देसी उपचार से घटायें पशुपालन लागत (सभी तस्वीरें- हलधर)
पशुपालन को वैज्ञानिक विधि से करने पर पशु का स्वास्थ्य उत्तम रहता है। वहीं, उत्पादन बढऩे से औसत लाभ में भी वृद्धि होती है। पशुपालन की लागत कम करने के लिए पशुपालकों को सामान्य बीमारियों की जानकारी होना जरूरी है। ताकि, पशु के बीमार होने की स्थिति में स्वयं प्राथमिक उपचार पशु को दे सके। ऐसे कई घरेलू नुस्खे है, जो पशु रोग नियंत्रण में आज भी कारकर है। पशु रोग के देसी उपचार विषय पर हलधर टाइम्स की डॉ. राजेन्द्र सिंह गढ़वाल से हुई वार्ता के अंश...
जीवन परिचय
डॉ. राजेन्द्र सिंह गढ़वाल वर्तमान में पशुपालन विभाग देवलिया, अजमेर में पद स्थापित हैं। इन्होंने राजस्थान पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, बीकानेर से वर्ष 2011 में स्नातकोत्तर की उपाधी ली है। आपको बता दें कि डॉ. गढ़वाल झुंझुनू जिले के भोरकी गांव से ताल्लुक रखते है। वर्ष 2012 में टीचिंग एसोसिएट के रूप में कॅरियर की शुरूआत की। वर्ष 2013 से पशुपालन विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे है। इनके राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय जर्नल में 20 रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके है।
पशुओं में आफरे की समस्या आम है। इसको कैसे दूर किया जा सकता है ?
जब पशुओं का पेट फूल जाये, पशुओं को सांस लेने और बैठने में परेशानी आने लगे तो पशुओं को 20 ग्राम हींग को 300 ग्राम मीठे तेल में मिलाकर तुरंत पिला देंवे। इससे गैस खत्म हो जायेगी। इसके अलावा सहजना के पेड़ की छाल को पानी में उबालकर पिलाने से भी आफरा रोग ठीक हो जाता है। पशुपालक भाई 50 ग्राम अजवायन, 50 ग्राम कालानमक को 500 ग्राम छाछ में मिलाकर भी पशु को दे सकते है।
छोटे पशु निमोनिया-खांसी के ज्यादा शिकार होते है ?
निमोनिया, सर्दी और खांसी से बचाव के लिए सबसे पहले पशु के ऊपर कपड़ा बांधे। फिर, 250 ग्राम अडूसा के पत्ते, 100 ग्राम सौंठ, 20 ग्राम कालीमिर्च, 50 ग्राम अजवायन को बारीक पीसकर 20 ग्राम हल्दी और आधा किलो गुड़ के साथ अच्छी तरह मिलायें। फिर, इसके 7 लड्डू बना लेंवे। इन लड्डूओं को दिन में तीन बार पशुओं को चटाने से अतिशीघ्र आराम मिलता है। इसके अलावा पशुपालक 100 ग्राम सुहागा का फूल, 200 गा्रम पिसी मुलहेटी को 500 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर 6 लड्डू बना सकते है। दिन में तीन बार एक-एक लड्डू पशु को खिलाने से आराम मिलता है।
पशुपालकों की शिकायत रहती है कि पशु चारा कम खाता है। इसका उपचार क्या है?
पशुओं के चारा कम खाने अथवा भूख नहीं लगने की स्थिति में पशुपालक यह देसी उपचार कर सकते है। पशुपालक अजवायन 50 ग्राम, नमक 50 ग्राम,सौंठ 20 ग्राम, सौफ 20 ग्राम और नक्सवोमिका पाउडऱ 10 ग्राम लेकर मिश्रण तैयार कर लें। फिर, इसमें 200 ग्राम गुड़ मिलाकर 4 लड्डू बना लेवें। बड़े पशुओं को सुबह-शाम एक लड्डू दो से तीन दिन तक देने से शीघ्र लाभ होता है। छोटे पशुओं को इसकी आधी मात्रा देनी चाहिए। इस पाउडऱ को चार खुराक बनाकर, एक खुराक आधा लीटर पानी में घोलकर भी पशुओं को सुबह-शाम दी जा सकती है।
भैंस, भेड़ और बकरियों में लीवर फ्लूक का उपचार कैसे करें ?
लीवर फ्लूक से तात्पर्य पेट में कीड़े पडऩे और पशु द्वारा बदबूदार गोबर करने से है। रोग नियंत्रण के लिए पशुपालक भैंस को सप्ताह में दो बार 50 ग्राम नमक दें। अथवा 2-3 ग्राम नीला थोथा बारीक पीसकर 1 लीटर पानी में घोलकर दो माह में एक बार पिलाते रहे। भेड़-बकरी में 2 प्रतिशत घोल बनाकर 50 मिली लीटर प्रति माह देना चाहिए।
गादी में सूजन और मुहं के छाले का उपचार पशुपालक कैसे करें ?
यदि पशु के थन अथवा गादी में सूजन आ जाये तथा दूध में खून दिखाई दे तो सबसे पहले बर्फ की मालिश करनी चाहिए। फिर उस पर कालीजीरी का लेप कर देना चाहिए। पशु को एक पाव नींबू का रस और एक पाव तिल का तेल मिलाकर सुबह-शाम 2-3 दिन पिलाने से अतिशीघ्र लाभ मिलता है। वहीं, मुहं में छाले होने की स्थिति में बच्छ 15 ग्राम, मीठा तेल 50 ग्राम को मिलाकर पशु को तीन-चार दिन रोटी के साथ खिलाना चाहिए। इसके अलावा मुलहेठी का काढ़ा भी दे सकते है। अथवा 10 ग्राम सुहागे को हल्का सा गर्म करके फूला लें। उसमें 2 ग्राम कपूर और 20 ग्राम शहद मिला लें। मुंह को फिटकरी के पानी से धोकर इस दवा का लेप कर दें।
पशुओं में पीलिया को देसी नुस्खे से ठीक किया जा सकता है ?
जी हां, पीलिया रोग का रामबाण नुस्खा भी है। पीलिया रोग उपचार के लिए पीपल के 50 ग्राम नये पत्तो को धोकर उसको खूब बारीक पीस लेंवे। फिर उसमें 100 ग्राम मिश्री डालकर पीस लेंवे। अब इसे आधा किलो पानी में घोलकर साफ कपड़े से छान लेंवे। यह पानी दिन में दो-तीन बार पिलाने से रोग में आराम मिलता है। इसके साथ-साथ गाय की छाछ में फिटकरी को मिलाकर भी दे सकते है।