी राजस्थान में बीजीय मसालो की बुवाई किसान कर रहे है। लेकिन, जीरा फसल की बुवाई इस साल पिछडऩे का अनुमान है। क्योंकि, इस साल पश्चिमी जिलों का तापमान ज्यादा रहा है। इस कारण किसान जीरे की बुवाई समय पर नहीं कर पाए।  किसान अब देर से तैयार होने वाली गेहूं किस्मों की ही बुवाई कर सकेंगे। 
फसल    क्षेत्र    फसल    क्षेत्र    
गेहूं     28.04    जौ    4
चना    19.66    सरसों    32.67
तारामीरा    0.82    अलसी    0.11
बुवाई क्षेत्र लाख हैक्टयर में।


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