दूसरी फसलों के समान राई-सरसों में भी अधिकतम आर्थिक लाभ प्राप्त करने, सामान्य वृद्धि और विकास के लिए संतुलित और पर्याप्त मात्रा में उर्वरकों की आवश्यकता होती है।
उर्वरक का उपयोग: उर्वरकों का संतुलित उपयोग करने के लिए नियमित भूमि परीक्षण आवश्यक है।
असिंचित फसल
एक हैक्टयर में राई (लाहा) की असिंचित फसल को साधारणतया 40-60 किलोग्राम नत्रजन, 20-30 किलोग्राम फ ास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश और 20 सल्फर की आवश्यकता होती है।
सिंचित फसल
सिंचित फसल को 80-120 किलोग्राम नत्रजन, 50-60 किलोग्राम फ ास्फोरस और 20-40 किलोग्राम पोटाश और 40 किलोग्राम सल्फ र की भी आवश्यकता होती है। सिंचित स्थितियों में नत्रजन की आधी मात्रा, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर की पूरी मात्रा को बुवाई के समय, बीज से कम से कम 5 सेमी. नीचे ऊर कर देना चाहिए। शेष आधी नत्रजन को पहली सिंचाई करने के बाद खेत में जब पैर चिपचिपाते हों तब बिखेरना (टोप ड्रेसिंग) चाहिए। असिंचित फसल में सभी पोषक तत्वों की पूरी मात्रा को बुवाई के समय ही डाला जाता है।
जिंक की कमी वाली मृदा
सूक्ष्म पोषक तत्व जिंक की कमी वाली मृदा में बुवाई से पहले 5 किलोग्राम जिंक प्रति हैक्टयर अकेले अथवा जैविक खाद के साथ प्रयोग किया जा सकता है।
बोरोन की कमी वाली मृदा
बोरोन की कमी वाली मृदाओं में 1.0 किलोग्राम बोरॉन प्रति हैक्टयर की दर से खेतों में बुवाई से पूर्व मिला दिया जाये तो अच्छा लाभ मिलता है। इसी प्रकार दूसरे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर अच्छी उपज प्राप्त करने के लिये उन तत्वों का देना भी आवश्यक हो जाता है।
जीवाणु खाद: पोषक तत्वों की उपलब्धता बढाने में दो जीवाणु खाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं -एजोटोबैक्टर और फॉस्फोरस घोलक जीवाणु। एजोटोबैक्टर जीवाणु खाद वायुमंडलीय नत्रजन को परिवर्तित कर पौधों उपलब्ध कराते हैं। इसके प्रयोग से औसतन 10-15 किलोग्राम नत्रजन प्रति हैक्टयर परिवर्तित होकर पौधों को उपलब्ध होती है। यह जीवाणु बीज के अंकुरण और पौधे की बढवार में सहायक होने के साथ-साथ भूमि में अनेकों रोगकारी कवकों की वृद्धि को नियंत्रित करता है। इस जीवाणु की मृत कोषिकाएँ भूमि में कार्बनिक पदार्थ में वृद्धि करते हैं।
फॉस्फोरस घोलक जीवाणु भूमि में अघुलनषील अवस्था में स्थित फॉस्फोरस को घुलनषील अवस्था में परिवर्तित कर पौधों के ग्रहण करने योग्य बनाते हैं जिससे फॉस्फोरस की उपलब्धता बढती है फलस्वरूप उत्पादन बढता है। इसके प्रयोग से औसतन 50 प्रतिषत तक फॉस्फेटिक खाद की बचत की जा सकती है।
जीवाणु खाद से बीजोपचार के लिए प्रत्येक जीवाणु खाद के 50-50 ग्राम मिश्रण को आवष्यकतानुसार पानी में घोलकर एक हैक्टेयर के लिए आवष्यक बीजों में छाया में मिलाऐंं। उपचारित बीज को 10 मिनट तक छाया में सुखाकर तुरंत बुवाई के काम में लेवें। यदि भूमि उपचार करना है तो इसके 4 किलोग्राम एजोटोबैक्टर तथा 4 किलोग्राम फॉस्फोरस घोलक जीवाणु के मिश्रण को 100-125 किलोग्राम पकी गोबर की खाद में छाया में समान रुप से मिलाकर अंतिम जुताई के पूर्व खेत में बिखेर कर मिला दें। इसके बाद तुरंत सिंचाई कर दें।
डॉ. अशोक कुमार शर्मा
भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान, भरतपुर