किसानों को अब विपणन क्रांति की जरूरत

नई दिल्ली 21-Nov-2025 04:58 PM

किसानों को अब विपणन क्रांति की जरूरत

(सभी तस्वीरें- हलधर)

उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय और अटारी जोधपुर के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थान सहित हरियाणा और दिल्ली राज्य के अन्तर्गत आने वाले कृषि विज्ञान केन्द्रों की तीन दिवसीय जोनल वर्कशॉप, उदयपुर में सम्पन्न हुई। इस कार्यक्रम में वर्ष 2047 तक विकसित भारत की परिकल्पना को धरातल देने के लिए आवश्यक कदम और सुधारों पर मंथन किया गया। साथ ही, किसान उत्थान में केवीके की भूमिका बढाने और सरकार की नीतियों पर भी चर्चा की गई। इस कार्यशाला को कई वक्ताओं ने सम्बोधित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रताप सिंह ने कहा कि नीतियां कठोर नहीं, इस तरह बने, जिन्हें फील्ड में आसानी से लागू किया जा सके और किसान सशक्त बनाया जा  सके। उन्होंने कहा कि देश में कई क्रान्तियां हुई। लेकिन, अब विपणन क्रांति की जरूरत है। किसान को हम ही तकनीक नहीं दे रहे। बल्कि, किसान यू-ट्यूब, व्हाट्सएप, रेडियो और स्वयं सेवी संस्थाओं जैसे कई माध्यमों से कृषि को पढ़ रहा है। उन्होने केवीके में सुविधा और संसाधनों के विकास पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम को प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आरएल सोनी और अटारी जोधपुर के निदेशक डॉ. जेपी मिश्रा ने भी सम्बोधित किया। इस कार्यशाला में 150 से अधिक वैज्ञानिकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न कृषि साहित्य का विमोचन भी किया गया। 

पहुंचना होगा लैब से लैंड़ तक 

एनडीआरआई, करनाल के निदेशक डॉ. धीर सिंह ने कहा कि किसानों की खुशहाली के लिए कृषि वैज्ञानिकों को लैब से लैंड तक पहुंचना होगा। किसान की समस्याओं का सूचीबद्ध करना होगा। युवाओं को खेती से जोडऩे के लिए तकनीक विशेष आधारित मॉडल विकसित करने होंगे। दुग्धोत्पादन, पशुआहार, विपणन प्रणाली पर ध्यान देना होगा। 

जमाने होंगे पैर

आईसीएआर नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. रंजय कुमार सिंह ने कहा कि स्थानीय स्तर पैदा होने वाले फल, फूल, दूध, मछली आदि को लेकर वाणिज्यिक गतिविधयों को सुनियोजित तरीके बढाना होगा। कृषि विज्ञान केन्द्रों को अनुसंधान के साथ-साथ वाणिज्यिक क्षेत्र में भी पैर जमाने होंगे। 

इन पर हुई चर्चा

कार्यशाला में कृषि ड्रोन, प्राकृतिक खेती, फसल अवशेष प्रबंधन, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अभियान में भी केवीके की भूमिका को अहम माना। साथ ही, सुझाव दिया कि अटारी को अपने स्तर पर बेस्ट केवीके, पब्लिकेशन आदि के लिए पुरस्कृत करना चाहिए। कार्यक्रम में तिलहन-दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया। 


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