बेहतर पशुपालन, उन्नत उत्पादन-दुधारू पशु को पोषक तत्वों की जरूरत

नई दिल्ली 12-Aug-2024 08:43 AM

बेहतर पशुपालन, उन्नत उत्पादन-दुधारू पशु को पोषक तत्वों की जरूरत (सभी तस्वीरें- हलधर)

सामान्य दशाओं में खनिज तत्व पशु को दिये जाने वाले चारे और दाने के माध्यम से मिल जाया करते थे। लेकिन, सघन कृषि उत्पादन कार्यक्रमों के अपनाये जाने के कारण मिट्टी में खनिज तत्वों की कमी सामने आने लगी है। जिससे जो तत्व पौध उत्पादों के माध्यम से मिल जाया करते थे, उनको भी पूरक खनिज तत्व के रूप में पशु को देना अब अनिवार्य हो चला है। यदि खनिज तत्वों की पूर्ति खनिज पूरक के रूप में नहीं की जाती है तो पशु का दुग्ध उत्पादन और उसके स्वास्थ्य में गिरावट होने लगती है। पशु पोषण में खनिज तत्वों के महत्व को लेकर हलधर टाइम्स की पशुपोषण विशेषज्ञ डॉ. जयपाल सिंह गुर्जर से हुई वार्ता के मुख्यांश...
डॉ जयपाल सिंह गुर्जर वर्तमान में पशुचिकित्सालय रायपुर पाटन-सीकर में पशुचिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत है और पाटन ब्लॉक के बीवीएचओ है। डॉ गुर्जर मूलत: नीम का थाना के ही निवासी है। इन्होंने बीवीएससी एंड एच वेटरनरी कॉलेज बीकानेर से वर्ष 2011 में उत्तीर्ण की। पशुपालन विभाग में प्रथम नियुक्ति 2012 में पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु चिकित्सालय बिशनिया, भीलवाड़ा में मिली। डॉ जयपाल सिंह गुर्जर ने पशुरोग जागरूकता अभियान चलाकर पशुपालक गोष्ठियों के माध्यम से हजारों पशुपालकों को जागरूक किया हैं।

दुधारू पशु को कौनसे पोषक तत्वों की जरूरत होती है?
मुख्य रूप से 15 ऐसे खनिज तत्व है, जिनकी जरूरत दुधारू पशुओं को होती है। इनमें कुछ ऐसे तत्व है जिनकी अधिक मात्रा में आवश्यकता पड़ती है। इन्हें मुख्य खनिज तत्व कहते है। जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, क्लोरिन और सल्फर। जिन खनिज तत्वों की कम मात्रा में जरूरत होती है, उनमें लोहा, मैग्नीज, कॉपर, मोलिब्डेनम, जिंक, कोबाल्ट, आयोडिन और सैलीनियम है। इन्हें गौण पोषक तत्व कहा जाता है। गौरतलब है कि पशु शरीर में भार के अनुसार 4 प्रतिशत खजिन तत्व पाये जाते है। 
पशु में खून की कमी किस खनिज तत्व के कारण होती है ?
पशु शरीर में लोह खनिज तत्व की कमी से खून में हिमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इससे एनीमिया नामक रोग हो जाता है। जिससे शरीर में कमजोरी और उदासीनता आ जाती है। पशु थकान महसूस करता है। हदय की धड़कन बढ़ जाती है। नवजात को भूख कम लगती है। बढ़वार कम होती है। साथ ही, संक्रामक रोग से प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इस तत्व की कमी छोटी उम्र के पशु में अधिक देखने में आती है। जिन्हे केवल दूध ही अधिक पिलाया जाता है। दूध में इस तत्व की हमेशा कमी रहती हैं। संकर नस्ल में इस तत्व की कमी से उसके बच्चों में पिगलेट एनीमिया नामक रोग होने का भय रहता है। क्योंकि उनको भी अधिकंाशत दूध ही पिलाया जाता है। यह तत्व लगभग सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ में पाया जाता है। फिर भी हरी पत्ती वाले खाद्य पदार्थ, चारा जैसे लूसर्न, बरसीम आदि और मांस आहार इस तत्व के बहुत ही अच्छे स्त्रोत है।
पशु शरीर में खनिज तत्व का क्या महत्व है ?
सन्तुलित आहार सभी प्रकार के पौष्टिक तत्व जैसे शर्करा, प्रोटीन, वसा, खनिज तत्व और विटामिन्स का उचित मात्रा में मिश्रित अनुपात होता है। सन्तुलित आहार खिलाने से पशु स्वस्थ रहते है। साथ ही, उनका दूध, ऊन, मांस भी बढ़ता है। पशु आहार में यदि खनिज तत्व की कमी होगी तो आहार के अन्य पदार्थ शर्करा, प्रोटीन, वसा आदि का सही तरह से प्रयोग नहीं हो सकेगा। पशु कमजोर हो जाता हैं। अनेक प्रकार की बीमारी हो सकती है। अगर, यही तत्व आवश्यकता से अधिक मात्रा में होते है तो भी यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक हैं। इससे भी पशु में बीमारी अथवा मृत्यु तक हो सकती हैं। पशु आहार में खनिज तत्व के अभाव और अधिकता से बीमारी भी हो जाती है।
खनिज तत्व कितने प्रकार के होते है ?
खनिज तत्व को मुख्यत: दो भागों मे बांटा गया है। पहला भाग उस तत्व का है जिसकी आवश्यकता शरीर को ज्यादा मात्रा में रहती है। इनको वृहत तत्व कहते है। इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, क्लोरीन तथा सल्फर है। दूसरा भाग उन तत्वों का है जिनकी आवश्यकता बहुत ही कम मात्रा में होती है। इनको विरल तत्व कहते है। इनमें मुख्य रूप से लोहा, जिंक, तांबा, मैग्नीज, कोबाल्ट, आयोडीन, मोलिब्डेनम, फ्लोरिन, सैलेनियम और क्रोमियम है।
खनिज तत्व कमी निवारण के लिए पशुपालक क्या करें?
इसके लिए पशु पालक को चाहिये कि वह अपने पशु को बाजार में उपलब्ध विभिन्न मार्का के खनिज तत्व मिश्रण और साधारण नमक नित्य आहार का एक प्रतिशत खिलाए। आजकल विभिन्न मार्का की खनिज/लवण ईंट भी उपलब्ध है। इसको पशु की ठाण के पास रख दिया जाता है। यह सस्ती भी पड़ती है। इस प्रकार पशु को खनिज तत्व की कमी से उत्पत्र होने वाली बीमारियों से बचाया जा सकता है। साथ ही, इससे पशु उत्पादन क्षमता भी बढ़ती हैं।


ट्रेंडिंग ख़बरें