पानी और पैसा बढ़ा रहा है लहसुन का रकबा

नई दिल्ली 17-Oct-2024 04:06 PM

पानी और पैसा बढ़ा रहा है लहसुन का रकबा

(सभी तस्वीरें- हलधर)

किसानों के रूझान को देखे हुए कृषि विशेषज्ञ इस साल बुवाई क्षेत्र में 25-30 प्रतिशत की बढौत्तरी होना तय मान रहे है। इस स्थिति को देखते हुए बुवाई का रकबा एक से सवा लाख हैक्टयर पहुंचने का अनुमान है। गौरतलब है कि बाजार में लहसुन के भाव रिटेल में 400 रूपए प्रति किलो बने हुए है। ऐसे में किसानों को लग रहा है कि आगामी साल में भी लहसुन की फसल से वारे-न्यारे होना तय है। लेकिन, इस बार 25-30 हजारी भावों ने स्थिति को बदलने का काम किया है। किसान उत्साह के साथ इस फसल की बुवाई कर रहे है। उधर, भंड़ारित प्याज भी किसानों के लिए सोने पे सुहागा साबित होने लगा है। सप्ताहभर के दौरान ही प्याज के प्रति किलो भावों में 15-20 रूपए का उछाल देखने को मिला है। इससे किसानों की खुशी दोगुना हो गई है। 
घट सकता है रबी का बुवाई क्षेत्र
सूत्रों ने बताया कि इस वर्ष लहसुन की बुवाई बढने से हाड़ौती संभाग में सरसों, चना और गेहूं की फसल का रकबा घट सकता है। क्योंकि, किसानों से लहसुन बीज की अच्छी मांग  मिल रही है। जिन किसानों ने पिछले साल दो-तीन बीघा क्षेत्र में लहसुन की बुवाई की थी, वह इस साल दोगुना रकबे में फसल की बुवाई कर रहा है। इस कारण रबी की दूसरी फसलों का बुवाई क्षेत्र कम रहने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि हाड़ौती संभाग में पिछले साल 90 हजार हैक्टयर से अधिक क्षेत्र में लहसुन की बुवाई किसानों ने की थी। हाड़ौती जैसा ही रूझान इस साल चितौडग़ढ़ और प्रतापगढ़ जिले में देखने को मिल रहा है। 
भाव अच्छा, पानी की कमी नहीं
उद्यानिकी विभाग कोटा के उपनिदेशक एनबी मालव ने बताया कि इस साल किसानों के रूझान को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस साल संभाग भर में लहसुन बुवाई का क्षेत्र पिछले साल से ज्यादा रहेगा। किसानों में लहसुन की बुवाई को लेकर होड़ देखने को मिल रही है। जिन किसानों से पिछले साल कम क्षेत्रफल में बुवाई की थी। वह रकबा बढ़ाकर बुवाई करने में जुटे है। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि लहसुन के साथ-साथ प्याज का बुवाई क्षेत्र भी बढेगा। ।
30-45 हजार बीज भाव
उन्होने बताया कि इस साल हाडौती संभाग के साथ-साथ प्रदेश के दूसरे जिलों में लहसुन की बुवाई बढने का अनुमान है। इस बार किसानों को क्वालिटी लहसुन के भाव 25-30 हजार रूपए प्रति क्विंटल मिल रहे है। जबकि, बीज की दर 30-45  हजार रूपए प्रति क्विं टल चल रही है। किसान देशी की जगह ऊंटी लहसुन को लगाना पसंद कर रहे है। एक अनुमान के मुताबिक लहसुन की 50-60 फीसदी बुवाई हो चुकी है। गौरतलब है कि पिछले साल प्रदेश में 1 लाख 63 हजार हैक्टयर क्षेत्रफल में लहसुन की बुवाई हुई थी। मालव ने बताया कि भाव के साथ-साथ मानसून अच्छा रहने से पानी और पैसे की कमी नहीं है। इस कारण किसान लहसुन बुवाई पर जोर दे रहे है। 
प्याज से वारे-न्यारे
उधर, जिन किसानों ने भाव बढऩे की उम्मीद के साथ प्याज का स्टॉक किया हुआ था, अब उनकी पूछ-परख बढ़ गई है। प्याज कारोबारी उपज खरीद के लिए किसानों के घर तक पहुंचने लगे है। गौरतलब है कि सप्ताह भर के दौरान प्याज के प्रतिकिलो भाव में 15-20 रूपए की बढौत्तरी देखने को मिली है।
यह है प्रमुख उत्पादक जिले
लहसुन बुवाई की बात करें तो कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ के साथ-साथ प्रतापगढ़ और चित्तौडग़ढ़ जिले में लहसुन की बुवाई बडे पैमाने पर होती है। 
2023-24 में बुवाई
जिला    हैक्टयर
कोटा    235550
बारां    31211
बूंदी    3139
झालावाड़    32961


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