चने में बढ़ते कीट-रोग प्रकोप पर वैज्ञानिक प्रबंधन से बढ़े उपज

नई दिल्ली 01-Dec-2025 06:55 PM

चने में बढ़ते कीट-रोग प्रकोप पर वैज्ञानिक प्रबंधन से बढ़े उपज

(सभी तस्वीरें- हलधर)

कृषि उत्पादन मे दलहनी फसल विशेष स्थान रखती हैं। भोजन में प्रोटीन की पूर्ति, हरे चारे, मृदा संरक्षण और भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखने में दलहनी फसलों की भूमिका सर्वविदित हैं। दलहनी फ सलों में चने का प्रमुख स्थान है। यह रबी की मुख्य फ सल है। उन्नत तकनीकी और पादप संरक्षण विधियों का उचित उपयोग नहीं करने के कारण इसकी राष्ट्रीय उत्पादकता में कमी आयी है। चने की फ सल में कई प्रकार के कीट -रोग लगते है जिससे उपज कम मिलती हैं। 

रोग नियंत्रण

उकठा अथवा विल्ट : नियंत्रण के लिये कार्बेण्डाजिम 50 डब्ल्यूपी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। 

स्तंभमूल संधि विगलन (पद गलन रोग) : कैल्शियम 60 किलो प्रति हैक्टयर उपयोग करने से रोग में कमी आती है। 

रस्ट अथवा गेरुआ रोग : नियंत्रण के लिये मैन्कोजेब 45 डब्ल्यूपी 2 ग्राम अथवा कार्बेण्डाजिम 50 डब्ल्यूपी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। 

अल्टरनेरिया ब्लाईट (झुलसा रोग) : मैन्कोजेब 75  डब्ल्यूपी अथवा थाइरम 75  डब्ल्यूपी अथवा कार्बेण्डाजिम 50 डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।  

ग्रे मोल्ड : क्लोरोथेलोनिल 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी 2-3 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करेें।

कीट नियंत्रण

फली छेदक जैविक नियंत्रण : जैविक नियंत्रण के लिए फ लीबेधक कीट नियंत्रण के लिए एन.पी.वी. वायरस का प्रयोग किया जा सकता है। फसल में कीट का प्रकोप होने पर तीन बार 250 लार्वा तत्व को घोल कर फसल पर छिड़काव करेंं। इसके अलावा बी.टी.के. का भी उपयोग एक से डेढ़ किलो प्रति हैक्टयर की दर से किया जा सकता है।  

रासायनिक नियंत्रण : नियंत्रण के लिए क्यूनॉलफॉस 25 ईसी 1 लीटर को 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टयर की दर से छिड़काव करें। अथवा 25 किलो प्रति हैक्टर मैलाथियान 5 प्रतिशत चूर्ण का छिडकाव करे।

पाला : पाले से बचाव के लिये घुलनशील गंधक 1 लीटर प्रति 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टयर की दर से छिड़काव करें।


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