गेंदा फूल गांव बना गंदीफली, 80 बीघा में हो रही है खेती
(सभी तस्वीरें- हलधर)जयपुर। पारंपरिक खेती की तुलना में बागवानी या फूलों की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। सोयाबीन और धान की पैदावार के लिए पहचान रखने वाले कोटा जिले में फूलों की खेती का चलन बढ़ गया है। मुनाफा मिलने से किसान उत्साहित हैं। जिले के गंदीफली गांव के हालात ये है कि जहां तक नजर जाती है, धरती पीले फूलों की चुनर ओढे नजर आती है। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गांव में अधिकांश माली जाति के किसान है और जोत का आकार छोटा है। इस कारण अमूमन सभी किसान सब्जी के साथ-साथ फूल उत्पादन से जुड़े हुए है। उद्यान विभाग के उपनिदेशक नंदबिहारी मालव ने बताया कि फूलों की खेती में किसानों को सब्जी से ज्यादा मुनाफा मिल रहा है। इस कारण किसान स्वत: ही फूल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित हो रहे है।
बीघा से 80 से लाख तक
किसान ब्रह्मानंद सुमन ने बताया कि दशक पहले सब्जी का रकबा घटाकर गेंदा फूल की खेती करना शुरू किया था। बाजार भाव अच्छा रहने पर एक बीघा क्षेत्र से लाख रूपए से ज्यादा आमदनी मिल जाती है। वहीं, भाव कम रहने की स्थिति में भी 70-80 हजार रूपए की औसत आमदनी गेंदा फूल की खेती से होती है।
80 बीघा में खेती
उद्यान विभाग के मुताबिक लाडपुर पंचायत समिति क्षेत्र के इस गांव में वर्तमान में 80 बीघा क्षेत्र में गेंदा फूल की खेती हो रही है। गेंदा फूल की अलग-अलग किस्मों का इस गांव में आसानी से दीदार संभव है। करीब तीन से चार दर्जन किसान फूलों की खेती से अपनी आजीविका चला रहे है।
कैसे होती हैं गेंदे की खेती
किसानों का कहना है कि गेंदा फूल की खेती में बीज और बुवाई की लागत आती है। उन्होने बताया कि इस फसल में ज्यादा कीट-रोग का प्रकोप नहीं होता है। यदि कोई कीट-बीमारी लगती भी है तो एक-दो स्प्रे करने पड़ते है। बुवाई के 45 दिन बाद उपज मिलना शुरू हो जाती है।