कृषि में सदाबहार जैविक खेती
(सभी तस्वीरें- हलधर)जैविक खेती के प्रकार
शुद्ध जैविक खेती: इस तरह की खेती में किसी भी प्रकार के कृत्रिम रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता है। उपयोग किया जाने वाला प्रत्येक उर्वरक अथवा कीटनाशक पूरी तरह से प्राकृतिक स्रोतों जैसे रक्त भोजन अथवा अस्थि भोजन से प्राप्त होता है।
एकीकृत जैविक खेती: इसमें एकीकृत कीट प्रबंधन और पोषक तत्व प्रबंधन जैसी पारिस्थितिक आवश्यकताओं और आर्थिक मांगों को प्राप्त करने के उद्देश्य से एकीकृत तकनीक शामिल हैं।
जैविक पोषक तत्व प्रबंधन
जैविक खेती फसलों के साथ-साथ उपभोक्ताओं दोनों के लिए स्वस्थ खेती का तरीका अपनाती है। इस विधि में, फसलों के पोषण के लिए कम्पोस्ट जैविक खाद का उपयोग किया जाता है और इस प्रकार, मिट्टी की जैविक सामग्री और उर्वरता में सुधार होता है। खाद के अलावा, मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाने के लिए जीवाणु और कवक जैव उर्वरकों का भी उपयोग किया जाता है।
खरपतवार, कीट प्रबंधन
फसल चक्र, मिश्रित फसल, जैविक नियंत्रण और हाथ से निराई करना मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और कीट और खरपतवार नियंत्रण के लिए जैविक खेती में उपयोग की जाने वाली अन्य तकनीकें हैं। कीट और खरपतवार प्रबंधन और मिट्टी संरक्षण की यह प्रणालियाँ जैविक खेती को सर्वोत्तम विधि बनाती हैं। कभी-कभी, प्राकृतिक अथवा जैविक रूप से अनुमोदित कीटनाशकों जैसे नीम कीटनाशकों का भी उपयोग किया जाता है।
रोग प्रबंधन
जैविक किसानों के लिए बीमारियाँ एक बड़ी चिंता का विषय हो सकती हैं । क्योंकि, वह फसल की पैदावार को कम कर सकते हैं। इसलिए, विभिन्न पौधों की बीमारियों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण दीर्घ और सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपूर्ति और फसल चक्र को अपनाना महत्वपूर्ण है। यहां तक कि हानिकारक जीवों को रोकने के लिए मिट्टी को उपयोगी रोगाणुओं, कवक और बैक्टीरिया से समृद्ध किया जाता है।
जैविक डेयरी उत्पाद
जैविक फ ल और सब्जियाँ सफल जैविक उत्पादों के एकमात्र उदाहरण नहीं हैं। हाल ही में, जैविक डेयरी उत्पाद ध्यान देने योग्य हैं। पशुधन जैविक खेती का एक और उदाहरण है। यहां, वह खेती के सख्त तरीकों का पालन करते हैं जैसे कि जानवर केवल जैविक भोजन पर ही भोजन करते हैं। उच्च उपज के लिए हार्मोन या अन्य आनुवंशिक इंजीनियरिंग प्रथाओं को जानवरों पर अनुमति नहीं है।
जैविक खेती के लाभ
मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है और जैविक विविधता बनी रहती है।
पर्यावरण के लिए अच्छा है और पैदावार मानव और पशु उपभोग के लिए स्वस्थ है।
मिट्टी के कटाव, क्षरण और फसल की विफलता को रोकता है।
प्रदूषण कम होगा और पूरी खेती आसानी से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर हो सकेगी।
मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है और इसके रासायनिक और भौतिक गुणों को बढ़ाता है।
सावधानियां
जिस क्षेत्र मे जैविक खेती की जाना हैैं उस क्षेत्र में जैविक खेती ही करना चाहिए।
जैविक और अजैविक खेती एक साथ नही करना चाहिए।
जैविक खेती मे खरपतवार नियंत्रण हेतु प्रथम वर्ष गहरी जुताई करना भी एक कारगर उपाय है।
जैविक खेती के पूर्व प्रक्षेत्र की मेड़ों़ें पर उपलब्ध कचरा एव अन्य वानस्पतिक समुदाय को समाप्त करना अति आवश्यक है क्योंकि मेड़ों पर उपलब्ध खरपतवारो के बीज खेतों में स्थानान्तरित हो जाते हैं।
वर्तमान में अभी ऐसे जैविक खरपरनाशी नही है जिनके छिड़काव से खरपतवार का नाश किया जा सके।
जैविक खेती में खरपतवार नियंत्रण का कारगर उपाय निदाई एवं खेतों की तैयारी है।
आशा कुमारी, विकास शर्मा, अशोक डागर, रेणु राठौर, विध्या
कृषि विश्वविद्यालय, जूनागढ़-गुजरात