400 करोड़ का बजट, पंजीयन से 50% का बीमा
(सभी तस्वीरें- हलधर)जयपुर। प्रदेश में मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना के हाल अब भी बेहाल ही नजर आ रहे है। यह बात हम नहीं, विभाग के आंकड़े बयां कर रहे है। हालात यह है कि 400 करोड़ का फंड होने के बावजूद भी सरकार पंजीयन से 50 फीसदी पशुपालकों को ही बीमा पॉलिसी जारी कर पाई। जबकि, 13 लाख हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किए गए थे। लेकिन, बीमा का लाभ इससे भी तीन लाख कम किसानों को दिया गया।
दांवे थोथे साबित
योजना में सरकार के दावों की पोल खुल गई है। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में जहां 21 लाख पशुओं का बीमा करने का लक्ष्य रखा था, वहां वित्तीय वर्ष 2025-26 का अक्टूबर माह बीतने के बावजूद मात्र 10 लाख 59 हजार 102 पशुओं का बीमा हो पाया है। जबकि, करीब 13 लाख पशुओं के पशुपालन विभाग के चिकित्सकों ने स्वास्थ्य प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए थे। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि सरकार ने बजट घोषणा में भले ही पशुओं का बीमा करने को लेकर बड़े दावे किए हों। लेकिन योजना का लाभ बहुत कम पशुपालकों को मिल पाया है। गौरतलब है कि सरकार ने इस योजना के तहत 400 करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की, जिसमें करोड़ों रुपए निजी एजेंसी को ऐसे कार्य के बदले दिए गए।
ढ़ाई लाख पशुओ का बीमा नहीं
यही वजह है कि प्रदेश में जहां पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सकों ने जिन 12 लाख 98 हजार 144 पशुओं के हैल्थ सर्टिफिकेट जारी कर दिए, उनका सर्वे बेसलाइन सर्वे संबंधित एजेंसी की ओर से समय पर नहीं किया जा सका है, जिसके चलते करीब ढाई लाख पशुओं का बीमा नहीं हो पाया। गौरतलब है कि पिछले वर्ष करीब 21 लाख पशुपालकों ने ऑनलाइन आवेदन किया था।
दूसरा चरण, नहीं बढे कदम
गौरतलब है कि सरकार के द्वारा योजना का दूसरा चरण एक नवम्बर से शुरू करने की घोषणा की गई थी। लेकिन, अभी तक इस दिशा में कोई सुगबुगाहट विभागीय स्तर पर नजर नहीं आ रही है। सूत्रों का कहना है कि द्वितीय चरण को लेकर विभागीय स्तर पर कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए है।
योजना की हकीकत
बजट घोषण के तहत प्रथम चरण में 21 लाख दुधारू पशुओं का बीमा होना था। जिसमें 5 लाख गाय, 5 लाख भैंस, 5 लाख बक री, 5 लाख भेड़ और एक लाख ऊंट शामिल थे। योजना का लाभ लेने के लिए 6,04,431 गाय, 7,41,170 भैंस, 4,87,980 बकरियों, 1,86,658 भेड़ और 9,716 ऊंटों का रजिस्टे्रशन हुआ। इसमें से 16,72,866 पशुओं का लॉटरी के जरिए चयन किया गया। सूत्रों ने बताया कि गाय-भैंस का रजिस्ट्रेशन लक्ष्य से अधिक होने के कारण उनकी लॉटरी निकालने के साथ ही लक्ष्य घटा दिए गए। वहीं, भेड़, बकरी और ऊंट का रजिस्ट्रेशन लक्ष्य से कम होने के कारण लॉटरी नहीं निकाली गई।
इस संबंध में पशुपालन निदेशक डॉ. आनंद सेजरा से दूरभाष पर सम्पर्क किया गया। लेकिन, फोन रिसीव नहीं हुआ।