आजादी के बाद भारतीय कृषि के बढते कदम -अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका (सभी तस्वीरें- हलधर)
डॉ एसआर मालू, डीन, पेसिफि क कृषि महाविद्यालय, उदयपुर
स्वतंत्रता के बाद कृषि ने देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लगभग 58 प्रतिशत आबादी कृषि पर ही निर्भर है। आजादी के बाद प्राथमिक चुनौतियों में से एक भूमि वितरण और स्वामित्व था। अधिकांश किसानों के पास छोटी और खंडित जोत थी। इस असमानता को दूर करने के लिए राज्यों ने काश्तकारी सुधार और भूमि जोत की अधिकतम सीमा जैसे उपायों को लागू किया। भारतीय कृषि की मानसून पर निर्भरता को देखते हुए और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बांधों और नहरों जैसी सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा दिया। वर्ष 1950 में खाद्यान्न उत्पादन मात्र 50 मिलियन टन था। देश खाद्य आयात पर निर्भर था। कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के अथक प्रयासो, सरकारी नीतियों से 1966-67 में शुरू हुई हरित क्रांति से खाद्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। बीजों की उच्च उपज देने वाली किस्मों, आधुनिक कृषि तकनीकों और सिंचाई से फसल उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई। गेहूं, चावल और कई प्रमुख फसलों में देश आत्मनिर्भर हो गया। उचित भंडारण, बुनियादी ढांचे में बदलाव, मशीनीकरण, डिजिटलीकरण के साथ ही आपूर्ति श्रृंखला द्वारा किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने लगा। कृषि में प्रौद्योगिकी के प्रयोग से उत्पादकता और दक्षता में सुधार हुआ है। आनुवांशिकी, सटीक खेती और जैव प्रौद्योगिकी ने बहुत चुनौतियों का समाधान करने में मदद की। मुख्य फसलों से परे कृषि उत्पादन में विविधता लाने के प्रयास किए गए हैं। बागवानी-फूलों की खेती, मशरूम, शहद, दूध, मछली, अंडा और मूल्य संवर्धन आदि द्वारा किसानों की वैकल्पिक आय बढी और पारंपरिक फसलों पर दबाव कम हुआ। विगत 6-7 वर्षों में कृषि क्षेत्र 4.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा। जिसे अमृतकाल में उतरोत्तर बढाना समय की मांग है जो अनुसंधान, शिक्षा, नवाचार आदि से ही संभव हैं। पर्यावरण,जलवायु परिवर्तन, कुपोषण, पशुपालन आदि को ध्यान में रखते हुए अब टिकाऊ कृषि पद्धतियों, फसल विविधिकरण, मृदा सुधार, जैविक खेती, संरक्षण कृषि और एकीकृत फसल प्रबंधन आदि को विकल्प के रूप में बढ़ावा देना महत्वपूर्ण हो गया है।
एक नजर कृषि
दूध, काजू, नारियल, चाय का सबसे बड़ा उत्पादक
जूट, दाल, अदरक, हल्दी, काली मिर्च,मसाले केला ,अंगूर ,पपीता, टैपिओका, नींबू, गोभी और अन्य ब्रैसिका।
गेहूं, चावल, चीनी, मूंगफली और फलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक।
तम्बाकू का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक
मशीनीकरण के कार्यान्वयन में तीसरा सबसे बड़ा देश ।
उत्पादन एक नजर
खाद्यान्न उत्पादन: 50 से 330.5 मिलियन टन, 6 गुणा
बागवानी उत्पादन: 25 से 347.2 मिलियन टन, 13 गुणा
मसाला उत्पादन: 0.02 से 11 मिलियन टन
दूध उत्पादन: 17 से 210 मिलियन टन, 12 गुणा
मछली उत्पादन: 0.75 से 14.2 मिलियन टन, 14 गुणा
अंडा उत्पादन : 1.8 से 122 अरब
गन्ना उत्पादन: 57 से 431 मिलियन टन
कपास उत्पादन: 3 से 32 मीटर गांठें
तिलहन उत्पादन: 5 से 38 मिलियन टन
शहद उत्पादन: 700 से 133000 टन
भारत 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2022-23)के साथ कृषि उत्पादन और निर्यात में दूसरा सबसे बड़ा देश है। दुनिया के शीर्ष 5 शुद्ध निर्यातकों में से एक।