लहसुन की आवक से चरमराया खरीद तंत्र (सभी तस्वीरें- हलधर)
जयपुर। गर्मी तेज होने के साथ ही हाड़ौती लाइन की कृषि उपज मंडियों में लहसुन की जोरदार आवक दर्ज हो रही है। इससे मंडियों में खरीद व्यवस्था प्रभावित होने लगी है। हालात यह है कि बारां कृषि उपज मंडी में 9-10 दिनों से किसान लहसुन बिक्री का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, अब तक उनका लहसुन नहीं बिक पाया है। वहीं इस दौरान उपजे हालातों को देखते हुए मंडी प्रशासन ने लहसुन के प्रवेश की तीसरी घोषणा में अनिश्चितकाल के प्रवेश पर रोक की घोषणा कर दी हैं। मंडी में अभी भी करीब 30 हजार कट्टे लहसुन से अधिक बिक्री के लिए पड़ा हुआ है। कृषि उपज मंडी में गत दो वर्षों से बाहर के व्यापारी मंडी में नही पहुंच रहे हंै। पूर्व में यहां लहसुन की खरीदारी के लिए यूपी तथा बिहार के करीब एक दर्जन व्यापारी आते थे। लेकिन, दो वर्षों से भाव में फर्क के चलते यह व्यापारी कोटा मंडी से ही खरीदारी कर रहे हंै। कारोबारियो के मुताबिक कोटा मंडी से बारां मंडी में करीब एक से डेढ़ हजार रुपए प्रति क्विंटल का फर्क रहता है। यहां माल ऊंचा बिकने के कारण बाहर के व्यापारियों का रुझान नहीं है। कृषि मंडी सचिव मनोज मीना ने बताया कि 28 अप्रेल शाम को ही लहसुन की बम्पर आवक होने के कारण पूर्व में 5 अप्रेल तक के लिए प्रवेश पर रोक के आदेश जारी किए गए हैं। उसके बाद स्थिति को देखते हुए 8 अप्रेल तक के आदेश जारी किए थे। लेकिन, वर्तमान हालातों को देखते हुए मंडी में अनिश्चितकाल के लिए लहसुन के प्रवेश पर रोक लगानी पड़ी है। जो कि अग्रिम आदेश तक जारी रहेगी।
क्यों बढ़ी आवक
तेज गर्मी के कारण लहसुन की गुणवत्ता में गिरावट आना शुरू हो जाती है। इस कारण किसान जमा लहसुन को मंड़ी दिखाने में जुटे हुए है। ताकि, समय पर बिक्री होने से उचित दाम मिल सके।
जीरे में आई तेजी
इधर, जोधपुर लाइन की मंडियों में जीरे के प्रति क्ंिवटल भाव में सुधार का रूख देखने को मिल रहा है। जोधपुर मंड़ी में
जीरा में प्रति क्विंटल 150-200 रुपए तेजी और ईसबगोल में प्रति क्विंटल 150-200 रुपए गिरावट दर्ज की गई। वहीं, ग्वारगम सहित अन्य कृषि जिंस के भाव में विशेष उतार-चढ़ाव नहीं देखा गया। मंड़ी में जीरे के भाव 24025-3050 रूपए बोले गए। जबकि, ईसबगोल 12900-15000, सौंफ 6800-11835, धनिया 5500-6520, मैथी 5100-5415, सरसों 5200-7100, रायड़ा 4800-5150, मूंग 6500-6925, मोठ 5000-5400, ग्वार 4800-5075 रुपए प्रति क्विंटल बोले गए।