घुलने लगी ठंडक, पर, अधिक तापमान ने रोकी बुवाई
(सभी तस्वीरें- हलधर)मौसम साफ होने लगा था। तापमान के तेजी से बढऩे से लोग गर्मी से बेहाल होने लगे थे। इससे लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत देने के लिए बारिश ने फिर दस्तक दी। इससे लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी। साथ ही, कई जिलो में फसली नुकसान भी दर्ज हुआ है। बता दें कि पश्चिमी विक्षोभ यानी वेस्टर्न वेस्टर्न डिस्टेबंस के चलते प्रदेश में बारिश की संभावना बन रही है। मौसम विभाग ने कई जिलों में आंधी-तूफान और बारिश का अलर्ट जारी किया है। राजस्थान के मौसम में आए इस बदलाव से प्रदेश में सुबह-शाम के दौरान हल्की ठंडक का अहसास होने लगा है। दोपहर में तेज गर्मी के बाद लोगों को शाम में थोड़ी राहत मिल रही है। गौरतलब है कि मौसम में बदलाव के बावजूद भी अधिकांश जिलों में दिन का तापमान 35 डिग्री के आसपास बना हुआ है। इस कारण किसान सरसों की बुवाई का जोखिम नहीं उठा रहे है। वहीं, कृषि विभाग भी किसानों को अपनी सलाह में तापमान कम होने की स्थिति में ही सरसों की बुवाई करने की बात कह रहा हे। गौरतलब है कि प्रदेश में नवरात्रा खत्म होने के साथ ही किसान सरसों की बुवाई का श्रीगणेश कर देते है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि दिन-रात के तापमान में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा हैं। रात का तापमान फसल बुवाई के अनुकूल हो चुका है। लेकिन, दिन का तापमान चिंता बढ़ा रहा है। इस कारण बीज के जमाव में परेशानी आ सकती है। वहीं, बारिश का दौर बना होने से बीज खराब होने की भी संभावना नजर आ रही है। कृषि विभाग के अनुसार इस साल सरसों का बुवाई क्षेत्र बढ़ाने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की गई है। इससे उम्मीद है कि इस वर्ष सरसों की बुवाई पिछले साल से बेहत्तर रहने का अनुमान है। सरसों की बुवाई बढ़ाने के लिए कृषि विभाग सरसों बीज के साथ नि:शुल्क कृषि आदान भी किसानों को उपलब्ध करवा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सरसों और चना बुवाई का वैज्ञानिक समय चल रहा है। किसान सरसों की बुवाई नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक कर सक ते है। इसके बाद किसान सरसों की बुवाई नहीं करें। अक्टूबर के बाद सरसों की बुवाई करने वाले किसानों को देर से पकने वाली किस्मों का चयन करने की जरूरत होगी। वैज्ञानिकों के अनुसार 15 अक्टूबर के बाद सरसों की बुवाई से जनवरी माह में पाला और शीतलहर से फसल का बचाव हो जाता है। क्योंकि, उस समय तक फसल में फली बनने की प्रक्रिया शुरू नहीं होती है। जबकि, अगेती सरसों में पाला और शीतलहर के चलते किसान को उत्पादन में नुकसान उठाना पड़ता है। कृषि जानकारों का कहना हैं कि इस वर्ष किसान जमीन की नमी को देखते हुए तेजी से सरसों और चना बुवाई का कार्य निपटाना चाहते है।
भीगा अनाज
पिछले दिनों प्रदेश के कई जिलों में हुई बारिश से कृषि उपज मंडियों में आसमान तले रखा अनाज भीग गया। इससे कारोबारियों के साथ-साथ किसानों को भी आर्थिक नुकसान हुआ है। गौरतलब है कि प्रदेश के पश्चिमी जिलों में इन दिनों किसान खरीफ फसलों की कटाई कर रहे है। खेतों में कटी हुई फसल बिखरी हुई है। मौसम की स्थिति को देखते हुए किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है।
आगामी दिनों में कैसा रहेगा
मौसम का हाल
राजस्थान में अचानक हुए बदलाव के बाद मौसम विभाग ने बताया कि आने वाले दिनों में भी प्रदेश का मौसम ऐसा ही बना रह सकता है। विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, कर्नाटक-गोवा तट के पास पूर्वी मध्य अरब सागर पर कम दबाव वाला क्षेत्र बन रहा है। इससे जुड़े चक्रवात को अगले 2 से 3 दिन में उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढऩे के साथ मध्य अरब सागर पर एक अवदाब में बदलने की उम्मीद है। यही कारण है कि आने वाले दिनों में राजस्थान के कई जिलों में बारिश फिर बारिश होगी। विभाग ने बताया कि उदयपुर, कोटा और जोधपुर संभाग में मेघगर्जन के साथ बारिश होगी।
किसानों को सलाह
> कृषिउपज मंडियों में खुले में रखे हुए अनाज और जिंसो को सुरक्षित स्थान पर भंडारण करें । ताकि उन्हें भीगने से बचाया जा सके।
> खरीफफसलों की कटाई और रबी की फसलों की बुवाई का कार्य आगामी दिनों में बारिश की गतिविधियों के मध्यनजर ही करें।
> फसलोंमें सिंचाई और किसी भी प्रकार का रासायनिक छिड़काव बारिश की गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए करें।
> मेघगर्जनके समय सुरक्षित स्थान पर शरण लेवे, पेड़ों के नीचे शरण ना लें ।