झोपड़ी में चमके गा सफेद सोना
(सभी तस्वीरें- हलधर)इस समय मशरूम की खेती छोटे किसानों के लिए सोना साबित हो रही है। क्योंकि, कम लागत और छोटी जगह में उगाए जाने वाली मशरूम किसानों को मोटा लाभ दे रही है। किसानों को आत्मनिर्भरत बनाने के लिए सरकार जल्द ही एक प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है। जिसके तहत किसानों को ट्रेनिंग से लेकर मशरूम उत्पादन के लिए सभी जरूरी आदान एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगे। इससे ना केवल राज्य में मशरूम का उत्पादन बढेगा। वहीं, स्वरोजगार को बढावा मिलने के साथ-साथ किसानों की आय में भी बढौत्तरी होगी। दरअसल, राज्य के किसानों को मशरूम की खेती से जोडऩे के लिए राज्य सरकार ने दुर्गापुरा स्थित इंटरनेशन हार्टिकल्चर और इनोवेशन ट्रेनिंग सेंटर (आईएचआईटीसी) को मशरूम की खेती पर एक प्रोजेक्ट मंजूर किया है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मंजूर हुए इस तीन वर्षीय प्रोजेक्ट के तहत ना केवल किसानों को सेटर पर विभिन्न प्रकार की मशरूम उगाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा। बल्कि, मशरूम उत्पादन में सहायक जरूरी आदान भी सेंटर के द्वारा किसानों को मुहैया कराएं जायेंगे। साथ ही, उत्पादित मशरूम को बाजार दिलाने के प्रयास भी किए जायेंगे। सेंटर के मुख्य प्रशिक्षक सत्यनारायण चौधरी ने बताया कि प्रदेश में मशरूम की खेती को लेकर किसानों में जागरूकता बढ़ रही है। क्योंकि, कम लागत में इससे अच्छा कोई दूसरा व्यवसाय नहीं हैं। किसान अपने घर या झोपड़ी से भी इस व्यवसाय की शुरूआत कर सकता है। गौरतलब है कि मशरूम की व्यवसायिक खेती के लिए सरकार अनुदान योजना भी चला रही है। मशरूम की खेती में सफल होने के बाद किसान अनुदान योजना का लाभ लेकर अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते है। उन्होंने बताया कि अगर किसी किसान ने दस बाई दस के कमरे में मशरूम के दो सौ से ढाई सौ बैग लगाए हैं तो वह किसान को हर महीने चालीस से पचास हजार रुपये कमाई कर सकता है, जिसे अच्छी कमाई कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि सेंटर से अप्रत्यक्ष रूप से कई किसान प्रशिक्षित हुए है, जो मशरूम उगाकर एक सफल उद्यमी बन चुके है।
2.28 करोड़ रूपए मंजूर
उन्होंने बताया कि आईएचआईटीसी, जयपुर को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत राज्य सरकार ने दो प्रोजेक्ट मंजूर किए है। इनमें मशरूम फार्मिंग और रूफ टॉप फार्मिंग शामिल है। इन दोनों प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने कुल मिलकार 2.28 करोड़ रूपए मंजूर किए है। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत किसानों को ऑयस्टर, बटन और मिल्की मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया जायेगा।
ट्रेनिंग के साथ आदान
उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत किसानों को ना केवल मशरूम की खेती में प्रशिक्षित किया जायेगा। बल्कि, ट्रेनिंग पाने वाले किसानों को उद्यम से जोडऩे के लिए स्पॉन (बीज) के साथ बाविस्टिन, इमिड़ाक्लोप्रिड़ और फार्मेलिन नामक रसायन भी उपलब्ध कराएं जायेंगे। साथ ही, मशरूम की तकनीक जानकारी से जुड़ा साहित्य भी प्रदान किया जायेगा। उन्होंने बताया कि संभवत: आगामी माह से सेंटर पर किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो जायेंगे।
बढ़ रही है मांग
मौजूदा समय में लोगों के बीच मशरूम की मांग काफी बढ़ गई है। लोग मशरूम को तेजी से अपने आहार में शामिल करने लगे हैं। क्योंकि, मशरूम खाने में काफी स्वादिष्ट होती है। मशरूम कई पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है। मौजूदा समय में मशरूम की कई किस्म बाजार में उपलब्ध हैं। लेकिन, इनमें बटन मशरूम उत्पादन और आय के लिहाज से किसानों के लिए फायदे का सौदा है। असल में बटन मशरूम की खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है। बटन मशरूम की खेती बहुत कम प्रयास में अच्छे मुनाफे के लिए एक अच्छा विकल्प है।
अक्टूबर से मार्च तक होती है खेती
उन्होंने बताया कि इसके उपज के लिए 16 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल होता है। इसे लगाने का उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च का महीना होता है। बटन मशरूम का व्यवसाय किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है। जिसमें लागत बहुत कम है। एक किलो बटन मशरूम का लागत मूल्य लगभग 25-30 रुपये तक होता है। वहीं इसकी बाजार में कीमत 70 से 80 रुपये किलो है। किसान आसानी से इसे अच्छे मुनाफे के साथ बाजार में अथवा किसी कंपनियों को भी बेच सकते हैं।
मिलता है अनुदान
उन्होने बताया कि व्यवसायिक स्तर पर मशरूम उत्पादन के लिए किसानों को अलग-अलग कम्पोनेंट पर लागत से 40 प्रतिशत बैँक एंडेड अनुदान देय है। इनमें क्रॉपिंग रूम तैयार करना, कम्पोस्ट यार्ड का निर्माण अथवा इनोकुलेशन चैम्बर का निर्माण आदि शामिल है।
क्यों बढ़ रही है मांग
उन्होने बताया कि मशरूम कई पोषक गुणों से भरपूर खाद्य है। इसको आहार में शामिल करके कई बीमारियों से बचा जा सकता है। यह शरीर की रोगप्रतिरोधकता को बढ़ाता है। उन्होने बताया कि मशरूम से ज्यादा आमदनी प्राप्त करने के लिए किसान इससे सिवईयां, प्रोटीन पाउडर, खाखरा, बिस्कुट, कैप्सूल, आचार सहित कई दूसरे प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद भी तैयार कर सकते है।