11 माह, 16 करोड़, प्रगति ठन-ठन गोपाल

नई दिल्ली 19-Nov-2025 03:20 PM

11 माह, 16 करोड़, प्रगति ठन-ठन गोपाल

(सभी तस्वीरें- हलधर)

रारी दुर्गापुरा में इस सेंटर को अब तक नहीं मिला धरातल

जयपुर। फिर दिसम्बर आने को है और टिश्यू कल्चर में पत्थर के सनम से ज्यादा कुछ नहीं। जी हां, ऐसा ही मामला सामने आया है श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर में। जहां, वैज्ञानिक पिछले कई महीनों से हर माह मोटी तनख्वा उठा रहे है। लेकिन, अब तक टिश्यू कल्चर तकनीक से पौधा तो दूर किसी फसल का प्रोटोकॉल तक तैयार नहीं कर पाएं है। जबकि, राज्य सरकार से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर टिश्यू कल्वर के नाम से करीब 16 करोड़ रूपए का भारी भरकम बजट उठा चुके है। गौरतलब है कि कृषि विभाग के द्वारा प्रोजेक्ट की प्रगति रिपोर्ट मांगे जाने पर यह मामला प्रकाश में आया है। सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. बलराज सिंह के कार्यकाल में दिसम्बर 2024 में इस सेंटर का शिलान्यास हुआ। इसके बाद से स्थिति पत्थर के सनम जैसी बनी हुई है। जबकि, सेंटर का शिलान्यास हुए जल्द ही एक साल होने को है। गौरतलब है कि यह सेंटर राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा में बनना था। 

27 करोड़ का बजट

सूत्रों ने बताया कि राज्य कृषि का परिदृश्य बदलने के लिए राज्य सरकार ने इस सेंटर को मंजूरी दी थी। राजस्थान कृशि प्रतिस्पद्र्धात्मक  परियोजना के तहत सेंटर विकास के लिए करीब 27 करोड़ रूपए का बजटीयय प्रावधान किया गया। सूत्रों ने बताया कि इस बजट में से करीब 16 करोड़ का बजट विश्वविद्यालय को आंवटित किया जा चुका है। गौरतलब है कि आरएसीपी योजना परिचालन के लिए वल्र्ड बैंक बजट मुहैया करवा रहा है। 

इस फौज को क्या नाम दें

सूत्रों ने बताया कि एक साल बाद भी धरातल नहीं लेने वाले टिश्यू कल्चर सेंटर में कृषि वैज्ञानिको की लंबी फे हरिश्त है। वर्तमान में एक परियोजना अन्वेषक, को-पीआई सहित 6 एसआरएफ लगाएं हुए है। इसके बावजूद भी टिश्यू कल्चर तकनीक से एक पौधा अब तक तैयार नहीं हुआ है और ना ही किसी फसल का प्रोटोकॉल। जबकि, वैज्ञानिक हर महीने मोटी तनख्वा उठा रहे है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वल्र्ड बैंक वैज्ञानिकों की इस फौज को मौजमस्ती करने के लिए तनख्वा का भुगतान कर रहा है?

इस मामले को लेकर विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ. उम्मेद सिंह से दूरभाष पर सम्पर्क किया। लेकिन, कॉल रिसीव नहीं किया और ना ही मोबाइल संदेश का कोई जबाव दिया। 


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