मटर की अगेती बुवाई

नई दिल्ली 03-Oct-2023 03:43 PM

मटर की अगेती बुवाई (सभी तस्वीरें- हलधर)

मटर की खेती सब्जी और दाल के लिए की जाती है। दाल आवश्यकता पूर्ति के लिये पीले मटर का उत्पादन किसान करते है।  जिसका उपयोग दाल, बेसन और छोले के रूप में  किया जाता है। वहीं, हरे दानों की डिब्बाबंदी करके बेमौसमी उपयोग किया जाता है। मटर की खेती से अधिक लाभ लेने हेतु किसान इसकी अगेती बुवाई करते है।

 

उन्नत किस्म:- आर्केल, पंजाब अगेती-6, अर्ली बैजर, बोनविले, असौजी, अर्ली दिसंबर, पन्त उपहार,जवाहर मटर, पंत सब्जी मटर-3, कासी उदय-नंदिनी-मुक्ति, आजाद मटर-3, वीएल-7। इसके अलावा निजी कम्पनियां भी मटर बीज उपलब्ध करवा रही है। किसान भाई अपने विवेकानुसार बीज की खरीद कर सकते हैं।

मध्यम किस्म:- टी-9, 56, एनपी 29

पछेती किस्म:- आजाद मटर-2, जवाहर मटर-2 आदि।

बीज दर :- 100-125 किग्रा. (अगेती किस्म) 70-80 किग्रा. (मध्यम- पछेती) प्रति हैक्टयर।

बीजोपचार- प्रति किग्रा बीज को 2 ग्राम कार्बेण्डाजिम 5 ग्राम पीएसबी और राइजोबियम कल्चर और  4-5 ग्राम ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें।  

बुवाई समय :- अगेती बुवाई हेतु सितम्बर अंतिम सप्ताह से अक्टूबर प्रथम सप्ताह तक। 

दाल मटर हेतु :- 14-30 अक्टूबर। 

कतार की दूरी:- 30 सेमी, मध्यम अवधि 45 सेमी। 

पौधे की दूरी:- 10-15 सेमी। 

खाद-उर्वरक: 80-100 क्विटंल गोबर खाद।  20-25 किग्रा. नाइट्रोजन, 50-60 किग्रा. फास्फोरस, 40-50 किग्रा. पोटाश प्रति हैक्टयर। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के 25-30 दिन बाद प्रयोग करे।


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