अच्छी उपज के लिए बेर की कटाई-छंटाई

नई दिल्ली 09-May-2024 06:15 PM

अच्छी उपज के लिए बेर की कटाई-छंटाई (सभी तस्वीरें- हलधर)

वर्षा आधारित उद्यानिकी में बेर एक ऐसा फ लदार पेड़ है जो कि एक बार पूरक सिंचाई से स्थापित होने के पश्चात वर्षा के पानी पर निर्भर रहकर भी फलोत्पादन कर सकता है। शुष्क क्षेत्रों में बार-बार अकाल की स्थिति से निपटने के लिए भी बेर की बागवानी अति उपयोगी सिद्ध हो सकती है। यह एक बहुवर्षीय और बहुउपयोगी फलदार पेड़ है जिसमें फलों के अतिरिक्त पेड़ के अन्य भागों का भी आर्थिक महत्व है। इसकी पत्तियाँ पशुओं के लिए पौष्टिक चारा प्रदान करती है जबकि इसमें प्रतिवर्ष अनिवार्य रूप से की जाने वाली कटाई-छंटाई से प्राप्त कांटेदार झाडिय़ां खेतों व ढ़ाणियों की रक्षात्मक बाड़ बनाने व भण्डारित चारे की सुरक्षा के लिए उपयोगी है। शुष्क क्षेत्रों में अल्प, अनियमित और अनिश्चित वर्षा केा देखते हुए बेर की खेती बहुत उपयोगी है। क्योंकि, पौधे एक बार स्थापित होने के बाद वर्ष के किसी भी समय होने वाली वर्षा का समुचित उपयोग कर सकते है।
 

कटाई-छँटाई का कार्य 
बेर में कटाई-छँटाई का कार्य बहुत महत्वपूर्ण होता है। प्रारम्भिक वर्षो में मूलवृन्त से निकलने वाली शाखाओं को समय-समय पर काटते रहे ताकि कलिकायन किए हुए ऊपरी भाग की उचित बढ़ोत्तरी हो सके। शुरू के 2-3 वर्ष में पौधों को सशक्त रूप और सही आकार देने के लिए इनके मुख्य तने पर 3-4 प्राथमिक शाखाएॅ यथोचित दूरी पर सभी दिशाओं में चुनते है। इसके बाद इसमें प्रति वर्ष कृन्तन करना अति आवश्यक होता है क्योंकि बेर में फूल व फल नयी शाखाओं पर ही बनते है। 
 

मई में करें कटाई
कटाई-छँटाई करने का सर्वोत्तम समय मई का महीना होता है। जब पौधे सुषुप्तावस्था में होते है। मुख्य अक्ष की शाखाओं के चौथी से षष्टम् द्वितीयक शाखाओं के स्तर तक काटना चाहिए। साथ ही, सभी द्वितीयक शाखाओं को उनके निकलने के पोइन्ट से नजदीक से ही काटना चाहिए। इसके अतिरिक्त अनचाही, रोग ग्रस्त, सूखी तथा एक दूसरे के ऊपर से गुजरने वाली शाखाओं को उनके निकलने के स्थान से ही हर वर्ष काट देना चाहिए। नियमित कटाई-छंटाई न करने से पौधे की फलन शक्ति मे कमी हो जाती हैं एवं इसका सीधा प्रभाव बेर के गुणवत्ता पर पड़ता है। प्रत्येक वर्ष नियमित छटाई से अंदर का भाग खाली हो जाता है और कुछ ही वर्षों मे शीर्ष फलन होने लगता है। बेर में कटाई-छँटाई के बाद कटे भाग पे ब्लीटोक्स नमक फफूंदनाशक का लेप लगा बगीचे को गहरी जुताई कर खुला छोड़ देते है। जून-जुलाई माह मे बरसात से पहले उर्वरक एवं खाद डालते है।
 


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